Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

तेरा साईं तुझमें है, तू जाग सके तो जाग - रेणु देवी

संत कबीर रचित उक्त पंक्ति का उल्लेख करते हुए उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने आचार्य गद्दी कबीर पीठ फतुहा में आयोजित सांप्रदायिक सौहार्द मेला में कहा कि कबीर दास जी जैसे महान संतों की कृपा से ही अभी देश में सांप्रदायिक सद्भाव का स्वर्णकाल चल रहा है।

12:47 AM Jun 29, 2022 IST | Desk Team

संत कबीर रचित उक्त पंक्ति का उल्लेख करते हुए उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने आचार्य गद्दी कबीर पीठ फतुहा में आयोजित सांप्रदायिक सौहार्द मेला में कहा कि कबीर दास जी जैसे महान संतों की कृपा से ही अभी देश में सांप्रदायिक सद्भाव का स्वर्णकाल चल रहा है।

पटना (फतुहा), 28 जून, 2022 – संत कबीर रचित उक्त पंक्ति का उल्लेख करते हुए उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने आचार्य गद्दी कबीर पीठ फतुहा में आयोजित सांप्रदायिक सौहार्द मेला में कहा कि कबीर दास जी जैसे महान संतों की कृपा से ही अभी देश में सांप्रदायिक सद्भाव का स्वर्णकाल चल रहा है। केंद्र में आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा और बिहार में माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी द्वारा न तो किसी के साथ भेद -भाव और न ही किसी का तुष्टिकरण किया जा रहा है।सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कुछ पूर्व नियोजित घटनाएं अवश्य हुई हैं, लेकिन उस पर संबंधित सरकार द्वारा कड़ी कार्रवाई की जा रही है। इन पूर्वनियोजित घटनाओं का उद्देश्य भारत की छवि को ख़राब करना रहा है। केंद्र सरकार की उज्ज्वला योजना हो या प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना हो या प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना या अग्निपथ योजना। बिना किसी भेद – भाव के इन योजनाओं का लाभ सभी लोगों तक पहुंचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार का नारा है – सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास।
Advertisement
रेणु देवी ने कहा कि कबीरदास जी का जीवन ही साम्प्रदायिक सौहार्द का उत्तम उदाहरण है। मान्यता है कि उनका जन्म हिंदू परिवार में हुआ और पालन नीरू नाम के जुलाहे के यहां हुआ। कबीरदास जी को हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों में बराबर का सम्मान प्राप्त था। यही कारण था कि उनकी मृत्यु के बाद उनके शव के अंतिम संस्कार को लेकर दोनों समुदायों में विवाद हो गया। इस विवाद में जब उनके शव से चादर हटी तो वहां फूलों का ढेर था। दोनों संप्रदाय के लोगों ने आधा आधा फूल लेकर अपने तरीके से उनका अंतिम संस्कार किया। कबीरदास जी का जीवन- दर्शन सामाजिक न्याय, धर्मनिरपेक्षता और मानव धर्म पर आधारित था।
उन्होंने आगे कहा कि कबीर के दोहे का एक एक शब्द पांखडवाद और धर्म के नाम पर ढोंग व स्वार्थ पूर्ति करने वालों पर प्रहार करता है। उन्होंने धर्म, जाति, वर्ण, वर्ग आदि में एकरूपता कर मंदिर- मस्जिद के भेद को समाप्त करने का प्रयास किया तथा सत्य, प्रेम और मानवतावादी धर्म का प्रचार किया। संत कबीर ने हिंदू – मुसलमानों की परस्पर विरोधी भावनाओं का खुलकर विरोध करते हुए कहा है –
“हिंदू कहे मोहे राम पियारा, तुरक कहे रहमाना।
आपस में दोऊ लड़ी लड़ी मुए, मरम न काहू जाना।।”
उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा कि कबीरदास जी का स्पष्ट संदेश था कि ईश्वर का निवास मनुष्य के हृदय में है, तथा एक ही ईश्वर अलग अलग धर्मों में अलग अलग नामों से पुकारे जाते हैं। इसलिए मनुष्यों को धर्म के नाम पर एक दूसरे से झगड़ना नहीं चाहिए।उन्होंने आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर सदगुरु कबीर महोत्सव – सह – सांप्रदायिक सौहार्द मेला आयोजित करने के लिए महंत ब्रजेश मुनि जी समेत आयोजकों को साधुवाद दिया तथा आशा व्यक्त कि ऐसे आयोजनों से देश में सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ने में मदद मिलेगी।
Advertisement
Next Article