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भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि, शुरुआती हड्डी कैंसर का पता लगाएगा नया उपकरण

04:57 PM Jun 29, 2025 IST | Aishwarya Raj
भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि  शुरुआती हड्डी कैंसर का पता लगाएगा नया उपकरण
भारतीय वैज्ञानिकों की बड़ी उपलब्धि, शुरुआती हड्डी कैंसर का पता लगाएगा नया उपकरण

उत्तर प्रदेश में आईआईटी (बीएचयू) के शोधकर्ताओं ने एक बड़ी वैज्ञानिक सफलता हासिल की है। उन्होंने एक छोटा, स्वचालित डायग्नोस्टिक उपकरण बनाया है जो हड्डी के कैंसर को शुरुआती चरण में बहुत सटीकता से पहचान सकता है।यह अपनी तरह का पहला सेंसर है, जो ऑस्टियोपॉन्टिन (ओपीएन) का पता लगाता है। यह हड्डी के कैंसर के लिए एक प्रमुख बायोमार्कर है। स्कूल ऑफ बायोकेमिकल इंजीनियरिंग के डॉ. प्रांजल चंद्रा के नेतृत्व वाली अनुसंधान टीम ने बताया कि यह उपकरण बिना किसी रसायन के काम करता है, इसे आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है और यह सस्ता भी है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह उपकरण ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बहुत उपयोगी है।

उपकरण ग्लूकोज मीटर की तरह काम करता है

यह उपकरण ग्लूकोज मीटर की तरह काम करता है और सीमित संसाधनों वाली परिस्थितियों में भी शीघ्र, सटीक और तत्काल पता लगाने में सक्षम है। यह उपकरण सोने और रेडॉक्स-सक्रिय नैनो-मटेरियल से बनी एक कस्टम सेंसर सतह का उपयोग करता है, जिससे यह ग्लूकोज मीटर के समान कार्य करता है। प्रोफेसर चंद्रा ने कहा कि यह तकनीक कैंसर का पता लगाना आसान बनाती है और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सशक्त बनाती है। प्रतिष्ठित जर्नल नैनोस्केल (रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री, यूके) में यह निष्कर्ष प्रकाशित किया गया है। ओपीएन ओस्टियोसारकोमा से जुड़ा एक महत्वपूर्ण बायोमार्कर है, जो हड्डी के कैंसर का एक अत्यधिक आक्रामक रूप है। यह मुख्य रूप से बच्चों और किशोरों को प्रभावित करता है।

सही परिणाम देता है

मौजूदा तरीकों से ओपीएन की पहचान करना महंगा और समय लेने वाला है, लेकिन यह नया उपकरण कम समय में, कम उपकरणों के साथ तेज और सही परिणाम देता है।इसे अभिकर्मक रहित इम्यूनोसेंसर के रूप में डिजाइन किया गया है, जो मौके पर और किफायती जांच को सक्षम बनाता है। यह विशेष रूप से ग्रामीण और संसाधन-विवश क्षेत्रों में लाभदायक है, जहां कैंसर का पता लगाने में अक्सर देरी होती है। भारत में कैंसर एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता का विषय है, जिसके मामलों की दर और मृत्यु दर में भारी वृद्धि हो रही है।

निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने इसे आम आदमी के लिए प्रौद्योगिकी का एक बेहतरीन उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि यह सटीक चिकित्सा और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकताओं में योगदान देता है। यह सरकार की मेक इन इंडिया और स्टार्ट-अप इंडिया पहलों के अनुरूप है। शोधकर्ताओं ने बताया कि पेटेंट के लिए आवेदन दायर कर दिया गया है और दूरस्थ स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच के लिए प्रोटोटाइप को स्मार्टफोन-कम्पैटिबल डायग्नोस्टिक किट में परिवर्तित करने के प्रयास चल रहे हैं।

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Aishwarya Raj

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