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योगः भारतीयता का गौरव गान

युद्धों की काली छाया के बीच समूचा विश्व आज 11वां अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहा…

04:52 AM Jun 21, 2025 IST | Aditya Chopra

युद्धों की काली छाया के बीच समूचा विश्व आज 11वां अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहा…

योगः भारतीयता का गौरव गान

युद्धों की काली छाया के बीच समूचा विश्व आज 11वां अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहा है। भारत के लिए योग दिवस देश के गौरव गान का प्रतीक बन गया है। यह ऊर्जा और उत्साह का योग है। आज रूस-यूक्रेन युद्ध, इजराइल-हमास युद्ध आैर इजराइल-ईरान युद्ध के चलते विश्व अशांति की गिरफ्त में है। मिसाइलों और बमों से लोग लाशों में तब्दील हो रहे हैं। लाखों का जीवन दाव पर है। मानवता कराह रही है। शहर वीरान हो रहे हैं। वैश्विक शांति केवल एक कल्पना रह गई है। इसका कारण आतंकवाद और जेहादी विचारधारा तो है ही बल्कि दुनियाभर में अपना वर्चस्व कायम करने की मानसिकता भी है। ऐसी स्थितियों में व्यक्ति निर्माण और राष्ट्र निर्माण के लिए योग ही एकमात्र उपाय है, जो शांति की राह दिखा सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता दी थी। तब से ही योग अन्तर्राष्ट्रीय पर्व बन गया है। योग के प्रति लोगों की जबरदस्त प्रतिक्रिया देखकर हम सब हैरान हो गए थे और इस वर्ष जो नजारा देखने को मिल रहा है, वह तो ​िपछले वर्ष से भी अधिक अद्भुत है, जो भारतीय संस्कृति की एक अनुपम विरासत के तौर पर योग की स्वीकृति, उसकी महत्ता और उपयोगिता को स्था​िपत करता है।

योग के ज्ञान का जन्म हजारों साल पहले प्रथम धर्म या विश्वास के पैदा होने से भी बहुत पहले हुआ। योग शिक्षा के अनुसार शिव को प्रथम योगी या आ​िदयोगी के रूप में देखा जाता है। कई हजारों वर्ष पहले हिमालय में कांति सरोवर झील के किनारे आ​िदयोगी ने अपने गहरे ज्ञान को पौराणिक 7 ऋषियों को प्रदान किया। ये ऋषि इस योग विज्ञान को एशिया, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका सहित अनेक भागों में ले गए। योग को व्यापक स्तर पर सिंधू घाटी सभ्यता (2700 ईसा पूर्व) के एक अमिट सांस्कृतिक ​परिणाम के रूप में समझा जाता है। इसने मानवता के मौलिक और अध्यात्मिक विकास में अहम भूमिका अदा की। योग की लोक परम्पराएं वै​दिक और उपनिषद विरासत, बौद्ध और जैन परम्पराओं, दर्शनों, महाकाव्य महाभारत, भागवत गीता, रामायण, शिव भक्ति परम्पराओं, वैष्णव धार्मिक परम्पराओं में ​िवद्यमान है। यद्यपि योग का अभ्यास पूर्व वैदिक काल में किया जाता था ले​िकन महान ऋषि पतंजलि ने पहले से विद्यमान योग अभ्यासों, इसके अर्थ आैर इससे सम्बन्धित ज्ञान को पतंजलि योग सूत्र के माध्यम से व्यवस्थित किया। योग के प्रचार-प्रसार में विश्व प्रसिद्ध योग गुरुओं का भी योगदान रहा, जिनमें अयंगर योग के संस्थापक वी.के.एस. अयंगर और योग गुरु रामदेव प्रमुख हैं। बाबा रामदेव तो वर्तमान में योग के ब्रैंड एम्बैसडर बन चुके हैं। वैसे तो योग में तीन प्रकार का परिचय दिया जाता है-कर्मयोग, भक्ति योग और ज्ञान योग। हठयोग की एक विशेष प्रणाली है, ​िजसे 15वीं सदी के भारत में हठयोग प्रदीपिका के संकलक योगी स्वत्मरमा द्वारा वर्णित किया गया था।

आज के समय में योग की आवश्यकता इस​िलए ज्यादा है क्योंकि वर्तमान जीवन शैली कहीं बहुत ज्यादा तनावपूर्ण है आैर इसके चलते हर तरह की बीमारियां बढ़ती चली जा रही हैं। वर्तमान समय की आपाधापी भरे जीवन में संतुलन कायम करना और प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाना कहीं अधिक आवश्यक हो गया है। योग यही सिखाता है कि मनुष्य किस तरह स्वयं को प्रकृति का हिस्सा मानकर चले और खुद को प्रकृति पर्यावरण से जोड़कर देेखे। आज विश्व इसे अपना रहा है तो इसके महत्व को देखकर ही इसे स्वीकार किया जा रहा है। योग करने से मनुष्य निरोग होता है। योग एक ऐसी दिव्य औषधि है जिसका इस्तेमाल करके कोई भी अपने अंतस में उजियारा भर सकता है। जिस तरह सूूर्य अपनी रोशनी प्रदान करने में किसी तरह का भेदभाव नहीं करता उसी तरीके से योग करके कोई भी सार्थक लाभ ले सकता है। यह धर्म, जाति, वर्ग, सम्प्रदाय, ऊंचे-नीचे, छोटे-बड़े, अमीर-गरीब से परे है।

फिर भी योग करने या न करने को लेकर विवाद खड़े कर दिए जाते हैं। वजह भले ही राजनीतिक हो या सामाजिक लेकिन विवाद खड़ा करने वाले लोगों को उन 46 मुुस्लिम देशों से सीख लेनी चाहिए, ​िजन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत के योग प्रस्ताव को सहमति दी थी। इनमें ईरान, अफगानिस्तान जैसे तमाम कट्टर मजहबी देश थे जो अपने धर्म के ​िनयमों को मानने के प्रति कहीं अधिक सख्त हैं। योग के दौरान ॐ के उच्चारण और सूर्य नमस्कार करने को लेकर विरोध ​िकया जाता है। योग की प्रकृति धर्मनिरपेक्ष तथा वैश्विक है, ऐसा करने से ​िकसी का धर्म नहीं बदलता। योग गुरुओं ने लोगों को विकल्प दिया था कि वे ॐ की जगह ‘आमेन’ कह सकते हैं, लेकिन वहां मौजूद लोगों ने ॐ कहना पसंद किया आैर लोगों ने सूर्य नमस्कार भी ​िकया। योग के संदर्भ में यह समझना जरूरी है कि जो ​िवद्या सभी का शारीरिक-मानसिक रूप से चैतन्य रहना सिखाती हो, उसका विरोध क्यों किया जा रहा है। कोरोना काल में लोगों ने योग को अपनाकर अपने शरीर में प्रतिरोधक क्षमता पैदा की। योग आत्मबल को जागृत करता है और रोगों को भगाता है। नकारात्मकता को साकारात्मकता में बदलता है। इसलिए योग को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लें।

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Aditya Chopra

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