नौसेना की जागीर बनी ‘वागीर’
भारत का अपना एक समुद्री इतिहास रहा है और समुद्री क्रियाकलापों का उल्लेख सर्वप्रथम ऋग वेद में मिलता है। प्राचीन काल से लेकर 13वीं शताब्दी तक हिन्द महासागर पर भारतीय उपमहाद्वीप का वर्चस्व कायम रहा।
12:54 AM Dec 22, 2022 IST | Aditya Chopra
भारत का अपना एक समुद्री इतिहास रहा है और समुद्री क्रियाकलापों का उल्लेख सर्वप्रथम ऋग वेद में मिलता है। प्राचीन काल से लेकर 13वीं शताब्दी तक हिन्द महासागर पर भारतीय उपमहाद्वीप का वर्चस्व कायम रहा। व्यापार के लिए भी भारतीय समुद्री रास्तों का प्रयोग करते थे। हिन्द महासागर को हमेशा भारत के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। जब 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध की शुरूआत हुई तो रॉयल इंडियन नेवी में अफसरों की संख्या 114 और नाविकों की संख्या 1732 थी। उसके पास 6 मार्गरक्षी जलयान थे, जो समुद्र में गश्त लगाया करते थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद रॉयल इंडियन नेवी भारत और रॉयल पाकिस्तान नेवी में बंट गई। 26 जनवरी, 1950 को भारत के गणतंत्र बनने के बाद रॉयल इंडियन नेवी से रॉयल शब्द को हटा दिया गया और इसे इंडियन नेवी यानि भारतीय नौसेना का नाम मिला। भारतीय नौसेना के शौर्य का भी अपना एक इतिहास रहा है। आजादी से लेकर अब तक भारतीय नौसेना की शक्ति लगातार बढ़ती जा रही है। 20 दिसम्बर को महज दो वर्षों के अंतराल में मोदी सरकार ने भारतीय नौसेना के बेड़े में तीसरी अटैक सबमरीन वागीर की सौगात दी है। सबमरीन परियोजना की यह पांचवीं पनडुब्बी-75, कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी इतनी खतरनाक है कि पानी के भीतर ही दुश्मन का खेल खल्लास कर सकती है। वागीर फारसी भाषा का शब्द जिसका अर्थ है बेहद खतरनाक शिकारी। इसे समुद्र में टाइगर शार्क माना जा रहा है जो समुद्र का सबसे खतरनाक जीव माना जाता है। परियोजना के तहत सर्कोपीन डिजाइन की 6 पनडुब्बियों का स्वदेशी निर्माण शामिल है। इन पनडुब्बियों का निर्माण मैसर्स नेवल ग्रुप फ्रांस के सहयोग से मझगांव डॉक मुम्बई में किया जा रहा है।
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भारत लगातार अपनी समुद्री ताकत को मजबूत कर रहा है। इसी वर्ष भारतीय नौसेना को खतरनाक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत और विक्रमादित्य भी मिल चुके हैं। इसके अलावा आईएनएस उदयगिरी परमाणु पनडुब्बी भी नौसेना की ताकत बनी है। अब आईएनएस वागीर के आने से नौसेना की समुद्री ताकत में और अधिक इजाफा हो गया है। पनडुब्बी निर्माण एक जटिल गतिविधि है, क्योंकि कठिनाई तब बढ़ जाती है जब सभी उपकरणों को छोटा करने की आवश्यकता होती है और सभी कार्य कड़े गुणवत्ता की आवश्यकताओं के अधीन होते हैं। एक भारतीय यार्ड में इन पनडुब्बियों का निर्माण ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक और कदम है। 24 महीने की अवधि में भारतीय नौसेना को दी गई तीसरी पनडुब्बी है। इस लिहाज से यह उपलब्धि हौसले को बढ़ाने वाली है। इस पनडुब्बी को जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा। आईएनएस वागीर कलवारी क्लास डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन है। इसकी गति पानी के ऊपर करीब 20 किलोमीटर प्रतिघंटा और पानी के अन्दर 37 किलोमीटर प्रतिघंटा है। यह 15 से 30 हजार किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर सकती है। यह लगातार 50 दिनों तक पानी के अन्दर रह सकती है और 350 फीट की समुद्र की गहराई तक जा सकती है। इसके जरिये 18 एसयूटी टारपीडोज और एसएम .39 एक्सोसेट एंटीशिप मिसाइल को लांच किया जा सकता है। यह पानी के अन्दर समुद्री सुरंग भी बिछा सकती है। एक बार में 30 समुद्री सुरंग बिछाने की क्षमता है। यह दुश्मनों पर अटैक करने के साथ उनकी जासूसी भी कर सकती है। इसकी लम्बाई, चौड़ाई और ऊंचाई क्रमशः 221 फीट, 20 फीट आैर 40 फीट है। यह एंटी टारपीडो काउंटर मेजर सिस्टम से भी लैस है। पानी के अन्दर से ही मिसाइल लांच करने की क्षमता है।
वागीर के भारतीय नौसेना की जागीर बनने से दो दिन पहले स्वदेश निर्मित मिसाइल विध्वंसक युद्धपोत आईएनएस मोरमुगाओ को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। यह युद्धपोत दूरसंवेदी उपकरणों, आधुनिक रडार और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली िमसाइल जैसी हथियार प्रणालियों से लैस है। हिन्द महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी के बीच भारत लगातार अपनी समुद्री क्षमता को मजबूत बना रहा है। चीन के बढ़ते दुस्साहस को देखते हुए भारत ने हिन्द महासागर पर पूरा ध्यान केन्द्रित किया हुआ है, ताकि वह चीन को मुंहतोड़ जवाब दे सके। भारतीय नौसेना के पास इस समय 285 से ज्यादा जहाज, इलैक्ट्रिक पनडुब्बियां, 140 के लगभग गश्ती पोत, निगरानी जहाज भी हैं जो इसे दुनिया में चौथी मजबूत नौसेना बनाते हैं। नौसेना की ताकत से दुश्मन भी थरथर कांप उठता है। भारत जमीनी क्षेत्र में हर खतरे से
निपटने के लिए तैयार है और साथ ही वह अपनी ताकत के बूते पर नौसैनिक क्षेत्र में भी एक बड़ा खिलाड़ी बन रहा है। चीन जिस ढंग से अपनी ताकत के बल पर हिन्द महासागर में अपने अड्डे बना रहा है जिबूटी, पाकिस्तान और म्यांमार में उसने सैनिक अड्डे बनाने का काम शुरू कर दिया है। उसे देखते हुए भारतीय नौसेना का पलड़ा भारी करने की जरूरत लम्बे समय से महसूस की जा रही थी। यह गर्व की बात है कि भारतीय नौसेना अब चीन और पाकिस्तान का हर तरह से जवाब देने में सक्षम है और नए वर्ष में भारतीय नौसेना की ताकत पहले से कहीं अधिक बढ़ जाएगी।
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आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com