Zomato खाना,धर्म और हलाल के बीच में फंसा बुरी तरह, हलाल टैग पर दी सफाई
फूड डिलिवरी की महशूर ऐप जोमैटो एक विवाद में बुरी तरह फंसता हुआ दिखाई दे रहा है,जिसकी शुरुआत डिलिवरी बॉय बदलने की मांग और धर्म को लेकर की जा रही है।
12:42 PM Aug 01, 2019 IST | Desk Team
फूड डिलिवरी की मशहूर ऐप जोमैटो एक विवाद में बुरी तरह फंसता हुआ दिखाई दे रहा है,जिसकी शुरुआत डिलिवरी बॉय बदलने की मांग और धर्म को लेकर की जा रही है। ये मामला दरअसल तब शुरू हुआ जब बीते दिन एक यूजर ने गैर-हिंदू डिलिवरी बॉय से अपना खाना लेने से साफ-साफ मना कर दिया था इसके बदले में ऐप ने इस कस्टमर को रिफंड नहीं किया।
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अमित शुक्ला नाम के यूजर की तरफ से यह बात ट्विटर पर साझा की गई तो जोमैटो ने उसके जवाब में उसे लिखा खाने का कोई धर्म नहीं होता है। खाना खुद एक धर्म है। इसके बाद इस घटना पर इतना ज्यादा बवाल हो गया कि कई सारे ग्राहको ने सोशल मीडिया पर ऐप के खिलाफ पोस्ट करते हुए कहा कि इसके बावजूद हलाल मीट की मांग करने वाले यूजर्स को ऐप अच्छी प्रतिक्रिया देता है और उनकी मांग को भी मान लेता है।
कई सारे ग्राहको की ओर से तो स्क्रीनशॉट भी शेयर किए गए हैं जिनमें जोमैटो ने नॉन-हलाल मीट सर्व करने पर उनसे माफी मांगी थी। वहीं कईयों ने गूगल प्ले और एप्पल ऐप स्टोर पर जोमैटो को 1 स्टार रेटिंग दी है। ट्विटर पर #BoycottZomato हैशटैग के साथ ऐप का बहिष्कार करने की अपील भी कइयों की ओर से की जा रही है। अब कंपनी ने कस्टमर्स की ओर से सोशल मीडिया पर मिले ऐसे रिएक्शन और हलाल,नॉन-हलाल मीट को लेकर सफाई भी दी है और बहुत लंबा सा बयान अपने ऑफिशल ट्विटर अकाउंट से शेयर किया है। वहीं जोमैटो ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हलाल मीट से जुड़ा टैग ऐप नहीं बल्कि रेस्तरां की ओर से लगाया गया है।
हलाल मीट ऐप चेक नहीं करता
कंपनी ने ट्विटर पर शेयर करते हुए कहा कि जोमैटो पर दिखने वाला हलाल टैग रेस्तरां की तरफ से उसे अलग दिखाने की कोशिश की गई है न कि एक ग्रुप के तरह पर हमें। हम यह जानकारी देते हैं जिसमें एक कस्टमर के तौर पर आप आसानी से चयन कर सकें और अपनी पंसद को हम तक साझां कर सकें कि आप हलाल मीट खाना चाहते हैं या नहीं। एक ग्रुप के तौर पर यह काफी ज्यादा जरूरी है कि हम सब अलग-अलग विकल्प दिखाएं जिनमें से हमारे कस्टमर्स अपनी पंसद को आसानी से चुन सकते हैं। कंपनी ने यह भी लिखा है कि ऐसा मीट सर्व करने के लिए रेस्तरां को हलाल सर्व करने का सर्टिफिकेट ऑल-इंडिया बॉडी देती है और हम किसी तरह चेक नहीं करते हैं कि मीट हलाल है या नहीं।
हलाल सर्टिफिकेट केवल रेस्तरां ले सकते हैं
जोमैटो ने जानकारी देते हुए कहा कि रेस्तरां के लिए एफएसएसआई लाइसेंस होना बहुत जरूरी है,जबकि हलाल सर्टिफिकेट स्वेच्छा से लिया जा सकता है। कंपनी ने कहा कि इस तरह दिखने वाले टैग यूजर्स की यह समझने में सहायता करते हैं कि उनके पसंद की डिश ऐप पर नजर आ रही है या नहीं। जोमैटो ने लिखा है कि यही कारण है कि यदि कस्टमर को हमारे ऐप को कोई गलत ऑर्डर या दूसरी कैटिगरी का ऑर्डर मिलता भी है तो हम उसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेते हैं। इससे पहले की गई अपनी प्रतिक्रिया खाने का कोई धर्म नहीं होता है। लेकिन हां जोमैटो ने ये जरूर कहा कि हां खाने का कोई धर्म नहीं होता। इंसान क्या पकाते और क्या खाना चाहते हैं यह उनकी पसंद है। आप चाहे धार्मिक इंसान हो या नहीं।
इस ऐप पर नवरात्रि और जैन थाली भी है
ट्वीट में जोमैटो ने कहा कि हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और यही कारण है कि कस्टमर्स की जरूरत के मुताबिक संभावित विकल्प उनको देते भी हैं,जिससे वह अपना मन पंसद खाने का चयन कर सके। जैसे हमारे ऐप पर जैन थाली,शाकाहारी खाना,नवरात्रि थाली जैसे टैग भी नजर आते हैं।
बताते चलें कि जोमैटो के फाउंडर दीपिंदर गोयल ने भी इस मामले पर ट्वीट करते हुए साफ-साफ कह दिया था कि जोमैटो पर ऐसे लोगों की कोई जगह नहीं है जो धर्म के आधार पर भेदभाव करते हैं। ऐसे में उन्होंने ऐसे ग्राहको से नम्रता से ऐप छोडऩे को कह दिया है जो धर्म के आधार पर डिलिवरी बॉय चुनने का विकल्प ढूंढते हों।
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