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चिनाब पर विश्व का सबसे ऊंचा रेल पुल : जोरदार विस्फोट, आठ की तीव्रता वाला भूकंप सह सकेगा

कश्मीर घाटी को रेलमार्ग के जरिए शेष भारत से जोड़ने वाले एवं चिनाब नदी पर बनाये जा रहे विश्व के सबसे ऊंचे रेल पुल को 40 किग्रा टीएनटी (विस्फोटक) के धमाकों और रिक्टर स्केल पर आठ की तीव्रता वाले भूकंप को सहने की क्षमता के साथ डिजाइन किया गया है।

03:13 PM Jan 14, 2020 IST | Shera Rajput

कश्मीर घाटी को रेलमार्ग के जरिए शेष भारत से जोड़ने वाले एवं चिनाब नदी पर बनाये जा रहे विश्व के सबसे ऊंचे रेल पुल को 40 किग्रा टीएनटी (विस्फोटक) के धमाकों और रिक्टर स्केल पर आठ की तीव्रता वाले भूकंप को सहने की क्षमता के साथ डिजाइन किया गया है।

कौरी (जम्मू कश्मीर) : कश्मीर घाटी को रेलमार्ग के जरिए शेष भारत से जोड़ने वाले एवं चिनाब नदी पर बनाये जा रहे विश्व के सबसे ऊंचे रेल पुल को 40 किग्रा टीएनटी (विस्फोटक) के धमाकों और रिक्टर स्केल पर आठ की तीव्रता वाले भूकंप को सहने की क्षमता के साथ डिजाइन किया गया है। कोंकण रेलवे के एक शीर्ष इंजीनियर ने मंगलवार को यह दावा किया। 
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इस परियोजना का क्रियान्वयन कर रहे कोंकण रेलवे के चीफ इंजीनियर (समन्वय) आर के हेगड़े ने कहा कि आगामी ‘मानव निर्मित एक और आश्चर्य’ प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और रेलवे बोर्ड की प्रत्यक्ष निगरानी में निर्मित किया जा रहा है। इसके 2021 तक पूरा होने की संभावना है। 
उन्होंने बताया कि पुल निर्माण की नयी दिल्ली में पीएमओ और रेलवे बोर्ड की ‘इलेक्ट्रॉनिक आंखों’ के जरिए चौबीसों घंटे निगरानी की जा रही है। 
इसका निर्माण पूरा हो जाने पर चिनाब पुल को विश्व के सबसे ऊंचे रेल पुल –नदी से 359 मीटर ऊपर और पेरिस के एफिल टावर से करीब 35 मीटर ऊंचा होने का गौरव प्राप्त हो जाएगा। 
उन्होंने बताया कि पुल कटरा और बनिहाल के बीच 111 किमी लंबे खंड में सबसे अहम एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण संपर्क है। यह उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल संपर्क परियोजना का हिस्सा है। 
हेगड़े ने कहा, ‘‘अब तक 83 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। दिसंबर 2021 चिनाब पुल परियोजना को पूरी करने की अंतिम समय सीमा है।’’ 
हेगड़े ने पीटीआई भाषा से कहा कि इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाने पर यह चीन में बेइपन नदी पर स्थित शुईबाई रेल पुल (275 मीटर ऊंचा) को पछाड़ देगा। 
पुल का निर्माण सुरक्षा एवं अन्य कारणों को लेकर 2008 में रोक दिया गया था। इसे 2010 में फिर से शुरू किया गया। यह पहले ही कई समय सीमा को पूरा नहीं कर पाया है। 
पुल क निर्माण कार्य 2002 में शुरू किया गया था जब अटल बिजारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। 
पुल के बारे में हेगड़े ने कहा, ‘‘यह 40 किग्रा टीएनटी के उच्च क्षमता वाले विस्फोटों को और रिक्टर स्केल पर आठ की तीव्रता वाले भूकंप को सह सकता है। यहां तक कि विस्फोट के बाद भी ट्रेन 30 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से इस पर से गुजर सकती है।’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जा रहा है। हमने भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) से खरीदी जा रही भारी मात्रा में इस्पात की चादरों को खारिज कर दिया है।’’ 
एक इंजीनियर ने बताया कि पीएमओ और रेलवे बोर्ड ‘इलेक्ट्रॉनिक आंखों’ के जरिए रोजाना इसके कार्य में प्रगति की सीधे तौर पर निगरानी कर रहा है। 
उन्होंने कहा, ‘‘एक मिनट के लिए भी यदि सीसीटीवी बंद हो जाता है तो हमें पीएमओ से फोन आ जाता है कि क्या हो रहा है। ’ 
यह पुल 1.315 किमी लंबा है और यह 260 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा को सह सकता है। 
उन्होंने बताया कि पुल से लगा एक फुटपाथ और साइकिल मार्ग भी बनाया जाएगा। चिनाब पुल बारामुला को उधमपुर-कटरा-काजीगुंड के रास्ते जम्मू से जोड़ेगा। इससे यात्रा में लगने वाला समय घट कर साढे छह घंटे हो जाएगा जो फिलहाल दोगुना है। 
पुल को भूकंप रोधी बनाने के बारे में उपायों की बात करते हुए कोंकण रेलवे अध्यक्ष संजय गुप्ता ने कहा कि आईआईटी रूड़की और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी), बेंगलुरु के विशेषज्ञों ने एक विस्तृत, स्थान विशेषीकृत भूकंपीय विश्लेषण किया है। 
उन्होंने कहा कि परियोजना का सबसे मुश्किल चरण बनिहाल से कटरा के बीच के खंड का निर्माण है। 
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