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त्रिपुरा में अफसर बनकर 200 करोड़ का फर्जीवाड़ा, ईडी ने कई राज्यों में की छापेमारी

11:58 PM Aug 27, 2025 IST | Rahul Kumar Rawat
त्रिपुरा में अफसर बनकर 200 करोड़ का फर्जीवाड़ा  ईडी ने कई राज्यों में की छापेमारी

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), अगरतला सब जोनल ऑफिस ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत त्रिपुरा के उत्पल कुमार चौधरी के खिलाफ चल रही जांच के सिलसिले में कई राज्यों में रेड मारी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने दिल्ली, त्रिपुरा, हरियाणा और पश्चिम बंगाल स्थित विभिन्न परिसरों में तलाशी अभियान चलाया। पश्चिम बंगाल की पुलिस ने उत्पल कुमार चौधरी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इसके आधार पर ईडी ने जांच शुरू की। इस जांच में पता चला कि उसने ऐसी संस्थाओं का एक जाल बिछा रखा था जिनके नाम सरकारी या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों जैसे उच्च शिक्षा निदेशालय, त्रिपुरा, ब्रिज एंड रूफ कंपनी और भारतीय परिधान परिषद निदेशालय से मिलते-जुलते थे। प्रतिष्ठित सरकारी संस्थाओं और सार्वजनिक उपक्रमों से मिलते-जुलते संस्थाओं या कंपनियों के नाम शामिल करके उसने जनता को ऐसी नकली संस्थाओं में पैसा लगाने के लिए प्रेरित किया।

सरकारी अफसर बनकर करोड़ों की ठगी

उत्पल कुमार चौधरी ने भारत सरकार में उच्च पदस्थ अधिकारी होने का ढोंग रचा और सरकारी ऋण प्राप्त करने के झूठे आश्वासन के आधार पर कई लोगों को धोखा दिया। वह खुद को त्रिपुरा के उच्च शिक्षा निदेशालय का प्रमुख बताता था और त्रिपुरा से छात्रों को उनके संस्थानों में भेजने का वादा करके कई शिक्षण संस्थानों को धोखा दिया। साथ ही उसने त्रिपुरा के उच्च शिक्षा निदेशालय के अंतर्गत विभिन्न संस्थानों में भोजन का टेंडर देने का झूठा वादा करके कई व्यक्तियों को भी धोखा दिया। आरोपी ने धोखाधड़ी से विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम के तहत पंजीकृत चलतखाली स्वामीजी सेवा संघ नामक एक गैर सरकारी संगठन को अपने नियंत्रण में लिया और लोगों के कालेधन को सफेद करने के लिए उसका बैंक खाता खोला।

बैंक के माध्यम से पैसों की लेनदेन

जांच में यह पाया गया कि ऐसे बैंक खातों में लेनदेन के माध्यम से धन की लूट की गई। प्राथमिक जांच से पता चलता है कि चलतखाली स्वामीजी सेवा संघ के माध्यम से हरियाणा, कोलकाता और दिल्ली स्थित विभिन्न संस्थाओं को किराए के बैंक खातों के माध्यम से रबर के फर्जी कारोबार के नाम पर 200 करोड़ रुपए से अधिक की लूट की गई है। उत्पल कुमार चौधरी और उनके सहयोगियों द्वारा त्रिपुरा समेत कई राज्यों में दिखाया गया रबर का कारोबार फर्जी पाया गया, क्योंकि रबर की वास्तविक बिक्री या खरीदी का कोई रिकॉर्ड नहीं था। सिर्फ कागजों पर ही बिक्री या खरीद दिखाई गई थी। रबर के सामान के परिवहन का भी कोई विवरण नहीं मिला। ट्रस्ट का उपयोग उपरोक्त संस्थाओं को प्रविष्टियां देने के लिए किया गया था और कई मामलों में आय को वैध बनाने के बाद भारी मात्रा में नकद निकासी की गई है। उत्पल कुमार चौधरी की त्रिपुरा सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ घनिष्ठता थी, जो उसे विभिन्न व्यापारियों से उच्च पदस्थ अधिकारी के रूप में परिचित कराते थे। व्यापारियों के साथ इस तरह की जान-पहचान के माध्यम से उसने उन्हें विभिन्न सरकारी ठेके दिलाने के झूठे वादे करके ठगा था।

फर्जी पहचान पत्र और कैश बरामद

पूछताछ में पता चला कि त्रिपुरा सरकार के ऐसे वरिष्ठ अधिकारियों को बड़ी रकम का भुगतान किया गया था। तलाशी के दौरान विभिन्न डिजिटल और फिजिकल साक्ष्य, त्रिपुरा सरकार के विभिन्न विभागों जैसे खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता विभाग, उच्च शिक्षा निदेशालय, प्राथमिक विद्यालय, अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के स्टाम्प और गृह मंत्रालय, भारत सरकार के फर्जी पहचान पत्र बरामद किए गए और उन्हें जब्त कर लिया गया। इसके अलावा, 7 लाख रुपए की नकदी जब्त की गई और लगभग 60 लाख रुपए की कुल शेष राशि वाले बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया। त्रिपुरा के विभिन्न स्थानों में अचल संपत्ति और भूमि में निवेश के संबंध में आपत्तिजनक साक्ष्य मिले हैं। उत्पल कुमार चौधरी वर्तमान में हरियाणा जेल में हैं।

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Rahul Kumar Rawat

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