भारत के दबाव में कनाडा सरकार की आतंकियों पर कार्रवाई
भारत की सरकार और अन्य संगठनों के द्वारा निरन्तर कनाडा की सरकार को चेतावनी दी जा रही थी कि कनाडा में खालिस्तानियों पर कार्रवाई होनी चाहिए, अन्यथा आने वाले दिनों में कनाडा का हाल भी पाकिस्तान जैसे देशों जैसा ही होने वाला है। शायद इसी के चलते आतंकी संगठन सिख फार जस्टिस के मुख्यिा गुरपतवंत सिंह पन्नू के करीबी माने-जाने वाले खालिस्तानी आतंकवादी इंद्रजीत सिंह गोसल को कनाडा की पुलिस ने गिरफ्तार किया है। गोसल पर हथियारों और हिंसक गतिविधियों के आरोप हैं। उसकी गिरफ्तारी से खालिस्तानी नेटवर्क को बड़ा झटका लगा और भारत की अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की सफलता सामने आई है। यह गिरफ्तारी ऐसे समय हुई है जब भारत लगातार विदेशों में खालिस्तानी गतिविधियों पर निगरानी और दबाव बढ़ा रहा है। इस गिरफ्तारी के पीछे भारत की कूटनीतिक सक्रियता और खुफिया जानकारी का बड़ा हाथ माना जा रहा है। इंद्रजीत सिंह गोसल लंबे समय से कनाडा में पन्नू के प्रभाव के तहत सक्रिय था और भारत विरोधी गतिविधियों में सीधे शामिल रहा। यह भी माना जा रहा है कि गोसल की गिरफ्तारी ने भारत और कनाडा के बीच सुरक्षा सहयोग की एक मजबूत मिसाल पेश की है।
गोसल पर आरोप है कि वह कनाडा में खालिस्तान के लिए जनमत संग्रह को संगठित करता रहा और हिंसक गतिविधियों में भी शामिल रहा और पिछले साल नवंबर में एक हिंदू मंदिर पर हुई हिंसक घटना में भी उसका नाम सामने आया था, हालांकि तब उसे शर्तों के साथ रिहा कर दिया गया था। मिली जानकारी के मुताबिक भारत में एनएसए मुखिया अजीत डोभाल के द्वारा कनाडा को विस्तृत खुफिया रिपोर्ट और वित्तीय लेन-देन के सबूत उपलब्ध कराए गए। इन दस्तावेजों में गोसल और पन्नू के सीधे संबंधों के प्रमाण शामिल थे। एनएसए डोभाल ने कनाडा सरकार को सख्त संदेश दिया कि खालिस्तानी आतंकवादियों को वहां पनपने नहीं दिया जाएगा। उनके दबाव और उपलब्ध कराए गए सबूतों के चलते कनाडाई एजेंसियों ने गोसल पर कार्रवाई करने का फैसला लिया।
गैर सिखों की सिख धर्म में आस्था : सिख धर्म की नींव गुरु नानक देव जी ने रखी थी और गुरु गोबिन्द सिंह जी के द्वारा खालसा पंथ सजाया गया। इसके पीछे मकसद यही था कि हजारों के बीच भी दूर से ही खालसा पहचान में आ जाए। उसके बाद से वह लोग जिनकी आस्था गुरु घर के प्रति रहती और घर के एक बच्चे को सिखी स्वरूप में लाया जाता, मगर बाकी समूचा परिवार भी पूरी श्रद्धा भावना के साथ गुरुघर की सेवा करता। आज भी ऐसे हजारों लाखों परिवार हैं जो बिना सिखी स्वरूप धारण किए मानवता की सेवा में तत्पर हैं। इनमें सिन्धी समाज के लोग बहुत अधिक हैं जो गुरु नानक देव जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए अपना जीवन व्यतीत करते आ रहे हैं। इन्हीं में एक है मुम्बई का रूपचंदानी परिवार। उद्धव रूपचंदानी एवं शंकर रूपचंदानी जिनकी गुरुघर के प्रति पूरी आस्था है और इनके द्वारा पिछले लम्बे समय से मुम्बई सहित देश के अन्य शहरों में अनेक पंथक सेवाएं की जा रही हैं। इसके पीछे बहुत बड़ा हाथ गुरविन्दर सिंह बावा का भी है जो स्वयं अनेक धार्मिक जत्थेबंदियों से जुड़े हैं और हाल ही में तख्त पटना साहिब कमेटी में बतौर सदस्य नियुक्ति हुए हैं। उनके मार्गदर्शन में ही मुम्बई के बहुत से गैर सिख परिवार इसी प्रकार गुरुघर की सेवाओं में लगे हैं।
रवनीत बिट्टू के प्रयासों का पंजाब की जनता को लाभ : रवनीत बिट्टू को पंजाब की जनता ने भले ही हार दी हो मगर देश के प्रधानमंत्री के द्वारा उनकी काबलियत को पहचानते हुए उन्हें रेल राज्यमंत्री के पद पर बिठाया और उनके कार्यों के चलते आज पंजाब की जनता को खासा लाभ होता दिख रहा है। हाल ही पंजाब को रेलवे का एक नया तोहफा मिला। इसके अतिरिक्त चंडीगढ़ से मालवा क्षेत्र सीधे संपर्क में आए उसके लिए भी घोषणाएं की गई है। रेलवे बोर्ड के सदस्य डा. गुरमीत सिंह सूरा ने कहा कि यह तभी संभव हो पाया जब मंत्रालय में रवनीत बिट्टू जैसे अनुभवी और पंजाब से प्रेम करने वाले लोग उपस्थित थे। पंजाब की जनता को भी अब सोचना होगा कि कौन लोग पंजाब की भलाई के लिए कार्यरत हैं, अन्यथा आज तक जो भी सरकारें आई पंजाब की हमेशा अनदेखी ही हुई है। मौजूदा सरकार के द्वारा सिखों के पांचों तख्तों को जोड़ने और सिख श्रद्धालुओं के तख्त दर्शनोें के लिए भी अनेक रेल सेवाएं शुरू की जा रही हैं जिसके चलते एक तख्त से दूसरे तख्त जाना आसान हो जाएगा।