जेन-जी ही भारत की ताकत
भारत में जेन-जी कमाल कर रहा है। युवा उद्यमी कचरा प्रबंधन से निपटने के लिए तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है। एक ऐेसी ऐप बनाई गई है जो आम समस्या को एक व्यापक समाधान में बदल देता है। बेंगलुरु में एक युवा संस्थापक ने परम्परागत कार्य संरचना की दीवारों को चुनौती देते हुए फैशन प्लेटफार्म लांच किया जो सफलता के झंडे गाड़ रहा है। कोई पर्यावरण अनुकूल पैकेजिंग स्टार्टअप शुरू कर रहा है तो कोई गांव में सौर ऊर्जा पहुंचा रहा है। जनरेशन जेड की प्रतिबद्धता का बदलाव लाने के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी का मिश्रण भी है।
पिछले कुछ समय में पड़ोसी देशों बंगलादेश, नेपाल और कई अन्य देशों में युवाओं, विशेषकर जेन-जी वर्ग के बीच असंतोष और विद्रोह की लहरें उठीं। वहां बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अवसरों की कमी और प्रशासनिक अक्षमताओं ने युवाओं को सड़क पर उतरने पर मजबूर किया। व्यवस्था परिवर्तन की मांग और हिंसक प्रदर्शन इन देशों में गहरी बेचैनी और अव्यवस्था के रूप में सामने आए। इस परिप्रेक्ष्य को भारत में भी कुछ षड्यंत्रकारी शक्तियां राजनैतिक रूप भुनाने का प्रयास कर रही हैं। वे युवाओं को उकसाने, भड़काने और भ्रमित करने की कोशिशों में लगी हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से टूलकिट तैयार कर गलत जानकारियां फैलाना और नेताओं द्वारा गैर-जिम्मेदाराना बयान देना इसका उदाहरण है। यह प्रवृत्ति न केवल निंदनीय है, बल्कि अत्यंत चिंतनीय भी है, क्योंकि यह युवा शक्ति को उसकी रचनात्मक और राष्ट्र निर्माण की दिशा से भटकाने का कुत्सित प्रयास है।
जब भारत के युवाओं, विशेष रूप से जेन-जी को लेकर विचार किया जाता है तब यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि भारत की स्थिति इन देशों से भिन्न है। भारतीय युवा विशेषकर जेन-जी मूलतः राष्ट्रीय विचारधारा से ओत-प्रोत है। देश उसके लिए सर्वोपरि है। भारत के युवा की समझ पूरी तरह से विकसित है कि देश के निर्माण का मार्ग विद्रोह से नहीं, बल्कि नवाचार, परिश्रम और लोकतांत्रिक माध्यमों से निकलता है। यही कारण है कि भारतीय युवा अपने उद्यम, अथक परिश्रम और राष्ट्रभक्ति से हर क्षेत्र में भारत के ध्वज वाहक बने हुए हैं। भारत का युवा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। अंतरिक्ष अनुसंधान में इसरो की उपलब्धियों के पीछे युवा वैज्ञानिकों का योगदान है। कंप्यूटर और आईटी क्षेत्र में भारतीय युवा विश्व की दिग्गज कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं। स्टार्टअप कल्चर का उत्थान भी इसी ऊर्जा का परिणाम है जिसने भारत को नवाचार का वैश्विक केंद्र बना दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप स्काई रूट के इंफिनिटी कैंपस का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि पिछले 6 से 7 सालों में भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र बड़े बदलावों से गुजर रहा है और यह अब खुला, सहयोगी और नवाचार से प्रेरित अर्थतंत्र बन गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार की ओर से अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलने से देश के युवा खासकर ‘जेन जी यूथ’ को भरपूर फायदा उठाने के अवसर मिले हैं। भारत के पास अंतरिक्ष क्षेत्र में क्षमताएं हैं और यह क्षमताएं केवल कुछ ही देश के पास हैं। हमारे पास कुशल इंजीनियर, उच्च गुणवत्ता उत्पादन अर्थतंत्र और विश्व के बेहतरीन प्रक्षेपण स्थल हैं। साथ ही नवाचार को प्रोत्साहित करने वाला माइंड सेट भी है। भारत की युवा शक्ति को नवाचार और जोखिम उठाने वाली क्षमता तथा उद्यमिता से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि इसके चलते आज विविध क्षेत्र में भारत नई बुलंदियां छू रहा है। स्काई रूट का इंफिनिटी कैंपस भारत की नई सोच नवाचार और युवा शक्ति का प्रतिबिंब है। उन्होंने ने स्काई रूट के प्रथम ऑर्बिटल रॉकेट विक्रम-एक का अनावरण भी किया। इसमें उपग्रह को कक्षा में प्रक्षेपित करने की क्षमता है। इस अत्याधुनिक केंद्र में बहु प्रक्षेपण वाहनों के डिजाइन विकास एकीकरण और प्रशिक्षण के लिए लगभग 20 हजार वर्ग फुट का कार्य क्षेत्र होगा तथा हर महीने का एक कक्षीय रॉकेट बनाने की क्षमता होगी। जेन-जी के लिए कहा जाता है कि यह लगभग वर्ष 1995 से 2010 के बीच जन्मी ऐसी पीढ़ी है जो टेक्नोलॉजी फ्रेंडली होने के साथ-साथ डिजिटल उपकरणों के प्रयोग और सोशल मीडिया में सक्रिय रहती है। सर्वविदित है कि वर्ष 1990 का दशक वैश्विक पटल पर भूमंडलीकरण, बाजारवाद और तकनीक के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन और नए इंफ्रास्ट्रक्चर का समय था। परिणामत: उस दौर में जन्मे बच्चे उस तकनीक से परिचित होकर विकासक्रम में आगे बढ़े। विक्रम-1 का निर्माण एक साधारण औद्योगिक उपलब्धि नहीं बल्कि इकोसिस्टम निर्माण का परिणाम है। स्काईरूट एयरोस्पेस का नया इंफिनिटी कैंपस हैदराबाद में दो लाख वर्ग फुट के क्षेत्र में विकसित किया गया है, जहां रॉकेट डिजाइनिंग, डवलपमेंट, इंटीग्रेशन और परीक्षण की विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस सुविधा के माध्यम से भारत पहली बार निजी तौर पर अपने लॉन्च वाहन निर्मित करने में सक्षम हुआ है। यह केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं, औद्योगिक रोजगार, वैश्विक निवेश और भारत के स्टार्टअप कल्चर के परिपक्व होने का संकेत भी है।
भारतवर्ष भिन्न-भिन्न प्रकार की विविधताओं से संपन्न बड़ा देश है। यहां परंपरा और आधुनिकता, अध्यात्म, ज्ञान- विज्ञान और तकनीक सभी एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। यहां कोई एक विचार अथवा तकनीक एकाएक सभी को समाप्त करके अपना वर्चस्व नहीं बना सकते। भारत का जेन-जी आज 25 से 30 वर्ष की आयु वर्ग में है। इस जेन- जी के भरोसे, संकल्प और भागीदारी से ही देश विकसित भारत का संकल्प लेकर चल रहा है। यह जेन-जी ही भारत में नए-नए स्टार्टअप, मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत को आकर दे रहा है। यह जेन-जी ही भारत की ताकत है। इसमें सृजनशीलता है, इसमें संघर्ष हैं, सपने हैं, संकल्प हैं और उन्हें पूरा करने के लिए पुरुषार्थ भी है। ये नए भारत की नींव के पत्थर हैं, जिनके लिए राष्ट्र प्रथम है। ये जितना ज्ञान-विज्ञान और तकनीक पर भरोसा करते हैं उससे कहीं अधिक भारत की ज्ञान परंपरा, संत-महापुरुष परंपरा एवं सनातन परंपरा पर इनका विश्वास है। भारत का जेन-जी न केवल अपने देश की अपितु विश्व के विभिन्न देशों में वहां की विभिन्न व्यवस्थाओं की धुरी बनता जा रहा है। आज भारत विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था बन चुका है। आज बहुत से युवा तेजी से विश्व के बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम में अपनी भागीदारी कर रहे हैं। विज्ञान के क्षेत्र में नए-नए आविष्कार और उपलब्धियां हासिल करने वाली यह जेन-जी पीढ़ी ही है। यह पीढ़ी प्रतिभाशाली, रचनात्मक और भावनात्मक रूप से इतनी जागरूक है जितनी पहले कभी नहीं रही।
भारत की अर्थव्यवस्था भी अपनी रफ्तार पकड़ चुकी है। जेन-जेड अपनी प्रतिभा के बल पर दुनिया को चौंका रही है। दुनिया का सबसे धनी व्यवसायी एेलन मस्क भी भारतीय प्रतिभा के कायल हो चुके हैं।

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