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दीपावली के तीसरे दिन अयोध्या में लगता है यमराज का मेला! जानिए क्या है इसके पीछे की अनोखी कहानी

10:59 AM Oct 23, 2025 IST | Shivangi Shandilya
दीपावली के तीसरे दिन अयोध्या में लगता है यमराज का मेला  जानिए क्या है इसके पीछे की अनोखी कहानी
Yamraj Pooja
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Yamraj Pooja: भगवान श्रीराम की पावन नगरी अयोध्या वैसे तो हर दिन भक्ति, आस्था और अध्यात्म का केंद्र बनी रहती है, लेकिन दीपावली के तीसरे दिन यहां एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। इस दिन भक्त यमराज यानी मृत्यु के देवता की पूजा करते हैं। यह अनोखा आयोजन न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि पौराणिक कथा और पारिवारिक प्रेम का भी प्रतीक है।

Ayodhya News: भगवान श्रीराम से जुड़ी कहानी

Yamraj Pooja
Yamraj Pooja (credit-sm)

मान्यता है कि जब भगवान श्रीराम ने पृथ्वी से वैकुंठ गमन का निश्चय किया, तब यमराज स्वयं उन्हें लेने अयोध्या आए थे। कहा जाता है कि उन्होंने जमथरा घाट पर विश्राम किया था और वहीं से आगे बढ़कर भगवान श्रीराम ने गुप्तार घाट पर जल समाधि ली थी। इसी स्मृति में हर वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि, जिसे यम द्वितीया कहा जाता है, अयोध्या के सरयू तट स्थित यमथरा घाट पर भव्य पूजा और मेला आयोजित किया जाता है।

Yamraj worship in Ayodhya: सरयू नदी में स्नान

सरयू नदी में स्नान
सरयू नदी में स्नान (credit-sm)

प्रातःकाल से ही श्रद्धालु सरयू नदी में स्नान कर भयमुक्त और दीर्घायु जीवन की कामना करते हैं। भक्तों का विश्वास है कि इस दिन यमराज की पूजा करने से व्यक्ति को यमभय से मुक्ति और मृत्यु पर विजय का आशीर्वाद मिलता है। खासतौर पर बहनें इस दिन व्रत रखती हैं और अपने भाइयों की दीर्घायु और कल्याण के लिए यमराज से प्रार्थना करती हैं। यह दिन भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक भी माना जाता है।

Yamraj Pooja: यमराज ने यह तपोस्थली अयोध्या माता से प्राप्त की थी

Ayodhya News
यमराज ने यह तपोस्थली अयोध्या माता से प्राप्त की थी (credit-sm)

कहा जाता है कि यमराज ने यह तपोस्थली स्वयं अयोध्या माता से प्राप्त की थी, इसलिए यहां की पूजा का महत्व अन्य स्थानों से कहीं अधिक है। यमथरा घाट पर इस दिन भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। आरती, भजन, दीपदान और मेला पूरे वातावरण को आध्यात्मिक बना देते हैं। दीपावली के तीसरे दिन अयोध्या का यह आयोजन सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि आस्था, प्रेम और पौराणिक इतिहास का संगम है। श्रद्धालु यह मानते हैं कि यमराज की आराधना करने से न केवल मृत्यु का भय दूर होता है, बल्कि जीवन में संतुलन, अनुशासन और कर्म की चेतना भी बढ़ती है।

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Shivangi Shandilya

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