एसिड अटैक को रोकना होगा
इसमें कोई शक नहीं कि आज की युवा पीढ़ी बहुत आगे बढ़ गई है और वह देश का भविष्य भी है।
12:40 AM Dec 18, 2022 IST | Kiran Chopra
Advertisement
इसमें कोई शक नहीं कि आज की युवा पीढ़ी बहुत आगे बढ़ गई है और वह देश का भविष्य भी है। लेकिन यह युवा पीढ़ी किस दिशा में जा रही है और क्यों जा रही है? यह अपने आप में सोचने और चौंकाने वाली बात है। किसी भी लड़के और लड़की के बीच एकतरफा प्यार इस कदर परवान चढ़ जाए कि लड़की के इंकार के बावजूद लड़के की तरफ से लड़की पर हमला कर दिया जाए तो इसे क्या कहेंगे? तीन दिन पहले द्वारका में एक स्कूली छात्रा जो कि नाबालिग है, जब वह अपनी बहन के साथ स्कूल जा रही थी तो बाइक सवार दो लड़कों ने उस पर एसिड फेंक दिया और भाग गए सब कुछ सीसीटीवी फुटेज में कैद हो गया। तीनों हमलावर पकड़ लिये गये हैं लेकिन बात यही खत्म नहीं हो जाती। एसिड अटैक का दर्द परिवार वाले कभी भूल नहीं पायेंगे। एसिड से हमला अपने आपमें गैर कानूनी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार एसिड की बिक्री बैन है, फिर भी एसिड यानि कि तेजाब ऑनलाइन मंगवाया गया। ऐसे में कई सवाल खड़े होते हैं। समाज में नई पीढ़ी अर्थात यूथ को यह क्या हो गया है। यह कैसी विडंबना है कि प्यार के नाम पर जब कोई लड़की इंकार कर दे या तो उसे गोली मार दी जाती है या हमला कर दिया जाता है और इस मामले में एसिड अटैक का पुराना इतिहास चौंकाने वाला है कि किस प्रकार एसिड अटैक की शिकार लक्ष्मी अग्रवाल जैसी कितनी लड़कियां आज संघर्ष कर रही हैं। लक्ष्मी पर 2005 में एसिड फेंका गया था और उसने अपना इलाज कैसे कराया होगा? उसे कितनी शारीरिक और मानसिक यातनाएं हुईं होंगी यह सवाल हमलावरों से पूछा जाना चाहिए। कई डिबेट्स में जब मुझसे राय पूछी जाती है तो मेरी कल भी यही राय थी, आज भी यही राय है कि हमलावरों को सजा का प्रावधान तुरंत होना चाहिए ताकि कभी भविष्य में कोई ऐसी वारदात के बारे में सोच भी न सकें।
Advertisement
हमारा मानना है कि पुलिस अपना काम कर रही है और आज की तारीख में जिस तरह से टैक्रालॉजी के चलते हमारा युवा वर्ग एक-दूसरे से अपने विचारों की अभिव्यक्ति कर रहा है, उस पर माता-पिता का नियंत्रण बहुत जरूरी है। मोबाइल जीवन का एक हिस्सा बन चुका है। इसी मोबाइल पर एक-दूसरे से मित्रता और चैटिंग के सहारे लोग एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं। लेकिन परिणाम इस हद तक भी निकल सकते हैं यह अपने आप में चौंकाने वाली बात है। आजकल की युवा पीढ़ी इतनी फ्रेंक हो चुकी है कि वे अपने भविष्य का फैसला तेजी से पनप रहे लिव-इन रिलेशन को भी अपने जीवन का हिस्सा मान रहे हैं। कल तक यह बड़े शहरों में था, बड़ी सोसाईटी में था लेकिन कानूनी संरक्षण पाकर लड़के-लड़कियां खुलेआम अपनी ही शैली में जीवन जी रहे हैं। मैं तो यही कहूंगी कि अब मर्यादाएं भी टूट रही हैं। घर-परिवारों के सिस्टम बदल रहे हैं। नये पीढ़ी के बच्चे आधुनिकता को अपना चुके हैं। सेलिब्रिटिज या सोशल मीडिया पर प्रचलित ओटीटी कंटेंट से प्रेरित लड़के-लड़कियां दिन और शाम तो छोड़ो रात तक भी अकेले आने-जाने में गुरेज नहीं करते। यहीं से नजदीकियां बढ़ रही है। वे शादी जैसे बंधन में ना बंधकर लिव-इन रिलेशन में रहना चाहते हैं। इस तरह की बातें सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही हैं। सबसे बड़ी बात है कि स्कूली स्तर पर अगर किसी भी लड़की से अगर लड़का मित्रता करना चाहता है और लड़की मना करती है तो यह बात यहीं खत्म हो जानी चाहिए। लेकिन लड़का जब सनकी हो जाता है तो फिर इस तरह का कदम अगर वह उठा लें तो सजा जरूरी है। कई केस ऐसे हैं कि जिनमें अभी तक कोई सजा नहीं दी गई। हमारी कानूनी प्रक्रिया ही ऐसी है कि वर्षों तक केस चलते हैं। जुबेनाइल दस-दस साल तक जमानते पाकर बच जाते हैं। यही वजह है कि ऐसी हृदय विदारक घटनाएं होती रहती हैं।
Advertisement
समाज में वैसे ही रिश्तों के कत्ल जैसी बातें रोज सुन रहे हैं। सगे संबंधियों के बीच अपराधिक घटनाएं बढ़ रही हैं। कोर्टों में ऐसे केसों के अंबार लगे हुए हैं लेकिन एक बच्ची पर एसिड फैंका गया है हमलावरों को सजा देने की प्रक्रिया भी जल्द होनी चाहिए, अगर यह मांग कोई कर रहा है तो गलत नहीं है। अगर हमलावर को वर्षों तक सजा ही नहीं मिलेगी तो यह बात जरूर गलत है। निर्भया रेप कांड किसी को भूला नहीं, श्रद्धा का मामला भी सबके सामने है और अब इस नाबालिग स्कूली छात्रा का केस चंद दिन पहले हुआ है। दिल्ली जैसे महानगर में युवा वर्ग में यह कैसी मानसिकता पनप रही है इसका हल ढूंढा जाना चाहिए। मां-बाप को अलर्ट रहना चाहिए और हमलावरों को तुरंत सजा मिलनी चाहिए यही समय की मांग है।
Advertisement

Join Channel