Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

महंगाई के मोर्चे पर राहत

महंगाई डायन ने न केवल भारत को बल्कि पूरी दुनिया में लोगों को परेशान कर रखा है। पहले कोरोना महामारी की मार और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को भी झटका लगा है।

02:03 AM Nov 16, 2022 IST | Aditya Chopra

महंगाई डायन ने न केवल भारत को बल्कि पूरी दुनिया में लोगों को परेशान कर रखा है। पहले कोरोना महामारी की मार और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को भी झटका लगा है।

महंगाई डायन ने न केवल भारत को बल्कि पूरी दुनिया में लोगों को परेशान कर रखा है। पहले कोरोना महामारी की मार और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को भी झटका लगा है। महंगाई ने आम लोगों का जीना दूभर कर दिया है। रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन-ताइवान तनाव और वैश्विक सप्लाई शृंखला में अवरोधों और ओपेक प्लस देशों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कमी से लगभग सभी देशों में महंगाई दर दो-तीन दशकों में रिकार्ड स्तर पर है। अमेरिका और यूरोपीय देशों में तेल और ऊर्जा संकट से हाहाकार मचा हुआ है। महंगाई के मोर्चे पर भारत की आम जनता के लिए अच्छी खबर यह है कि देश में तीन महीने बाद खुदरा महंगाई दर में कमी दर्ज की गई है। खाद्य उत्पादों के दाम कम होने से अक्तूबर महीने में खुदरा महंगाई दर 6.77 प्रतिशत पर आ गई है। पिछले महीने खुदरा महंगाई दर 7.41 प्रतिशत थी। हालांकि महंगाई दर अभी भी भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। नए आंकड़ों के अनुसार खाद्य, ईंधन और विनिर्मित उत्पादों के दाम कम होने से थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई अक्तूबर महीने में घटकर 19 महीने के निचले स्तर 8.39 प्रतिशत पर आ गई है। खुदरा महंगाई दर कम होने का सीधा असर आम जनता पर पड़ता है। सब्जियां, तेल, दाल और रोजमर्रा की चीजें सस्ती होने से आम आदमी की जेब पर बोझ कम पड़ता है। यह किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत माना जाता है।
Advertisement
महंगाई न केवल आम लोगों को बल्कि उद्योग-धंधों को भी मुश्किल में डालती है। महंगाई को देखते हुए रिजर्व बैंक ने भी मौद्रिक नीति में समय-समय पर बदलाव किए। हालांकि रिजर्व बैंक का मानना है कि महंगाई दर 6 प्रतिशत के आसपास होनी चाहिए। भारतीय​ रिजर्व बैंक ने अपनी ओर से ब्याज दरों में वृद्धि की है जबकि सरकार की तरफ से सप्लाई पक्ष से जुड़े कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। सरकार ने महंगाई को कम करने के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए जिसका परिणाम अब देखने को मिल रहा है। तमाम विपक्षी दल महंगाई मुद्दे को लेकर मोदी सरकार की घेराबंदी में जुटे हुए हैं। उनके लिए महंगाई के घटते आंकड़े झटके के समान हैं। अच्छे मौसम ने भी भारत का साथ दिया। कृषि क्षेत्र में भारत की उपलब्धियां किसी से छुपी हुई नहीं हैं। सरकार ने महंगाई पर चार प्रमुख रणनीतिक कदम उठाए जिसका परिणाम साफ नजर आ रहा है।
रूस से कच्चे तेल का सस्ता आयात, रिजर्व बैंक के महंगाई नियंत्रण के रणनीतिक उपाय, पर्याप्त खाद्यान्न भंडार एवं कमजोर वर्ग को खाद्यान्न की निःशुल्क आपूर्ति तथा पैट्रोल में एथेनाॅल का अधिक उपयोग, रूस-यूक्रेन युद्ध पर पश्चिमी देशों के दबाव के बावजूद भारत तटस्थ रुख अपनाने का एक बड़ा फायदा भारत को रूस से कच्चे तेल के रूप में मिल रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में तेल के कुल आयात में रूस की हिस्सेदारी पिछले वर्ष की इसी अवधि के 2.02 फीसदी से बढ़कर करीब 12.9 फीसदी हो गई है, जबकि अमेरिका की हिस्सेदारी 9.2 फीसदी से घटकर 5.4 फीसदी रह गई है। नए आंकड़ों के मुताबिक इस समय भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का आयातक और उपभोक्ता देश है। भारत को इराक द्वारा भी कच्चे तेल में बड़ी छूट की पेशकश की जा रही है। पैट्रोल और डीजल में एथेनॉल का मिश्रण बढ़ाकर भी ईंधन की कीमतों में कमी लाने का सफल प्रयास हुआ है, वर्ष 2014 में पैट्रोल में एथेनॉल मिश्रण बमुश्किल 1.4 फीसदी था, जबकि इस वर्ष 10.6 फीसदी मिश्रण किया जा रहा है, जो लक्ष्य से कहीं ज्यादा है।
महंगाई घटाने के लिए कई वस्तुओं पर आयात शुल्क घटाने की रणनीति के साथ-साथ सरकार ने कई अन्य कदम भी उठाए हैं। देश में अच्छी कृषि पैदावार, पर्याप्त खाद्यान्न भंडार, गेहूं तथा चावल के निर्यात पर नियंत्रण की सही नीति और आम आदमी तक खाद्यान्न की सप्लाई भी काफी प्रभावशाली रही है। वर्ष 2021-22 के अनुमान के मुताबिक देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन करीब 31.57 करोड़ टन के रिकार्ड स्तर पर रहा है। कोरोना महामारी के दौरान देश के 80 करोड़ गरीबों के लिए मुफ्त ​राशन की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को लगातार बढ़ाए जाने से भी काफी राहत मिली है। आर्थिक विशेषज्ञ बढ़ती महंगाई के चलते दुनिया में आर्थिक मंदी की चिन्ता जता रहे हैं लेकिन भारत में मंदी का सवाल ही पैदा नहीं होता। मुश्किल दौर में भी भारत अन्य देशों के मुकाबले मजबूत होकर खड़ा रहा है। भारत में जीएसटी संग्रह के आंकड़े विदेशी मुद्रा भंडार की अच्छी स्थिति, लगातार निर्यात का बढ़ना अर्थव्यवस्था के सभी संकेतक अच्छे होने का दम भरते हैं। रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में महंगाई से कुछ और राहत मिल सकती है। क्योंकि अभी भी फल-सब्जियों और ईंधन के भाव साथ नहीं दे रहे। भारत में त्यौहारी सीजन में भी खरीदारी के रिकार्ड टूटे हैं। नवरात्रि के दौरान वाहनों की भी रिकार्ड तोड़ बिक्री हुई है। भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाली अर्थव्यवस्था बन गई है। महंगाई चिन्ता का विषय जरूर है लेकिन उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Advertisement
Next Article