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योगेश्वर, सुशील, साक्षी के बिना टोक्यो ओलंपिक में उतरेगा कुश्ती दल

योगेश्वर दत्त द्वारा सन्यास की घोषणा, उनसे पहले नरसिंह यादव का डोप कांड का शिकार होना और अब दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार को लेकर बनी असमंजस की स्थिति ने भारतीय कुश्ती में नई उर्जा और स्फूर्ति का संचार किया है

11:06 PM Mar 01, 2020 IST | Desk Team

योगेश्वर दत्त द्वारा सन्यास की घोषणा, उनसे पहले नरसिंह यादव का डोप कांड का शिकार होना और अब दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार को लेकर बनी असमंजस की स्थिति ने भारतीय कुश्ती में नई उर्जा और स्फूर्ति का संचार किया है

कुश्ती करवट बदल रही है और पहली कतार के जाने-माने पहलवान या तो रिटायर हो रहे हैं या ओलंपिक क्वालीफायर की बाधा उनके लिए कांटों की राह साबित हो रही है।  
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योगेश्वर दत्त द्वारा सन्यास की घोषणा, उनसे पहले नरसिंह यादव का डोप कांड का शिकार होना और अब दो बार के ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार को लेकर बनी असमंजस की स्थिति ने भारतीय कुश्ती में नई उर्जा और स्फूर्ति का संचार किया है। 
पुरुष वर्ग में जाने-माने पहलवान बजरंग पूनिया, रवि और दीपक क्वालीफ़ाई कर चुके हैं जबकि महिला वर्ग में सिर्फ़ विनेश फोगाट ही यह सम्मान अर्जित कर पाई हैं।  
हालाँकि कुश्ती फ़ेडेरेशन के अध्यक्ष ब्रज भूषण शरण सिंह कह रहे हैं कि देश के श्रेष्ठ पहलवान के लिए ओलंपिक क्वालीफायर के दरवाजे लगभग बंद हो चुके हैं लेकिन सुशील ने इस बारे में अभी कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।  उसके वर्ग में जितेंदर कुमार ने एशियन चैंपियनशिप में रजत पदक जीत कर मजबूत दावा पेश किया है।
 टोक्यो ओलंपिक में भारतीय उम्मीदों के बारे में पूछे जाने पर ब्रज भूषण कहते हैं कि हमारे पहलवान चार से छह पदक जीत सकते हैं।  ज़ाहिर है वह बड़ी बात कर रहे हैं लेकिन उनका तर्क है कि भारतीय कुश्ती अपने सबसे बेहतर दौर से गुजर रही है।  
चीफ़ कोच जगमिंदर हमेशा की तरह संभल कर और सावधानी के साथ बयान दे रहे हैं।  वह मानते हैं कि भले ही बजरंग और विनेश एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड नहीं जीत पाए लेकिन उनमें ओलंपिक पदक जीतने की योग्यता है।  
रवि और दीपक से भी वह प्रभावित हैं लेकिन ओलंपिक भागीदारी को ज़्यादा अहमियत देते हैं।  पूर्व ओलंपियन सुदेश कुमार का एक प्रसंग सुना कर कहते हैं कि 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में भाग लेने गये सुदेश कुमार ने बताया कि तब पूरे शहर में पोस्टर लगे थे और उन पर लिखा था कि आप यहां तक पहुंचे, यही सबसे बड़ी उपलब्धि है।  आप सचमुच बड़े चैम्पियन हैं। 
पदक नहीं मिलने का मलाल बिल्कुल ना करें। क्रिगिस्तान में आयोजित होने वाला ओलंपिक क्वालीफायर रद्द हो गया है लेकिन इतना तय है कि रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक के लिए टोक्यो के दरवाजे लगभग बंद हो चुके हैं।  
क्वालीफायर में भाग लेने की पात्रता के लिए 62 किलो भार वर्ग में साक्षी के सामने फिर 18 वर्षीय सोनम मलिक थी और उसने एक बार फिर से साक्षी को चित कर अपनी श्रेष्ठता साबित कर दिखाई। 
 सोनम ने एशियन चैम्पियनशिप के क्वालीफायर में साक्षी को हरा कर तहलका ज़रूर मचाया पर कोई पदक नहीं जीत पाने के चलते क्वालीफायर से गुज़रना पड़ा, जबकि साक्षी ने 65 किलो में भाग लिया था। 
 अब पांच सदस्यीय महिला टीम टोक्यो के टिकट के लिए उतरेगी, जिसमें निर्मला (50), अंशु मलिक (57), सोनम मलिक (62), दिव्या काकरान (68) और किरण (72) शामिल हैं।
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