ऑपरेशन सिंदूर पर दुनिया को ब्रीफ करेंगे भारतीय सांसद
दुनिया के सामने ऑपरेशन सिंदूर पर भारतीय सांसदों का दृष्टिकोण
ऑपरेशन सिंदूर को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने के लिए भारत सरकार ने सभी दलों के सांसदों को विदेश भेजने का निर्णय लिया है। ये सांसद अमेरिका, यूके, दक्षिण अफ्रीका, कतर और यूएई में जाकर भारत का पक्ष रखेंगे। दौरा लगभग 10 दिन का होगा और इसमें भाजपा, कांग्रेस और AIMIM के नेता शामिल हो सकते हैं।
भारत सरकार ऑपरेशन सिंदूर को वैश्विक मंच पर समझाने के लिए सभी दलों के चुनिंदा सांसदों को विदेश दौरे पर भेज रही है। ये सांसद अमेरिका, यूके, दक्षिण अफ्रीका, कतर और यूएई जाकर आतंकवाद पर भारत का पक्ष रखेंगे। दौरा 22 या 23 मई से शुरू होकर करीब 10 दिन का होगा। इस डेलिगेशन में भाजपा से अनुराग ठाकुर, कांग्रेस से शशि थरूर और AIMIM से असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता शामिल हो सकते हैं। विदेश मंत्रालय इस दौरे की पूरी जानकारी सांसदों को देगा। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पुष्टि की है कि पार्टी इस मल्टी-पार्टी डेलिगेशन का हिस्सा बनेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर राजनीति नहीं करती और भारत के पक्ष को मजबूती से रखने के लिए सरकार के साथ खड़ी है।
विदेश मंत्रालय की तैयारी, रिजिजू समन्वयक
सांसदों को विदेश यात्रा के लिए तैयार रहने को कहा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डेलिगेशन को 8 समूहों में बांटा जाएगा। हर ग्रुप में 5-6 सांसद होंगे, जिनके साथ MEA का एक अधिकारी और एक सरकारी प्रतिनिधि भी मौजूद रहेगा। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू दौरे का समन्वय कर रहे हैं।
पहले भी भेजे गए हैं ऐसे डेलिगेशन
इससे पहले 1994 में प्रधानमंत्री नरसिंह राव ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में डेलिगेशन को UNHRC भेजा था। 2008 में मुंबई हमलों के बाद भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने के लिए विपक्षी नेताओं को विदेश भेजा था।
ऑपरेशन सिंदूर का विवरण
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 भारतीय टूरिस्ट मारे गए थे। इसके जवाब में भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। बॉर्डर पार किए बिना की गई इस कार्रवाई में भारत ने 9 आतंकी कैंप्स तबाह कर दिए थे। ऑपरेशन में S-400, बराक-8, आकाशतीर समेत आधुनिक डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल हुआ था।