एसेम्बल इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड को मेक इन इंडिया से जोड़ने की सलाह : समीक्षा
एसेम्बल इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड को मेक इन इंडिया से जोड़ने पर देश के निर्यात का हिस्सा 2025 तक लगभग 3.5 प्रतिशत तथा 2030 तक 6 प्रतिशत तक बढ़ सकता है और इससे वर्ष 2025 तक 4 करोड़ और वर्ष 2030 तक 8 करोड़ रोजगार के अवसर सृजित हो सकते हैं।
07:13 PM Jan 31, 2020 IST | Shera Rajput
एसेम्बल इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड को मेक इन इंडिया से जोड़ने पर देश के निर्यात का हिस्सा 2025 तक लगभग 3.5 प्रतिशत तथा 2030 तक 6 प्रतिशत तक बढ़ सकता है और इससे वर्ष 2025 तक 4 करोड़ और वर्ष 2030 तक 8 करोड़ रोजगार के अवसर सृजित हो सकते हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2019-20 पेश की जिसमें कहा गया है कि निर्यात में वृद्धि होने से देश में रोजगार सृजन का मार्ग प्रशस्त होता है, जिसकी अत्यधिक जरूरत है। समीक्षा में बताया गया कि 2001 से 2006 के दौरान पांच वर्ष में श्रम आधारित निर्यातों से चीन प्राथमिक शिक्षा वाले कामगारों के लिए 7 करोड़ रोजगार सृजन करने में सक्षम हुआ था।
इसमें कहा गया है कि देश में निर्यात बढ़ने से 1999 से 2011 के बीच, अनौपचारिक क्षेत्र से लेकर औपचारिक क्षेत्र तक लगभग 8,00,000 रोजगार का सृजन करना संभव हुआ, जो श्रमिक शक्ति का 0.8 प्रतिशत है। देश में एक ऐसे उद्योग समूह पर जोर देना चाहिए जिसे ‘नेटवर्क उत्पाद’ के रूप में जाना जाता है, जहां उद्योगिक प्रक्रियाएं वैश्विक तौर पर तैयार की जाती हैं तथा अपने ‘उत्पादक प्रेरित’ वैश्विक उत्पादन नेटवर्कों वाले अग्रणी बहु-राष्ट्रीय उद्यमों (एमएनई) द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
इसमें बताया गया कि चीन के साथ-साथ भारत का उल्लेखनीय निर्यात निष्पादन मुख्य रूप से बड़ पैमाने पर श्रमिक आधारित क्रियाकलापों द्वारा प्रेरित है। यह विशेष रूप से ‘नेटवर्क उत्पाद’ द्वारा प्रेरित है, जहां बहु-राष्ट्रीय कंपनियों द्वारा संचालित वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) में उत्पादन किया जाता है।
समीक्षा में सलाह दी गई है कि ‘एसेम्बल इन इंडिया फॉर द वर्ल्ड’ को ‘मेक इन इंडिया’ से जोड़ने पर भारत के निर्यात बाजार का हिस्सा 2025 तक लगभग 3.5 प्रतिशत तथा 2030 तक 6 प्रतिशत तक बढ़ सकता है, जो अत्यधिक व्यवहार्य है। इससे 2025 तक अच्छे भुगतान वाले लगभग 4 करोड़ रोजगार तथा 2030 तक लगभग 8 करोड़ रोजगार का सृजन कर पाएगा। बजट-पूर्व समीक्षा में बताया गया कि नेटवर्क उत्पादों के निर्यातों के लक्षित स्तर से अर्थव्यवस्था में गुणात्मक मूल्य संवर्धन हो सकता है, जिसके 2025 में 248 अरब डॉलर के समतुल्य होने का अनुमान है। इससे 2025 तक भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए आवश्यक धन के लगभग एक-चौथाई का प्रबंध हो जाएगा।
समीक्षा में बताया गया कि विश्व बाजार में हिस्सेदारी के तौर पर भारत और चीन के बीच अंतर का मुख्य कारण विशेषता का प्रभाव है। उत्पादों एवं बाजारों की विविधता के तौर पर भारत स्पष्ट तौर पर चीन का पीछा कर रहा है। कुल मिलाकर, अधिक विविधता के साथ कम विशेषता के मिश्रण का अर्थ यह है कि भारत की उत्पादों एवं साझेदारों के संदर्भ में अपने निर्यात का कम विस्तार कर रहा है, जिससे चीन के मुकाबले इसके निष्पादन में कमी होती है। समीक्षा के अनुसार, निर्यात सामग्रियों की मात्रा और/अथवा कीमतों में बदलाव के कारण आने वाले वर्षों में विशेषता के प्रभाव में बदलाव हो सकता है। समीक्षा में बताया गया कि यदि भारत एक प्रमुख निर्यातक बनाना चाहता है तो इसे अपने तुलनात्मक लाभ के क्षेत्रों में और अधिक विशेषताएं रखनी चाहिए और मात्रा में महत्वपूर्ण वृद्धि के लक्ष्य तक पहुंचना चाहिए।
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