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क्या चौथी सर्दी में पिघलेगी बर्फ

05:24 AM Nov 14, 2023 IST | Aditya Chopra

भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव जारी है। अप्रैल-मई 2020 में लद्दाख में भारत और चीन सीमा पर जो संकट खड़ा हुआ था वह आज भी जारी है। अब सर्दियां आने वाली हैं। यह लगातार चौथी सर्दी होगी जब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने होंगी। दोनों देशों में सैन्य स्तर की 20 दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं और चीन कुछ इलाकों में पीछे भी हटा है। जिन इलाकों में दोनों देशों के सै​िनक पीछे हटे हैं उनमें गलवान, पैंगोंग, फिरत्सो के उत्तर और दक्षिण तट गोगरा-हॉट, स्प्रिंग्स क्षेत्र में पैट्रोलिंग प्वाइंट 17 और 15 शामिल हैं। इन जगहों पर डी-मिलिटराइज्ड बफर जोन बना दिए गए हैं लेकिन वार्ता के कई दौर हो जाने के बाद भी डेमचौक और देपसांग के इलाके को लेकर कोई हल सामने नहीं आया।
भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की बैठक का 20वां दौर 9 और 10 अक्तूबर को भारतीय सीमा पर चुशुल-मोल्डो सीमा मीटिंग प्वाइंट पर आयोजित किया गया था। बैठक के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा ‘‘दोनों देशों के राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के मुताबिक और 13-14 अगस्त 2023 को आयोजित कोर कमांडरों की बैठक के अंतिम दौर में हुई प्रगति के आधार पर दोनों पक्षों ने पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ शेष मुद्दों के शीघ्र और पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान के लिए स्पष्ट, खुले और रचनात्मक तरीके से विचारों का आदान-प्रदान किया। वे प्रासंगिक सैन्य और राजनयिक तंत्र के माध्यम से बातचीत और बातचीत की गति को बनाए रखने पर सहमत हुए। उन्होंने अंतरिम रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में जमीनी स्तर पर शांति बनाए रखने की भी प्रतिबद्धता जताई." इस बयान से यह स्पष्ट हो गया कि सीमा वार्ता पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चल रहे गतिरोध को खत्म करने के लिए कोई खास कामयाबी नहीं ला सकी। ये माना जा रहा है कि चीन के डेमचोक और डेपसांग के इलाकों पर बातचीत करने से इनकार करने की वजह से दोनों देशों के बीच का सीमा गतिरोध नहीं सुलझ पा रहा है।
2020 में 15 जून को लद्दाख के गलवान में दोनों देशों के सैनिकों के बीच खूनी संघर्ष हुआ था और इसमें दर्जनभर से ज्यादा भारतीय सैनिकों ने बलिदान दिया था लेकिन भारतीय सैनिकों ने चीन के लगभग 50 सैनिकों की गर्दनें मरोड़ कर मार डाला था। सर्दियां शुरू होने से पहले भारत और चीन के कमांडर स्तर की बैठक हुई है। ताकि अप्रिय घटनाओं का दोहराव न हो। सर्दियां शुरू होने से पहले सीमाओं पर सेना की पुनर्तैनाती की जाती है और दोनों पक्ष अपने-अपने सैनिकों की तैनाती में कटौती करते हैं। सीमाओं की निगरानी के लिए सैनिक तैनात रहते हैं। सीमा विवाद शुरू होने के बाद से ही दोनों देशों के लगभग 50 सैनिक आमने-सामने हैं। चीन की मंशा यही है कि अप्रैल-मई 2020 वाली स्थिति को ही लंबे समय तक जारी रखा जाए, क्योंकि यह उसके लिए फायदेमंद है अगर सीमाएं अस्थायी और अनिर्णीत रहें। भारत भी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ अपनी दोस्ती और सक्रियता बढ़ा रहा है, ताकि वह चीन पर दबाव बना सके। वहीं चीन सीमा के तनाव को बनाए रखना चाहता है, ताकि वह इसका फायदा उठाकर भारत के ऊपर दबाव बना सके। कर्टिस के मुताबिक चीन हाल-फिलहाल गंभीरता से सीमा विवाद सुलझाने के लिए नहीं बैठेगा। चीन अभी तक मई 2020 के पहले वाली स्थिति बनाने से हिचक रहा है। पांच इलाकों में से तीन पर ही उन्होंने अपनी मौजूदगी हटाई है, लेकिन अभी भी डेमचोक और देपसांग में दो ठिकाने ऐसे हैं, जहां वह जमे बैठे हैं। स्थानीय कमांडरों के बीच लगभग 10 दिनों से एलएसी के कई बिंदुओं पर विभिन्न मसलों को लेकर बातचीत हो रही है ताकि छोटे-मोटें मुद्दों को सुलझाया जा सके। इससे ठंड के दिनों में किसी भी तरह के संघर्ष को रोका जा सकेगा। ये बातचीत ठंड गिरने के पहले अगले कई हफ्तों तक कई चक्रों में हो सकती है।
भारत ने चीन से सटी सीमा पर बुनियादी ढांचा बढ़ा दिया है और अपने खर्च में काफी बढ़ौतरी भी की है। 2014 के बाद से ही सीमा पर सेना और वायुसेना की तैनाती बढ़ी है। बूमलिंगला में डैम चौक के करीब दुनिया की सबसे ऊंची सड़क बनाई, जोजीला दर्रे को फिर से चालू किया गया है। अति महत्वपूर्ण 16 दर्रे पर भारत कहीं अधिक बेहतर स्थिति में है जो लद्दाख क्षेत्र में सम्पर्क के लिए बहुत जरूरी है। सीमा क्षेत्रों में सड़कें, पुल और हवाई पट्टियां बनाई गई हैं। भारतीय सेनाएं चीन की हर चुनौती का जवाब देने के लिए तैयार हैं। दोनों ही पक्ष सैन्य आैर राजनयिक तंत्र के जरिए बातचीत का सिलसिला बनाए हुए हैं। भारत भी हिन्द प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका के साथ अपनी गतिविधियां बढ़ाकर और अन्य देशों के साथ राजनयिक और कूटनीतिक समझौते कर चीन पर दबाव बना रहा है। हाल ही में भारत-अमेरिका में हुई टू-प्लस-टू बातचीत में रणनीतिक संबंधों को विस्तार देने पर बातचीत हुई। चीन भी इस समय कई मोर्चों पर खुद भी उलझा हुआ है। देखना ही कि इस सर्दी में तनाव की बर्फ पिघलती है या नहीं।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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