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दिल्ली से रहस्यमयी तरीके से गायब हुए 8000 लोग, ZIPNET भी हैरान 

02:38 PM Jul 24, 2025 IST | Aishwarya Raj
दिल्ली से रहस्यमयी तरीके से गायब हुए 8000 लोग, ZIPNET भी हैरान 

साल 2025 की शुरुआत से अब तक दिल्ली से 8000 से ज्यादा लोग लापता हो चुके हैं। यह आंकड़ा न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि दिल्ली की कानून व्यवस्था और मानव सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े करता है। सवाल उठता है – इतने लोग कहां चले गए? क्या इन्हें आसमान निगल गया या ज़मीन खा गई?

महिलाएं सबसे ज्यादा हुईं लापता

जोनल इंटीग्रेटेड पुलिस नेटवर्क (ZIPNET) के आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी 2025 से 23 जुलाई 2025 के बीच दिल्ली से कुल 4,753 महिलाएं और 3,133 पुरुष गायब हुए। यानी हर दिन औसतन 38 से अधिक लोग रहस्यमयी तरीके से लापता हो रहे हैं।

बाहरी उत्तरी जिला बना गायब लोगों का हॉटस्पॉट, ZIPNET 

सबसे ज्यादा 908 मामले बाहरी उत्तरी दिल्ली से सामने आए हैं, जिनमें बवाना, स्वरूप नगर और समयपुर बादली जैसे इलाके प्रमुख हैं। वहीं, नई दिल्ली जिला सबसे कम – केवल 85 मामलों के साथ – लापता लोगों की सूची में है।

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बाकी जिलों की स्थिति भी गंभीर

1486 अज्ञात शवों की बरामदगी: कोई कड़ी जुड़ रही है?

इसी अवधि में दिल्ली में 1,486 अज्ञात शव भी बरामद किए गए हैं, जिनमें अधिकांश पुरुष हैं, ZIPNET । सबसे ज्यादा 352 शव उत्तरी जिले से मिले हैं। इनमें कोतवाली, सब्जी मंडी और सिविल लाइंस इलाके शामिल हैं।

अन्य जिलों में मिले शवों की संख्या:

ZIPNET क्या है और कैसे करता है काम?

ZIPNET यानी Zonal Integrated Police Network एक केंद्रीकृत पुलिस डेटाबेस है जो विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लापता व्यक्तियों और अज्ञात शवों की सूचना संकलित करता है। इसका उद्देश्य लापता लोगों को खोजने और पहचान करने में पुलिस एजेंसियों की मदद करना है।

तो सवाल अभी भी वहीं है – आखिर ये लोग कहां गए?

क्या ये तस्करी, अपराध, आत्महत्या, या किसी बड़े षड्यंत्र का हिस्सा हैं?
क्या दिल्ली में मानव सुरक्षा पर कोई अदृश्य खतरा मंडरा रहा है?
सिस्टम की खामियां हैं या किसी गहरी साजिश के सुराग?
इन सवालों के जवाब अभी धुंधले हैं, लेकिन एक बात साफ है – दिल्ली में खामोशी के साए में एक बड़ा रहस्य दबा है।

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दिल्ली: अमित शाह गुरुवार को‘राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025’ का करेंगे लोकार्पण

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह गुरुवार को नई दिल्ली में ‘राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025’ का अनावरण करेंगे। नई सहकारिता नीति 2025-45 तक आगामी दो दशकों के लिए भारत के सहकारी आंदोलन में एक मील का पत्थर माना जा रहा है। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह गुरुवार को अटल अक्षय ऊर्जा भवन, नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 की घोषणा करेंगे। इस अवसर पर राष्ट्रीय सहकारिता नीति के प्रारूप को तैयार करने वाली समिति के सदस्य, सभी राष्ट्रीय सहकारी संघों के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) और वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगे।

नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025

नई सहकारिता नीति 2025-45 तक आगामी दो दशकों के लिए भारत के सहकारी आंदोलन में एक मील का पत्थर साबित होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के कुशल मार्गदर्शन में, नई सहकारिता नीति 2025 का उद्देश्य सहकारिता क्षेत्र को पुनर्जीवित करने और आधुनिक बनाने के साथ-साथ जमीनी स्तर पर एक रोडमैप बनाकर सहकार से समृद्धि के विजन को साकार करना है। इससे पहले वर्ष 2002 में देश की पहली राष्ट्रीय सहकारिता नीति जारी की गई थी, जिसमें सहकारी संस्थाओं की आर्थिक गतिविधियों के बेहतर प्रबंधन के लिए एक आधारभूत रूपरेखा दी गई थी।

राष्ट्रीय सहकारिता नीति का उद्देश्य

पिछले 20 वर्षों में वैश्वीकरण और तकनीकी प्रगति के कारण समाज, देश और विश्व में कई बड़े परिवर्तन हुए हैं। इन परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए नई नीति बनाना आवश्यक हो गया था, ताकि सहकारी संस्थाओं को वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में अधिक सक्रिय और उपयोगी बनाया जा सके और ”विकसित भारत 2047” के लक्ष्य को हासिल करने में सहकारिता क्षेत्र की भूमिका मजबूत हो सके। राष्ट्रीय सहकारिता नीति का उद्देश्य सहकारी संस्थाओं को समावेशी बनाने, उनका पेशेवर तरीके से प्रबंधन करने, उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने और विशेष रूप से ग्रामीण भारत में बड़े पैमाने पर रोजगार और आजीविका के अवसर सृजित करने में सक्षम बनना है।

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