Top NewsindiaWorldViral News
Other States | Delhi NCRHaryanaUttar PradeshBiharRajasthanPunjabjammu & KashmirMadhya Pradeshuttarakhand
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariBusinessHealth & LifestyleVastu TipsViral News
Advertisement

शिवराज का शिव मॉडल

01:44 AM Sep 21, 2023 IST | Aditya Chopra

मध्य प्रदेश की शिवराज चौहान सरकार ने राज्य के धार्मिक स्थलों और पर्यटन स्थलों के विकास पर काफी फोकस किया, इससे धा​र्मिक स्थलों की तस्वीर बहुत ही आकर्षक बन गई है बल्कि धार्मिक स्थलों वाले शहरों में विकास का लाभ भी लोगों तक पहुंच रहा है। ओरछा में राम राजा लोक के नाम से राम राजा सरकार का मंदिर विकसित किया जा रहा है। नर्मदा परिक्रमा के लिए नर्मदा पथ के निर्माण की योजना चल रही है। ज्योर्तिलिंग महाकालेश्वर के विकास के दूसरे चरण का निर्माण भी किया जा रहा है। इसके अलावा सलकनपुर में महादेव लोक के निर्माण के बड़े प्लान पर काम हो रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान 2017 में ओंकारेश्वर में तीन संकल्प लिए थे। इनमें से एक संकल्प था मंधाता पर्वत पर 108 फीट ऊंची आदिशंकराचार्य की मूर्ति (एकात्मता की प्रतिमा) का​ निर्माण करवाना था। अब यह प्रतिमा बनकर तैयार हाे चुकी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 21 सितम्बर को इसका अनावरण करेंगे।
वास्तव में उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को जबर्दस्त रिस्पांस ​िमला था। इसी तर्ज पर शिवराज सिंह चौहान ने उज्जैन में महाकाल कॉरिडोर को भव्यता प्रदान की। मध्य प्रदेश में महाकाल कॉरिडोर की भव्यता काशी विश्वनाथ में हुए विकास और निर्माण कार्य से ज्यादा क्षेत्र में विस्तारित है। इसलिए शिवराज सरकार ने शिव मॉडल अपनाया और इस मॉडल को मध्य प्रदेश की जनता पसंद कर रही है।
ओंकारेश्वर में 2100 करोड़ रुपए की लागत से एकात्म धाम बनकर तैयार हो चुका है। धाम निर्माण का यह पहला फेस है। आदिशंकराचार्य की ज्ञान स्थली ओंकारेश्वर की धरा पर आदिशंकराचार्य की प्रतिमा के अनावरण के बाद लोग एकात्म धाम के दर्शन कर पाएंगे।
ओंकारेश्वर में नर्मदा किनारे देश का चौथा ज्योतिर्लिंग मौजूद है। साथ ही यह जगह शंकराचार्य की दीक्षा स्थली भी है, यहां पर वे अपने गुरु गोविंद भगवत्पाद से भी मिले और 4 वर्षों तक उन्होंने यहां विद्या का अध्ययन किया। 12 वर्ष की आयु में शंकराचार्य ने ओंकारेश्वर से ही अखंड भारत में वेदांत के लोक व्यापीकरण के लिए प्रस्थान किया। यहीं वजह है कि आज ओंकारेश्वर में मंधाता पर्वत पर 12 वर्ष के आचार्य शंकर की प्रतिमा की स्थापना की गई है। ओंकारेश्वर में मौजूद यह प्रतिमा दुनिया में शंकराचार्य की यह सबसे ऊंची प्रतिमा है। ओंकार पर्वत पर अद्वैत वेदांत पीठ 28 एकड़ में फैला हुआ है। आदिशंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा को "स्टेच्यू ऑफ वननेस" नाम दिया गया है।
महज 8 वर्ष की उम्र में अपने गुरु को खोजते हुए आदिशंकराचार्य केरल से ओंकारेश्वर आए थे। यहां उन्होंने गुरु गोविंद भगवत्पाद से दीक्षा ली। इसके बाद शंकराचार्य ने पूरे भारतवर्ष में भ्रमण कर सनातन धर्म की चेतना लोगों के मन में जगाने का काम किया। सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में आदि गुरु शंकराचार्य का महत्वपूर्ण योगदान है। इसमें अनेक सिद्धस्थ व समर्पित कारीगरों की कला का जन-जन प्रत्यक्षदर्शी होगा, साथ ही भारत की मनोरम, समृद्ध व समस्त विश्व के पुरातत्वविदों के लिए प्राचीन काल से अचंभे का विषय रही। भारतीय स्थापत्य कला का अद्वैत लोक के द्वारा लोग अनुभव कर पाएंगे। यदि एकात्म धाम के स्थापत्य शैली की बात की जाए तो इसकी निर्मिती शैली विविध क्षेत्रों के स्थापत्य कलाओं की पुराता​ित्वक शैली से प्रेरित रहेगी।
अद्वैत दर्शन को नव युवा शक्ति जो जिज्ञासु, ज्ञान पिपासु व एकात्मता के संदेश को समस्त विश्व तक पहुंचाने हेतु कटिबद्ध है, ऐसे शोधार्थियों-विद्यार्थियों के लिए चार शोध केंद्र भी स्थापित किए जाने की कल्पना भी जल्द ही साकार रूप लेना प्रारंभ करेगी। यह शोध केंद्र आदि गुरु शंकराचार्य जी के चार शिष्यों के नाम पर आधारित होंगे। अद्वैत वेदान्त आचार्य शंकर अन्तर्राष्ट्रीय संस्थान के प्रांगण के अंतर्गत यह चार शोध केंद्र स्थित रहेंगे जिनके नाम हैं - अद्वैत वेदान्त आचार्य पद्मपाद केंद्र, आचार्य हस्तमलक अद्वैत विज्ञान केंद्र, आचार्य सुरेश्वर सामाजिक विज्ञान अद्वैत केंद्र, आचार्य तोटक साहित्य अद्वैत केंद्र। इसकी स्थापत्य शिल्प कला में नागर, द्रविड़, उडि़या, मारू गुर्जर, होयसला, उत्तर भारतीय-हिमालयीन और केरल मंदिर स्थापत्य सहित अनेक पारंपरिक वास्तुकला शैलियों की शृंखला स्थानीय सम्मिलित होंगे। अद्वैत वेदान्त आचार्य पद्मपाद केंद्र भारत के पूर्वी क्षेत्र की संरचनात्मक शैली से प्रेरित होगा वहीं पुरी के जगन्नाथ मंदिर की संरचना से आचार्य सुरेश्वर सामाजिक विज्ञान अद्वैत केंद्र की वास्तुकला द्रविड़ शैली से प्रेरित रहेगी, श्री श्रृंगेरी शारदापीठम और आसपास के मंदिरों से वास्तुकला सामीप्य रखने वाला गुजरात में स्थित द्वारका मंदिर, आचार्य हस्तमलक अद्वैत विज्ञान केंद्र की संरचना का मूल रहेगा। गुजरात के द्वारका मंदिर से प्रेरित आचार्य हस्तामलक अद्वैत विज्ञान केंद्र चालुक्य वंश में पनपी मारू-गुर्जर शैली को प्रदर्शित करता है। जगतगुरु शंकराचार्य जी द्वारा चार दिशाओं में चार मठों की स्थापना कर न केवल चार मठों में वेदान्त शालाएं प्रारंभ की अपितु उन चार दिशाओं की संस्कृति व कला में अपना महत्वपूर्ण योगदान देकर सांस्कृतिक व कलात्मक एकीकरण की धरोहर आज के ज्ञान पिपासुओं हेतु देकर गए। शिवराज सरकार ने पूरे राज्य के धार्मिक एवं पर्यटन स्थलों की प्रतिष्ठा बहाल की है, इसका लाभ जनता को ही मिलेगा। शहरों का विकास होने से पर्यटन बढ़ता है और उससे लोगों की आय भी बढ़ती है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

Advertisement
Advertisement
Next Article