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विकसित भारत के लिए प्रगति की एक नई समुद्री लहर

05:00 AM Sep 20, 2025 IST | Editorial
विकसित भारत के लिए प्रगति की एक नई समुद्री लहर
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हमारे जैसे विशाल और विविध राष्ट्र के लिए, 2047 तक एक विकसित देश, विकसित भारत, बनने की यात्रा के लिए हमें प्रत्येक संसाधन और प्रत्येरक उपलब्ध अवसर पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसमें अब तक अनछुए या कम अनछुए संसाधन भी शामिल हैं। ऐसे समय में यह महत्वपूर्ण हो जाता है जब हमारा लक्ष्य अर्थव्यवस्था की चौथी रैंकिंग से पहली रैंकिंग तक पहुंचने का हो। दशकों से, हमारा ध्यान मुख्य रूप से अपने भूमि संसाधनों की क्षमता का इस्तेमाल करने पर रहा है। हमने राजमार्ग बनाए हैं, रेल नेटवर्क का विस्तार किया है, उद्योगों का विकास किया है और अपने खेतों में पैदावार की है। लेकिन आज जब हम अपने इतिहास के इस निर्णायक दौर, अमृतकाल से गुजर रहे हैं, हम यह समझते हैं कि हमारा सबसे बड़ा अप्रयुक्त संसाधन केवल ज़मीन पर ही नहीं, बल्कि हमारे देश को घेरे हुए विशाल नीले सागर में भी निहित है।

ब्लू इकोनॉमी सिर्फ़ एक और क्षेत्र नहीं है, यह विकास के लिए हमारी नई विशिष्ट सीमा है, समृद्धि, स्थिरता और राष्ट्रीय शक्ति का मार्ग है। इसे देश के विकसित भारत के दृष्टिकोण के एक प्रमुख केंद्र बिंदु के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। यह एक व्यापक और शक्तिशाली अवधारणा है जिसमें मत्स्य पालन, बंदरगाह और नौवहन जैसी पारंपरिक गतिविधियों से लेकर समुद्री जैव प्रौद्योगिकी, पर्यावरण-पर्यटन, नवीकरणीय समुद्री ऊर्जा और गहरे समुद्र में नई संभावना तलाशने जैसे अत्याधुनिक नए क्षेत्र शामिल हैं। ब्लू इकोनॉमी इसे भारत के कानूनी अधिकार क्षेत्र में समुद्री और तटीय क्षेत्रों में समुद्री संसाधनों और मानव निर्मित आर्थिक बुनियादी ढांचे की संपूर्ण प्रणाली को शामिल करते हुए परिभाषित करती है। यह आर्थिक विकास, पर्यावरणीय स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा से स्पष्ट रूप से जुड़े वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में सहायता करती है। अब 11,098 किलोमीटर से अधिक विस्तारित संशोधित तटरेखा और 2.4 मिलियन वर्ग किलोमीटर में फैले विशाल अनन्य आर्थिक क्षेत्र के साथ, भारत इस महासागर-आधारित विकास यात्रा में अग्रणी बनने के लिए बहुत अच्छी स्थिति में है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, ब्लू इकोनॉमी नए भारत के विकास दृष्टिकोण के एक प्रमुख स्तंभ के रूप में उभरी है। इसमें समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग के माध्यम से 100 बिलियन अमरीकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। ब्लू इकोनॉमी न केवल रोजगार सृजित करेगी, बल्कि हमारे तटीय समुदायों का सहयोग, समुद्री इको-सिस्ट्म की रक्षा और हमारी वैश्विक समुद्री उपस्थिति को मजबूत करने में भी महत्वापूर्ण भूमिका निभाएगी। अब हम ब्लू इकोनॉमी 2.0 में हैं, यह नया चरण अधिक आधुनिक और दूरदर्शी है। यह नया चरण न केवल पारंपरिक क्षेत्रों बल्कि उभरते, उच्च-संभावित क्षेत्रों पर केंद्रित है जो हमारे भविष्य को परिभाषित करेंगे। प्रमुख पहलों के माध्यम से हमारे प्रयास पहले से ही गतिमान हैं। डीप ओशन मिशन हमारे पनडुब्बी जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करके गहरे समुद्र का अन्वेषण करने में मदद कर रहा है। इसका उद्देश्य रणनीतिक संसाधनों की खोज करना और भविष्य के लिए नई तकनीकों का निर्माण करना है। हमारा दृष्टिकोण इससे कहीं आगे जाना है।

यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जो लोगों को सशक्त बनाता है और हमारी धरती की रक्षा करता है। समुद्री शैवाल की खेती और पर्यावरण-अनुकूल पर्यटन जैसे स्थायी क्षेत्रों में महिलाओं को नेतृत्व करने के लिए प्रोत्साहित करके उनके सशक्तिकरण के लिए नए अवसर पैदा करना इसमें शामिल है। प्रौद्योगिकी और स्टार्टअप्स पर हमारा ध्यान एक आत्मनिर्भर भारत बनाने की हमारी योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, एक ऐसा राष्ट्र जो न केवल उपभोग करे बल्कि सृजन भी करे। स्थायित्व और जलवायु परिवर्तन हमारी ब्लू इकोनॉमी के मूल में हैं। हम स्वच्छ और हरित गतिविधियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। भारत वैश्विक महासागर शासन में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। जी-20 की अध्यक्षता के दौरान, हमने सतत ब्लू इकोनॉमी के लिए चेन्नई उच्च-स्तरीय सिद्धांतों का शुभारंभ किया। इससे उत्तरदायी महासागर विकास के लिए एक वैश्विक ढांचा तैयार हुआ। लक्षद्वीप में भारत का ऊर्जा संयंत्र एक बड़ी उपलब्धि है। महासागरों और लोगों के हित में विज्ञान-आधारित निर्णय लेने हेतु अन्य विकसित देशों और बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ साझेदारी को मज़बूत कर रहे हैं। हमने वैश्विक स्तर पर समुद्री जैव विविधता के संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए ऐतिहासिक राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैव विविधता (बीबीएनजे) समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं।

हाल ही में, भारत ने फ्रांस के नीस में संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन (यूएनओसी3) में भाग लिया, जहां हमने एसएएचएवी पोर्टल लॉन्च किया। यह समुद्री स्थानिक नियोजन जैसी ब्लू इकोनॉमी पहलों में समन्वय, ज्ञान साझाकरण और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए एक अग्रणी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है। विकसित भारत हम सबकी यात्रा है। ब्लू इकोनॉमी हमारे महासागरों की पूरी शक्ति का ज़िम्मेदारी से उपयोग करने की एक राष्ट्रीय प्रतिबद्धता है। अपने लोगों को सशक्त बनाकर, अपनी प्रकृति की रक्षा करके और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में निवेश करके, हम एक ऐसे समुद्री भविष्य का निर्माण कर रहे हैं जिससे सभी भारतीयों को लाभ होगा। जैसे-जैसे हम 2047 की ओर देखते हैं, ब्लू इकोनॉमी के पीछे एक प्रेरक शक्ति होगी -एक ऐसा भारत जो समृद्ध, समावेशी और पारिस्थितिक रूप से सुरक्षित होगा। लहर हमारे साथ है, और हम इसे एक उज्जवल भविष्य की ओर ले जाने के लिए तैयार हैं। -लेखक केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान और प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री हैं।

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