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सदैव तैयार है सेना

01:30 AM Oct 21, 2023 IST | Aditya Chopra

‘‘तीर हैं हम, तलवार हैं हम,
शोलों से बने अंगार हैं हम,
अपने देश की रक्षा में सदैव तैयार हैं हम।
दुश्मन के लिए नरसिंह हैं हम,
अपनों के लिए श्रीकृष्ण हैं हम।
युद्ध भूमि की मिट्टी से तिलक करते हैं हम,
इसलिए भारतीय सेनाओं का सामना करना,
नहीं है विश्व की किसी भी सैन्य शक्ति में दम।’’
भारतीय सेना अपने अदम्य साहस और शक्ति के लिए प्रसिद्ध है जो कि अपने पराक्रम और शौर्य के बल पर देश के जल, थल और वायु इन तीनों स्थानों पर अपने वर्चस्व को कायम किया है। भारतीय सेना देश की रक्षा करने के साथ-साथ मानवता की रक्षा भी बढ़-चढ़कर करती है, इसलिए हमारे देश का प्रजातंत्र अपनी भारतीय सेना का सम्मान करता है और अगर कोई भारतीय सेना का वीर सपूत अपने देश के लिए शहीद होता है तो उसकी शहीदी में आंसू केवल उसका परिवार नहीं बल्कि उसके परिवार के रूप में पूरा देश आंसू बहाता है।
भारतीय सेनाएं देश की संप्रभुत्ता, शौर्य और करोड़ों लोगों की मर्यादाओं की रक्षा करने के लिए जानी जाती हैं। भारतीय सेना विश्व की चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है और आज के आधुनिक और तकनीकी हथियारों से पूरी तरह लैस है। जिस तरह की परिस्थितियां वैश्विक स्तर पर बनी हुई हैं उसका प्रभाव सभी पर पड़ता है। इसके लिए ​आवश्यक है कि सशस्त्र बल रणनीति और योजना बनाते समय सभी पहलुओं को ध्यान में रखें और वर्तमान और अतीत में घटी वैश्विक घटनाओं से सीखते रहना चाहिए। दिल्ली में आयोजित सेना के कमांडरों के सम्मेलन में सम्बोधित करते हुए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आह्वान किया कि सेना अप्रत्याशित स्थितियों के अनुरूप अपनी योजना तैयार कर ऐसे हालातों से निपटने की रणनीति तैयार करे। उन्होंने कहा कि हाइ​ब्रिड युद्ध सहित गैर परम्परागत और असंयमित युद्ध, भविष्य के युद्धों का हिस्सा होगा। वर्तमान में युद्ध जमीन पर कम और आकाश में ज्यादा लड़े जाते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध राकेटों, मिसाइलों और ड्रोन के जरिये लड़ा जा रहा है। जबकि इजराइल-हमास युद्ध न केवल आकाश में बल्कि जमीन पर भी लड़ा जा रहा है। इसलिए भारतीय सेनाओं को किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सेना को सशक्त संदेश दिया है। भारत के पास 14.44 लाख सक्रिय सैनिक हैं और उसके पास टैंकों, तोपों, लड़ाकू विमानों, युद्ध पोत, पनडुब्बियों, टोही जहाजों और आधुनिकतम हथियारों की कोई कमी नहीं है। हथियारों के मामले में भी भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। केन्द्र सरकार और रक्षा मंत्रालय सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क और बुनियादी ढांचे के सुधार पर लगातार ध्यान दे रही है। चीन और पाकिस्तान की साजिशों को देखते हुए ऐसा करना जरूरी भी है। उत्तर और पूर्व में चीन के साथ भारत की 3488 किलोमीटर की सीमा लगती है। भारत और चीन में सीमा पर गतिरोध बना हुआ है। विवाद खत्म करने के लिए वार्ताओं के दौर जारी हैं। इसके बावजूद तनाव में कमी नहीं आई। चीन का आक्रामक रुख भारत-चीन संबंध को सहज नहीं रहने दे रहा। गलवान घाटी का जख्म अभी भी भरा नहीं है। यह महसूस किया गया कि सीमाई इलाकों में सेना की शीघ्र पहुंच को सम्भव बनाने के ​लिए हर उपाय किया जाना चाहिए। ऐसी कोशिशों में तेजी आई जिसका परिणाम यह हुआ कि भारतीय सेना चीनी सेना के हर मूवमेंट पर नजर रखने और उनसे कुशलता से निपटने में सक्षम हुई है। सीमांत क्षेत्रों में सड़कों, सुरंगों और पुलों के निर्माण से सेना की टुकड़ियों के त्वरित मूवमेंट में सफलता मिली है। सीमांत क्षेत्रों में हवाई पट्टियां और हैलीपैड बनाए जा रहे हैं। पूर्वी लद्दाख के नियोमा में हवाई अड्डा बनाया जा रहा है और यह अड्डा एलएसी से मुश्किल से 50 किलोमीटर की दूरी पर है। सीमा सड़क संगठन की 90 परियोजनाएं सीमांत क्षेत्रों में चल रही हैं। सीमांत क्षेत्रों में वाइब्रैंट विलेज भी बनाए जा रहे हैं। युद्ध केवल हथियारों के बल पर नहीं जीते जाते। बल्कि युद्ध सामरिक नीतियों से भी जीते जाते हैं।
भारत ​वैश्विक शक्ति बनने की राह पर अग्रसर है और ऐसे में सामरिक नीतियों का महत्व काफी बढ़ गया है। भारतीय सेनाओं को अब साइबर हमलों से निपटने के लिए भी तैयार किया जा रहा है। इस समय मिसाइल टैक्नीक में भारत बहुत आगे बढ़ गया है। रक्षा एक ऐसा क्षेत्र है जो नवाचार से संचालित होता है और जिसमें भारी निवेश और प्रौद्योगिकी की जरूरत है। हमें अनुसंधान, विकास तथा विनिर्माण क्षमताओं पर ज्यादा ध्यान देना होगा। भविष्य में सेना को इंसानी ताकत की बजाय तकनीक की ताकत की जरूरत पड़ेगी। सेना ने नई प्रौद्योगिकी के पांच क्षेत्रों में काम करना शुरू कर दिया है। इनमें आर्टिफिशियल इंटैलीजेंस, रोबोटिक्स, क्वांटम कम्प्यू​टिग, ब्लाक चेन और ​बिना डाटा एनेला​टिक्स है। शोध का काम चल रहा है। आने वाले दिनों में हमें और बदलाव की जरूरत है ताकि मानव शक्ति आधारित सेना तकनीकी रूप से शक्तिशाली सेना के रूप में परिवर्तित हो सके।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com

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