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जन सुराज की सोच को लेकर सीवान आए प्रशांत किशोर ने राजेंद्र बाबू के पैतृक निवास पहुंच की दूसरे दिन की शुरुआत

प्रशांत किशोर ने अपने सीवान दौरे की शुरुआत देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद के पैतृक गांव जिरादेई पहुंच कर की। यहां उन्होंने राजेंद्र बाबू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।

07:23 PM Jun 05, 2022 IST | Desk Team

प्रशांत किशोर ने अपने सीवान दौरे की शुरुआत देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद के पैतृक गांव जिरादेई पहुंच कर की। यहां उन्होंने राजेंद्र बाबू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।

प्रशांत किशोर ने अपने सीवान दौरे की शुरुआत देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद के पैतृक गांव जिरादेई पहुंच कर की। यहां उन्होंने राजेंद्र बाबू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद उन्होंने जिले अलग अलग गांव और प्रखंडों में लोगों के साथ जन सुराज की सोच पर संवाद किया। समाज के अलग अलग वर्गों से मिलकर प्रशांत किशोर ने स्थानीय मुद्दों को भी समझने की कोशिश की।
बिहार में विकास की स्थिति पर बोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, ’60 के दशक के बाद से ही बिहार विकास के सभी मापदंडों पर पिछड़ता चला गया। चाहे वो शिक्षा का मुद्दा हो या स्वास्थ का या फिर आधारभूत संरचना की बात हो या सामाजिक सुधार और न्याय का मुद्दा, बिहार देश के सभी राज्यों की तुलना में निचले पायदान पर है। प्रशांत किशोर ने रेखांकित करते हुए बताया कि 13 करोड़ की आबादी वाले बिहार में लगभग 8 करोड़ लोग 100 रूपये भी प्रतिदिन नहीं कमा पाते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के हर परिवार का कोई एक व्यक्ति दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे राज्य में रोजगार की तालाश में जाता है, क्योंकि उसे बिहार में रोजगार नहीं मिलता। प्रशांत ने इसके लिए किसी एक पार्टी को जिम्मेदार नहीं बताते हुए कहा कि ये एक सामूहिक विफलता है उन सभी लोगों की जिन्होंने 60 के दशक से अब तक बिहार पर शासन किया है।
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प्रशांत किशोर ने बिहार की वर्तमान राजनीति पर तंज कसते हुए कहा कि राज्य की राजनीति कुल मिलाकर 1200-1300 परिवारों के इर्द गिर्द ही रहती है। इन्हीं परिवारों के लोग विधायक और सांसद बनते हैं। किसी नए व्यक्ति को मौका नहीं मिलता। मैरवा प्रखंड के रानी लक्ष्मीबाई स्पोर्ट्स एकेडमी में महिला खिलाड़ियों से संवाद करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “मैं यहां कोई झंडा और पोस्टर लेकर नहीं आया हूं। मैं यहां समान विचार वाले लोगों के साथ जुड़ने के लिए आया हूं जो बिहार की बेहतरी चाहते हैं और जन सुराज की सोच के साथ सहमत हैं, और ये तभी संभव है जब सही लोग सही सोच के साथ सामूहिक प्रयास करेंगे।
जन सुराज पर बात करते हुए प्रशांत किशोर ने फिर दोहराया कि वो कोई दल और कार्यकर्ता बनाने नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि वो समान विचार वाले लोगों के साथ संवाद करने आए हैं और जब 2 अक्टूबर से शुरू होने वाली पदयात्रा पूरी हो जाएगी तब अगर सामूहिक फैसला होता है तो दल भी बनाया जा सकता है और वो दल जन सुराज यानी जनता का सुशासन पर ही आधारित होगा।
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