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लगातार दूसरे साल कोविड-19 के चलते मैसूरु में सादे तरीके से शुरू हुआ विश्व प्रसिद्ध दशहरा महोत्सव

लगातार दूसरे साल कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बीच मैसूरु का 10 दिन चलने वाला प्रसिद्ध दशहरा उत्सव बृहस्पतिवार को धार्मिक रीति रिवाज से शुरू हुआ।

03:44 PM Oct 07, 2021 IST | Ujjwal Jain

लगातार दूसरे साल कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बीच मैसूरु का 10 दिन चलने वाला प्रसिद्ध दशहरा उत्सव बृहस्पतिवार को धार्मिक रीति रिवाज से शुरू हुआ।

लगातार दूसरे साल कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बीच मैसूरु का 10 दिन चलने वाला प्रसिद्ध दशहरा उत्सव बृहस्पतिवार को धार्मिक रीति रिवाज से शुरू हुआ। ‘नाद हब्बा’ (राजकीय पर्व) के नाम से प्रसिद्ध इस उत्सव में पूर्व मुख्यमंत्री एस एम कृष्णा और मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के साथ अन्य गणमान्य लोग शामिल हुए जिन्होंने देवी चामुंडेश्वरी की प्रतिमा पर पुष्प वर्षा की। 
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पूर्व राज्यपाल ने किया महोत्सव का उद्घाटन 
देवी चामुंडेश्वरी का मंदिर चामुंडी पहाड़ी पर स्थित है और उन्हें मैसूरु के राजपरिवार की कुलदेवी माना जाता है। पूर्व विदेश मंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल रह चुके एस एम कृष्णा को सरकार की ओर से दशहरा पर्व का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया गया था। मैसूरु प्रभारी और सहकारिता मंत्री एस टी सोमशेखर, राजस्व मंत्री आर अशोक, कन्नड और संस्कृति मंत्री वी सुनील कुमार, धार्मिक अनुदान, वक्फ और हज मंत्री शशिकला जोले और मैसूरु के सांसद प्रताप सिम्हा भी इस मौके पर मौजूद रहे। 
500 से ज्यादा लोग नहीं हो सकते एकत्र 
कोविड-19 महामारी के कारण सरकार ने 412वां दशहरा पर्व सादे तरीके से मनाने का निर्णय लिया था। राज्य सरकार ने मैसूरु में दशहरा मनाने के लिए दिशा निर्देश जारी किये हैं जिसके अनुसार, प्रमुख स्थलों पर त्यौहार मनाने के लिए 500 से ज्यादा लोग एकत्र नहीं हो सकते। देवी चामुंडेश्वरी की सेवा करने को “सौभाग्य” बताते हुए मुख्यमंत्री बोम्मई ने कहा कि कोविड के कारण दो साल तक विश्व प्रसिद्ध दशहरा धूमधाम से नहीं मनाया जा सका। 
उन्होंने कहा, “मैंने देवी से प्रार्थना की है कि कोविड महामारी और सभी समस्याओं से राज्य के लोगों की रक्षा करें।” एस एम कृष्णा ने अपने भाषण में कहा कि युवा राष्ट्र की संपत्ति हैं और उन्हें सही दिशा मिलनी चाहिए। मैसूरु के साथ अपने संबंधों को याद करते हुए उन्होंने राजपरिवार द्वारा मैसूरु में किये गये योगदान का स्मरण किया। 
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