Top NewsindiaWorldViral News
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabjammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariBusinessHealth & LifestyleVastu TipsViral News
Advertisement

इन लोगों के लिए आफत बना OTT का क्रेज, छिन गई 5 लाख से अधिक जॉब!

इन लोगों के लिए आफत बना OTT का क्रेज

03:12 AM Jun 11, 2025 IST | Amit Kumar

इन लोगों के लिए आफत बना OTT का क्रेज

रिपोर्ट में 2018 से 2025 के बीच लगभग 5.77 लाख नौकरियां खत्म होने की आशंका जताई गई है. इसका मुख्य कारण पे-टीवी ग्राहकों की संख्या में भारी गिरावट है, जो 2018 में जहां 15.1 करोड़ थी, वहीं 2024 तक घटकर 11.1 करोड़ रह गई है.

OTT craze: भारत का केबल टेलीविजन उद्योग पिछले सात सालों से गंभीर मंदी के दौर से गुजर रहा है. हाल ही में ऑल इंडिया डिजिटल केबल फेडरेशन (AIDCF) और ईवाई इंडिया ने एक संयुक्त रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ केबल टीवी डिस्ट्रीब्यूशन इन इंडिया’ जारी की है. रिपोर्ट में इस उद्योग के सामने आई भारी चुनौतियों और संभावित समाधान का उल्लेख किया गया है.

मीडिया के अनुसार, रिपोर्ट में 2018 से 2025 के बीच लगभग 5.77 लाख नौकरियां खत्म होने की आशंका जताई गई है. इसका मुख्य कारण पे-टीवी ग्राहकों की संख्या में भारी गिरावट है, जो 2018 में जहां 15.1 करोड़ थी, वहीं 2024 तक घटकर 11.1 करोड़ रह गई है. अनुमान है कि 2030 तक यह संख्या घटकर 7.1-8.1 करोड़ के बीच सिमट सकती है.

गिरावट के पीछे क्या कारण?

1-ओटीटी प्लेटफार्मों की चुनौती: नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम वीडियो, डिज़्नी हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने दर्शकों को केबल टीवी से दूर कर दिया है.

2-चैनल लागत में बढ़ोतरी: टीवी चैनलों की लागत लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन स्थानीय ऑपरेटर ग्राहक शुल्क में इजाफा नहीं कर पा रहे हैं.

3-डीडी फ्री डिश का असर: फ्री डिश सेवाओं की लोकप्रियता भी भुगतान आधारित टीवी सेवाओं को नुकसान पहुंचा रही है.

DTH और केबल का घटता कारोबार

वित्तीय दृष्टिकोण से भी यह सेक्टर दबाव में है. 2019 में जहां डीटीएच और केबल सेवा प्रदाताओं का कुल राजस्व करीब 25,700 करोड़ रुपये था, वहीं 2024 में यह घटकर मात्र 21,500 करोड़ रुपये रह गया.साथ ही, उद्योग का मार्जिन भी 29% तक घट गया है.

सबसे ज्यादा प्रभावित हुए स्थानीय केबल ऑपरेटर

स्थानीय केबल ऑपरेटरों (LCOs) पर इस मंदी का सबसे बड़ा असर पड़ा है.रिपोर्ट में शामिल 93% LCOs ने ग्राहक संख्या में गिरावट की पुष्टि की है. आधे से अधिक ऑपरेटरों की मासिक आय घट गई है, और एक तिहाई से ज्यादा ने अपने 40% से अधिक ग्राहक खो दिए हैं.

Advertisement

Gold Rate Today: सोना-चांदी के बढ़े भाव, जानें आपके शहर में कितना महंगा हुआ सोना

समाधान और आगे की राह

इन तमाम चुनौतियों के बीच कुछ एक्स्पर्ट्स उम्मीद की किरण भी देख रहे हैं. उद्योग जगत के प्रमुख चेहरों, जैसे जियोस्टार के उदय शंकर और ज़ी एंटरटेनमेंट के पुनीत गोयनका – का मानना है कि अभी भी करीब 85-90 मिलियन परिवार ऐसे हैं जो टीवी सेवा के लिए भुगतान करते हैं, जिन्हें सही रणनीति के साथ बनाए रखा जा सकता है.

ईवाई इंडिया के आशीष फेरवानी ने कम लागत वाली योजनाओं, सस्ते टेलीविजन और सेट-टॉप बॉक्स के वितरण के जरिए ‘केबल-डार्क’ यानी बिना केबल कनेक्शन वाले 10 करोड़ घरों तक पहुंचने के अवसर की बात की है.

उन्होंने सरकार से हार्डवेयर सब्सिडी और मुफ्त एसटीबी वितरण जैसी सहायता की मांग की है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पायरेसी सालाना लगभग 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान कर रही है, जिससे निपटने के लिए एक संयुक्त औद्योगिक प्रयास की आवश्यकता है.

Advertisement
Next Article