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आप हमेशा हमारी यादों में रहोगे

05:00 AM Dec 03, 2025 IST | Kiran Chopra
पंजाब केसरी की डायरेक्टर व वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा

वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब एक ऐसा बहुत बड़ा संगठित परिवार है जिसमें सभी अटूट रिश्ते से बंधे हैं। एक ऐसा जिन्दगी का सफर है जहां सभी मिलते हैं फिर बिछुड़ते हैं। अपने अंतिम सफर के बाद सभी अपनी मीठी यादें छोड़ जाते हैं परन्तु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने अच्छे व्यवहार, अपने काम के कारण हमारे दिलों में अमिटछाप छोड़ जाते हैं और हमेशा हमारी यादों में रहते हैं।

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ऐसे ही कर्मठ व्यक्ति थे पी.के. मलिक जी जो 15 साल वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब के कोर्डिनेटर रहे जो हर ब्रांच, हर सदस्य के सम्पर्क में रहते थे। वह एलआईसी से ऑफिसर रिटायर हुए थे और सबको बड़ी शान से अपने आप से परिचय कराते थे मैं एलआईसी से रिटायर्ड ऑफिसर हूं, यह उनका पहला वाक्य होता था। वह अपनी जिन्दगी को बड़े अनुशासन से जीते थे और सारे सदस्यों को भी बड़े अनुशासन में रखते थे। कहने को तो मैं उनके लिए उनकी बॉस थी परन्तु स्नेह-मुझे वो छोटी बहन की तरह करते थे और बहुत ही इज्जत देते थे। वे उम्र से भले ही वरिष्ठ थे लेकिन उनके मन में ऊर्जा, सेवा और संवेदना हमेशा युवा रही। वे सिर्फ अपने परिवार के लिए ही नहीं, हम सबके लिए भी एक मार्गदर्शक, एक सहारा और एक शुभचिन्तक थे। मुझे हमेशा प्रोत्साहित करते थे और हर मुश्किल में साथ खड़े रहते थे। उनका व्यवहार सरल और उनकी सोच सकारात्मक व उनकी नीयत हमेशा सभी के भले के लिए होती थी। हम अपने सदस्यों को दुबई, सिंगापुर लेकर गए, वो एक-एक सदस्य का ख्याल रखते थे और अगर मैं किसी के बारे में चिन्ता करती तो हमेशा कहते मैडम आप चिन्ता मत करो मैं हूं ना।

अगर कोई सदस्य ईश्वर को प्यारा होता तो हमेशा कहते मैडम जी, मैं जाऊंगा आप नहीं जाएंगी। क्योंकि हमारा काम है। यहां हर दूसरे-तीसरे दिन सदस्य जाते हैं। अगर आप किसी के यहां न जा सके तो सभी को बुरा लगेगा। तो आप किसी के पास नहीं जाओगे। आज मैं उनकी क्रिया पर जा रही हूं। घर में दो बच्चों का आगमन हुआ है। एक के अभी 40 दिन भी नहीं हुए, सभी मना कर रहे हैं परन्तु उनके यहां क्रिया में तो मुझे जाना ही है और परिवार को कहना है कि मैं हमेशा उनके साथ खड़ी हूं। मुझे पूरा यकीन है अगर वो होते तो यही कहते मैडम जी आपको नहीं जाना, मैं हूं न।... परन्तु आज वो नहीं हैं तो मुझे जाना ही है।

कहते हैं न कि इक दिन तू मिट जाएगा.....जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल। आज उनका अनुशासन, उनकी जिन्दादिली, उनके काम हमें याद आ रहे हैं। आज वो हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके आदर्श, उनके संस्कार और उनकी सीख हमेशा हमें राह दिखाते रहेंगे। हम प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। सीनियर सिटिजन के लिए उन्होंने जो योगदान दिया वह किसी विरासत से कम नहीं है। ऐसे लोग बार-बार जन्म नहीं लेते। हम सबकी तरफ से उन्हें शत्-शत् नमन: द्य

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