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Wheat Price: रूस-यूक्रेन जंग के बीच गेहूं निर्यात की मांग बढ़ने से मध्य प्रदेश के किसानों को फायदा

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। रूस और यूक्रेन, दोनों ही गेहूं के बड़े निर्यातक देश ..

03:15 PM Apr 24, 2022 IST | Desk Team

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। रूस और यूक्रेन, दोनों ही गेहूं के बड़े निर्यातक देश ..

रूस-यूक्रेन युद्ध  की वजह से अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। रूस और यूक्रेन, दोनों ही गेहूं के बड़े निर्यातक देश हैं। इन दोनों देशों से गेहूं की सप्‍लाई रुकने से गेहूं के दाम चढ़ रहे हैं। इसका फायदा भारत को हो रहा है। भारतीय गेहूं की निर्यात मांग अचानक बढ़ गई है। इसी कड़ी में युद्ध के चलते वैश्विक बाजार में मध्य प्रदेश की शरबती एवं कठिया (ड्यूरम) जैसी मशहूर गेहूं किस्मों की मांग में जबर्दस्त इजाफा हुआ है।
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मांग में तेजी आने से मध्य प्रदेश में कारोबारी अच्छी गुणवत्ता वाले गेहूं को 2,015 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी ऊपर के भाव पर खरीद रहे हैं। इसकी वजह से इस साल गेहूं की खेती करने वाले किसानों की किस्मत चमक गई है।
देशों से इसकी आपूर्ति बाधित हो गई
रूस और यूक्रेन की गिनती गेहूं के प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ताओं में होती है। लेकिन इन दोनों प्रमुख गेहूं उत्पादक देशों के बीच जंग छिड़ने के कारण दोनों देशों से इसकी आपूर्ति बाधित हो गई है। इस स्थिति में कई मुल्क भारत समेत अन्य देशों से गेहूं खरीद रहे हैं। पश्चिमी देशों के लगाए प्रतिबंधों ने भी रूस के गेहूं निर्यात को घटा दिया है।धार जिले के लोहारी बुजुर्ग गांव के किसान बनेसिंह चौहान ने रविवार को कहा, ‘‘इस बार अच्छी गुणवत्ता वाले गेहूं के लिए व्यापारी किसानों के घर भी पहुंच रहे हैं। वे 2,200 रुपये से लेकर 2,500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर शरबती किस्म का गेहूं खरीद कर किसानों को तुरंत भुगतान भी कर रहे हैं।’’
किसानों से गेहूं खरीदने को लेकर व्यापारियों के बीच ऐसी होड़ पहले कभी नहीं देखी
चौहान ने कहा कि उन्होंने किसानों से गेहूं खरीदने को लेकर व्यापारियों के बीच ऐसी होड़ पहले कभी नहीं देखी। मध्य प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड के प्रबंध निदेशक विकास नरवाल ने कहा कि खुले बाजार में गेहूं की ऊंची कीमतों के कारण सूबे में इन दिनों गेहूं की सरकारी खरीद में 30 प्रतिशत की गिरावट देखी जा रही है। उन्होंने कहा, ‘‘रूस-यूक्रेन संकट के कारण इस बार प्रदेश के गेहूं की निर्यात की मांग में जबर्दस्त उछाल है और मंडियों में इस खाद्यान्न की बम्पर आवक हो रही है।
किसानों से गेहूं खरीदने को लेकर व्यापारियों के बीच ऐसी होड़ पहले कभी नहीं देखी
नरवाल ने बताया कि पिछले विपणन सत्र के दौरान राज्य से 1.76 लाख टन गेहूं निर्यात किया गया था, जबकि मौजूदा विपणन सत्र में पिछले एक महीने के भीतर ही करीब 2.5 लाख टन गेहूं निर्यात किया जा चुका है और अभी सत्र खत्म होने में करीब दो महीने बाकी हैं। उन्होंने बताया कि व्यापारी मध्यप्रदेश के किसानों से शरबती और ड्यूरम गेहूं खरीद कर मुख्यतः संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), बांग्लादेश, वियतनाम और फिलीपींस को निर्यात कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश के गेहूं में दिलचस्पी दिखा रहे 
नरवाल ने कहा, इस बार अफ्रीका और इस महाद्वीप से लगे मुल्कों के आयातक भी मध्य प्रदेश के गेहूं में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। आने वाले दिनों में मध्य प्रदेश का गेहूं मिस्र, जिम्बाब्वे, मोजांबिक और तंजानिया तक भी पहुंच सकता है।उन्होंने बताया कि राज्य में 2021-22 रबी सत्र के दौरान 95.51 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुआई हुई थी और इसका उत्पादन 346.70 लाख टन रहने का अनुमान है।

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