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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 10 लाख करोड़ से अधिक की औद्योगिक परियोजनाओं की एक साथ ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी से पहले सेवानिवृत्त अधिकारियों और वरिष्ठ शिक्षाविदों का समूह ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 और जीबीसी-4 के विविध आयामों से युवाओं का परिचय करायेगा। उन्होंने कहा कि जीआईएस और जीबीसी के केंद्र में युवा हैं, उद्योग लगने से नौकरी-रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के 12, भारतीय पुलिस सेवा के चार और भारतीय वन सेवा के सात अधिकारियों (सभी सेवानिवृत्त) तथा 19 शिक्षाविदों सहित 42 सदस्यीय टीम गठित की है।
Highlights
आगामी 17-18 फरवरी को टीम अलग-अलग विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में युवाओं से संवाद कर नौकरी, रोजगार, सेवायोजन से जुड़ी उनकी जिज्ञासाओं का समाधान करेगी, साथ ही, युवाओं को ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 और जीबीसी-4 के संबंध में जागरूक करेगी।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में सीएम ने सेवानिवृत्त अधिकारियों और वरिष्ठ शिक्षाविदों की 42 सदस्यीय विशेष टीम से संवाद किया। उन्होंने कहा कि विगत वर्ष 10-12 फरवरी तक आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की अभूतपूर्व सफलता से आप सभी सुपरिचित हैं। लगभग 40 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव हमें प्राप्त हुए और अब एक वर्ष के भीतर ही इन्हें जमीन पर उतारा जा रहा है। यह प्रदेश के समग्र विकास और हमारे युवाओं के नौकरी, सेवायोजन के लिए अत्यंत लाभकारी होगा।
उन्होंने कहा कि इन्वेस्टर्स समिट और ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी जैसे प्रयास केवल उद्यमियों के लिए नहीं हैं, इसके केंद्र में हमारा युवा वर्ग है। इसका सबसे ज्यादा लाभ युवाओं को ही होगा। उद्योग लगेंगे तो रोजगार के अवसर सृजित होंगे। उत्तर प्रदेश में विकास में असमानता एक बड़ी समस्या रही है। मध्य उत्तर प्रदेश और एनसीआर की तुलना में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड का बहुत कम विकास हुआ था। नतीजतन यहां के युवाओं के सामने पलायन का संकट रहा। हमने इस असमान विकास की समस्या के स्थायी निराकरण के लिए ठोस प्रयास किये हैं।
उन्होंने कहा कि अब औद्योगिक विकास केवल एनसीआर अथवा कुछ चुनिंदा नगरों तक सीमित नहीं है, हर एक जिला इससे लाभान्वित है। ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी का लाभ प्रदेश के सभी 75 जिलों को मिलेगा। 19 फरवरी के मुख्य समारोह से सभी जिलों को जोड़ा जाएगा। हाल ही में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई, जो बताती है कि तमिलनाडु से 60 हजार श्रमिक प्रदेश वापस लौटे। यह सभी टेक्सटाइल सेक्टर में कार्य कर रहे थे। निश्चित रूप से इन्हें प्रदेश में सुखमय और सुरक्षित भविष्य की संभावना दिखी होगी।