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सरकार बनने के बाद पहली बार मौर्य के आवास पर पहुंचे CM योगी, भोज में हुए शामिल

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा की तैयारियों के बीच मंगलवार को मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और आरएसएस के सह-सरकार्यवाह डॉक्टर कृष्ण गोपाल व कई पदाधिकारी उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास पर आयोजित दोपहर भोज में शामिल हुए।

06:11 PM Jun 22, 2021 IST | Ujjwal Jain

उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा की तैयारियों के बीच मंगलवार को मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और आरएसएस के सह-सरकार्यवाह डॉक्टर कृष्ण गोपाल व कई पदाधिकारी उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास पर आयोजित दोपहर भोज में शामिल हुए।

सरकार बनने के बाद पहली बार मौर्य के आवास पर पहुंचे cm योगी  भोज में हुए शामिल
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उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा की तैयारियों के बीच मंगलवार को मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ और आरएसएस के सह-सरकार्यवाह डॉक्टर कृष्ण गोपाल व कई पदाधिकारी उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के आवास पर आयोजित दोपहर भोज में शामिल हुए।
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आधिकारिक तौर पर यह भोज उप मुख्यमंत्री मौर्य ने पिछली 22 मई को संपन्न हुए अपने पुत्र योगेश मौर्य के विवाह के उपलक्ष्य में दिया था लेकिन इसके राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हैं और इसकी कई वजहें गिनाई जा रही हैं। यह दावा किया जा रहा है कि पांच कालिदास मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहने वाले मुख्‍यमंत्री पिछले साढ़े चार साल में मौर्य के सरकारी आवास पर पहली बार गये। योगी और केशव मौर्य के बीच कथित राजनीतिक मतभेद की खबरें भी समय-समय पर मीडिया की सुर्खियां बनती रही हैं।
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मुख्‍यमंत्री, राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह-सरकार्यवाह गोपाल, क्षेत्र प्रचारक अनिल और प्रांत प्रचारक कौशल के मंगलवार को उप मुख्यमंत्री मौर्य के आवास पर जाने को लेकर चर्चाओं को हवा मिली और इसे रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलाने के तौर पर भी देखा गया। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा विपक्ष को आने वाले चुनाव में कोई मौका देना नहीं चाहती है कि इस आयोजन से एकजुटता का संदेश देने की पहल की गई है।
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दरअसल, 2017 में जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हुआ तब मौर्य भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे और मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। अचानक गोरक्षपीठ के महंत और गोरखपुर से पांच बार के सांसद आदित्यनाथ को भाजपा नेतृत्व ने मुख्यमंत्री घोषित कर दिया और बाद में उनके विधायक दल का नेता चुने जाने की औपचारिकता हुई।
इधर, पिछले एक माह से उत्तर प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर अटकलों का बाजार गर्म रहा हालांकि केंद्रीय नेतृत्व ने इस पर विराम लगा दिया। लेकिन, पिछले बुधवार को बरेली में केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि राज्य का आगामी विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा, यह पार्टी का संसदीय बोर्ड तय करेगा। इससे इतर उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने शुक्रवार को एटा में दावा किया कि पार्टी अगला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के नेतृत्व में लड़ेगी।
इस बीच, रविवार को श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक सवाल के जवाब में पत्रकारों से कहा, ”चुनाव जीतने के बाद केंद्रीय नेतृत्व ही मुख्यमंत्री तय करेगा।” इस बयान से संकेत मिला कि योगी से केशव खुश नहीं हैं। हालांकि मौर्य ने कभी योगी के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की।
गौरतलब है कि सोमवार को मुख्यमंत्री के आवास पर भाजपा और आरएसएस के नेताओं संग भविष्य की योजनाओं को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई और सूत्रों का कहना है कि केशव मौर्य के आवास पर मुख्यमंत्री के जाने का कार्यक्रम भी उसी बैठक में तय हुआ। सोमवार की बैठक में योगी के आवास पर भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष, प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह, आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉक्टर कृष्ण गोपाल, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल के अलावा दोनों उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डाक्टर दिनेश शर्मा भी शामिल हुए थे।
इधर, मंगलवार को भाजपा मुख्यालय में बीएल संतोष, राधा मोहन सिंह, स्‍वतंत्र देव सिंह और सुनील बंसल ने प्रदेश पदाधिकारियों और क्षेत्रीय अध्यक्षों के साथ एक बैठक की। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने मंगलवार की शाम ट्वीट किया, ‘‘भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रदेश महामंत्रियों एवं क्षेत्रीय अध्यक्षों की बैठक में राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष एवं प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।”
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