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अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा यात्रा का शुभारंभ, श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब

21 दिनों तक चलेगी 84 कोसी परिक्रमा यात्रा

02:41 AM Apr 14, 2025 IST | IANS

21 दिनों तक चलेगी 84 कोसी परिक्रमा यात्रा

अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा यात्रा का शुभारंभ हुआ, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। यह यात्रा 21 दिनों तक चलेगी और अयोध्या, बस्ती, अंबेडकर नगर, बहराइच, और गोंडा जिलों से होकर गुजरेगी। परिक्रमा के दौरान श्रद्धालु आध्यात्मिक साधना और मोक्ष की प्राप्ति के लिए विभिन्न धार्मिक स्थलों का दौरा करेंगे।

धर्मनगरी अयोध्या से रविवार को 84 कोसी परिक्रमा यात्रा का शुभारंभ हुआ। धर्मार्थ सेवा संस्थान और ठाकुर नरोत्तम भगवान ट्रस्ट के तत्वावधान में यह यात्रा निकाली गई है। अयोध्या के नरोत्तम भवन, रायगंज से साधु-संतों का एक विशाल जत्था परिक्रमा के लिए रवाना हुआ। परिक्रमा यात्रा की शुरुआत मखोड़ा धाम के लिए हुई, जो भगवान दशरथ द्वारा त्रेता युग में यज्ञस्थल के रूप में प्रसिद्ध है। श्रद्धालु पहले सरयू तट तक पैदल पहुंचे और वहां से वाहनों द्वारा मखोड़ा धाम के लिए प्रस्थान किया। बताया गया कि सोमवार सुबह पांच बजे 84 कोसी परिक्रमा का विधिवत शुभारंभ होगा, जो 21 दिनों तक चलेगी। यह यात्रा अयोध्या, बस्ती, अंबेडकर नगर, बहराइच, और गोंडा जिलों की सीमाओं से होते हुए 4 मई को मखोड़ा धाम पहुंचेगी। 5 मई को यात्रा का विश्राम अयोध्या के सरयू तट पर होगा, और 6 मई को रामकोट में विशाल महायज्ञ और पैगाम मार्च के साथ समापन किया जाएगा।

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बता दें कि 84 कोसी परिक्रमा की यह परंपरा सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। शास्त्रों के अनुसार, इस परिक्रमा को मन, वचन और कर्म से पूरा करने वाले को पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है, यही कारण है कि देशभर से श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं। अयोध्या की चार शास्त्रीय सीमाएं इस परिक्रमा में विशेष महत्व रखती हैं। उत्तर दिशा में मखोड़ा धाम (उत्तरी फाटक), पूर्व दिशा में सिंह ऋषि का आश्रम (पूर्वी फाटक), दक्षिण दिशा में महाराज परीक्षित का आश्रम (दक्षिणी फाटक) और पश्चिम दिशा में अगस्त्य मुनि का आश्रम, भंवरीगंज, गोंडा (पश्चिमी फाटक) हैं।

यह चार दिशाएं अयोध्या की आध्यात्मिक सीमाएं मानी जाती हैं। मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान राम जिस मार्ग से वनगमन करते हुए ऋषि-मुनियों के आश्रमों में गए थे, उन्हीं पथों को जोड़कर यह 84 कोसी परिक्रमा निर्धारित की गई है।

हर वर्ष हजारों श्रद्धालु इस परिक्रमा में भाग लेते हैं, और इस बार भी लगभग 1500 श्रद्धालु यात्रा में शामिल हुए हैं। यह यात्रा पूरी तरह से धार्मिक आस्था, आध्यात्मिक साधना और मोक्ष की प्राप्ति के उद्देश्य से की जाती है।

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