Sardar Vallabhbhai Patel की 150वीं जयंती, स्कूल-कॉलेज के लिए तैयार कर रहे हैं भाषण, तो ये स्पीच बढ़ा देगी आपका जज्बा
Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Speech in Hindi: भारत के इतिहास में 31 अक्टूबर का दिन विशेष महत्व रखता है। इसी दिन देश के महान नेता और "लौह पुरुष" कहे जाने वाले सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म हुआ था। वर्ष 2025 में हम उनकी 150वीं जयंती मना रहे हैं। सरदार पटेल को भारत की एकता और अखंडता के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है। उनकी जयंती को हर साल देशभर में राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के रूप में मनाया जाता है।
Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Speech in Hindi: राष्ट्रीय एकता दिवस का महत्व

सरदार पटेल ने देश की आज़ादी के बाद भारत को एक मजबूत राष्ट्र के रूप में एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने 550 से अधिक रियासतों को भारत गणराज्य में मिलाने का कठिन कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया। उनकी इसी दूरदर्शिता और दृढ़ निश्चय के कारण उन्हें “भारतीय एकता के शिल्पकार” कहा जाता है।
इस दिन पूरे देश में ‘रन फॉर यूनिटी’ (Run for Unity) जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेता देशवासियों से इसमें भाग लेने की अपील करते हैं ताकि सरदार पटेल के “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के सपने को साकार किया जा सके।
Sardar Patel Jayanti 2025: ‘रन फॉर यूनिटी’ अभियान
राष्ट्रीय एकता दिवस पर देश के हर कोने में लाखों लोग ‘रन फॉर यूनिटी’ में भाग लेते हैं। यह दौड़ केवल एक खेल आयोजन नहीं, बल्कि देश की एकता, अखंडता और सामूहिक भावना का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि इस दिन हर नागरिक को एकता की इस दौड़ में शामिल होकर सरदार पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि देनी चाहिए।
सरदार पटेल का जीवन और योगदान

सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड गांव में हुआ था। वे पेशे से वकील थे, लेकिन महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया। आज़ादी के बाद वे भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और पहले गृहमंत्री बने।
देश की आज़ादी के समय भारत कई रियासतों में बंटा हुआ था। उस समय पटेल ने अपनी सूझबूझ, कूटनीति और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर सभी रियासतों को एक राष्ट्र में जोड़ा। हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर जैसे जटिल राज्यों के भारत में विलय का श्रेय भी उन्हें ही जाता है। उन्होंने प्रशासनिक ढांचे को मजबूत किया और एक एकीकृत भारत की नींव रखी।
युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा

सरदार पटेल का जीवन समर्पण, निष्ठा और देशभक्ति का प्रतीक है। वे मानते थे कि अगर देश को मजबूत बनाना है, तो हर नागरिक को एकजुट होकर कार्य करना चाहिए। उनकी दृढ़ता और निर्णय क्षमता आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत है। स्कूलों और कॉलेजों में इस दिन क्विज, निबंध और भाषण प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जिनमें उनके योगदान और आदर्शों पर चर्चा की जाती है। यह हमारे लिए उन्हें बेहतर समझने और उनके आदर्शों को जीवन में उतारने का अवसर होता है।
Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti Speech

आदरणीय प्रिंसिपल सर, सभी अध्यापकगण और मेरे प्यारे साथियों,
सुप्रभात!
आज हम सब यहां भारत के लौह पुरुष, एकता के प्रतीक और महान स्वतंत्रता सेनानी सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद नामक स्थान पर हुआ था। वे एक साधारण किसान परिवार से थे, लेकिन अपने कर्म और संकल्प से उन्होंने देश के इतिहास में अमिट छाप छोड़ी।
जब भारत आजाद हुआ, तब देश में 550 से ज्यादा रियासतें थीं। यह स्थिति भारत की एकता के लिए बड़ी चुनौती थी। उस समय देश को एक सूत्र में बांधने का कार्य सरदार पटेल ने किया। वे भारत के पहले गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री थे। अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति, समझदारी और कुशल नेतृत्व से उन्होंने सभी रियासतों को भारत में मिलाकर एक अखंड राष्ट्र का निर्माण किया। इसी कारण उन्हें राष्ट्रीय एकता का शिल्पकार कहा जाता है।
सरदार पटेल को भारत का बिस्मार्क भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी देश की एकता को सबसे ऊपर रखा। उन्होंने राजाओं को समझाया कि स्वतंत्र रहना किसी के हित में नहीं है और भारत का हिस्सा बनना ही सबके भविष्य के लिए सही रास्ता है। उनकी इसी दूरदर्शिता के कारण हम आज एक मजबूत भारत के रूप में खड़े हैं।
सरदार पटेल ने वकालत की पढ़ाई लंदन से की थी और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया। 1918 के खेड़ा आंदोलन और 1928 के बारडोली सत्याग्रह में उन्होंने किसानों का नेतृत्व किया। बारडोली आंदोलन की सफलता के बाद ही उन्हें “सरदार” की उपाधि मिली।
1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। महात्मा गांधी ने उन्हें “लौह पुरुष” कहा था, क्योंकि वे कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अडिग रहते थे। सरदार पटेल का मानना था कि देश की एकता बनाए रखने में प्रशासन की अहम भूमिका है, इसलिए उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) को बहुत महत्व दिया और इसे देश का “स्टील फ्रेम” कहा।
सरदार पटेल जी का निधन 15 दिसंबर 1950 को मुंबई में हुआ। उन्हें वर्ष 1991 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनकी जयंती को पूरे देश में राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन “रन फॉर यूनिटी” का आयोजन किया जाता है, जो हमें एकता, भाईचारे और देश की अखंडता का संदेश देता है। साथियों, आज हमें सरदार पटेल के जीवन से प्रेरणा लेकर देश की एकता, शांति और विकास के लिए काम करने का संकल्प लेना चाहिए। उनका जीवन हमें सिखाता है कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं होती।
इसी के साथ मैं अपना भाषण समाप्त करता हूं।
धन्यवाद।
जय हिंद! जय भारत!

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