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30 वर्ष बाद मिली तोप

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12:27 PM May 21, 2017 IST | Desk Team

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मध्यकालीन इतिहास में श्री गुरु अर्जुन देव जी की शहादत से ऐसा मोड़ आया, जिस मोड़ ने सिख गुरुओं की परम्परा को एक नया आयाम दिया। उनके सुपुत्र श्री हरगोविन्द साहब सिखों के छठे गुरु हुए जिन्होंने दो तलवारें धारण कीं।
* एक तलवार थी मीरी यानी राज सत्ता की प्रतीक।
* दूसरी तलवार थी पीरी यानी आध्यात्मिक सत्ता की प्रतीक।
गुरु जी ने ऐलान कर दिया-शास्त्र की रक्षा के लिए शस्त्र जरूरी है। हम अध्यात्म से पीछे नहीं हटेंगे। अध्यात्म हमारी आत्मा, हमारी प्यास, हमारा मार्गदर्शक है, इस पर जुल्म नहीं सहेंगे लेकिन तलवार के मुकाबले तलवार उठेगी और पूरी ऊर्जा से उठेगी। कई लोगों को गुरु जी का यह रूप देखकर आश्चर्य हुआ। कुछ लोग शंकाग्रस्त भी हो गए। गुरु जी ने सिखों को संदेश दिया-
”गुरु घर में अब परम्परागत तरीके से भेंट न लाई जाए। हमें आज उन सिखों की जरूरत है जो मूल्यों के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर सकें। अच्छे से अच्छे हथियार, अच्छी नस्ल के घोड़े और युद्ध में काम आने वाले रक्षा उपकरण लाए जाएं। हम दुश्मन की ईंट से ईंट बजा देंगे। सही अर्थों में संत और सिपाही का चरित्र एक ही व्यक्तित्व में ढालने का श्रेय श्री गुरु गोविन्द साहब को ही जाता है। गुरु जी की फौजों ने मुस्लिम फौजों के छक्के छुड़ा दिए।
शास्त्र की रक्षा के लिए शस्त्रों की जरूरत तब भी थी और आज भी है। यह अच्छी बात है कि बोफोर्स तोप सौदे के विवाद के 30 वर्ष बाद भारतीय सेना को होवित्जर तोपें मिलनी शुरू हो गई हैं लेकिन यह कितना हास्यास्पद है कि किसी देश को तोपें हासिल करने में तीन दशक लग गए। किसी भी राष्टï्र की सुरक्षा के लिए सेना का मजबूत होना बहुत जरूरी होता है।
कारगिल युद्ध की तस्वीरों में बोफोर्स गन से फायर करते हुए दिखाया गया है। बोफोर्स भी एक होवित्जर गन है लेकिन इसे 1986 में आयात किया गया था। हालांकि ये काफी पुरानी हैं, इसलिए फौज चाहती थी कि उसके लिए एक नई होवित्जर या तो देश में बना ली जाए या फिर विदेश से मंगा ली जाए लेकिन स्वदेशी होवित्जर धनुष के बनने में काफी देरी हुई। यह बोफोर्स के प्लेटफार्म पर बनी और फील्ड ट्रायल में खुद को साबित नहीं कर पाई। बोफोर्स घोटाले में जिस तरह लोगों के हाथ जले, उसके बाद रक्षा सौदों को लेकर अधिकारियों और नेताओं में डर बैठ गया। रक्षा सौदे काफी परेशानी भरे होते हैं। फील्ड ट्रायल से असली खरीददारी तक पेचीदा होती है। ऐसा नहीं है कि रक्षा उपकरणों की खरीद नहीं हुई लेकिन भ्रष्टïाचार के दीमक के कारण सौदे लटकते रहे। करोड़ों के रक्षा सौदों में घोटाले उजागर होते रहे। अगस्ता वैस्टलैंड हैलीकाप्टर सौदे में घोटाला हुआ। इसमें पूर्व वायुसेना अध्यक्ष एस.पी. त्यागी और उनके संबंधी मुकद्दमे का सामना कर रहे हैं। बराक मिसाइल रक्षा सौदों में भ्रष्टïाचार का उदाहरण हमारे सामने है। इस घोटाले में तत्कालीन प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार एपीजे अब्दुल कलाम ने आपत्ति दर्ज कराई तो इसमें समता पार्टी के पूर्व कोषाध्यक्ष आर.के. जैन की गिरफ्तारी हुई। फिर टाट्रा ट्रक घोटाला हुआ। मनमोहन ङ्क्षसह शासन में घोटालों के डर से तत्कालीन रक्षा मंत्री ए.के. एंटोनी सौदे रद्द करते रहे जिससे सेना की ताकत कमजोर हुई और विलम्ब होने से लागत भी बढ़ी। पूरी स्थितियों को भांप कर नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद रक्षा सौदों की शुरूआत की गई। जब नवम्बर 2016 में भारत ने अमेरिका से 5000 करोड़ के बदले 145 होवित्जर तोपें खरीदने का करार किया तो इसे ऐतिहासिक कहा गया। डील के तहत 25 गन अमेरिका से आयात की जाएंगी और बाकी भारत में बनेंगी। होवित्जर तोप 30 किलोमीटर गोला फायर कर सकती है। एम-777 तोप 30 सैकंड में एक गोला फायर कर सकती है और ऐसा यह लगातार कर सकती है। यह तोप केवल सवा चार टन की है, इसे हैलीकाप्टर से कहीं भी ले जाया जा सकता है। स्वदेशी बोफोर्स धनुष का वजन 17 टन है। अमेरिकी फौज ने होवित्जर तोप का इस्तेमाल अफगानिस्तान और इराक में किया हुआ है।
भारत ने इस्राइल के साथ 2 अरब डालर का हथियारों का करार किया है। इस सौदे के तहत इस्राइल भारत को मिसाइल रक्षा प्रणाली की आपूर्ति करेगा। पिछले वर्ष भारत ने भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान रूस के साथ 43 हजार करोड़ की लागत के तीन बड़े रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें सबसे उन्नत वायु रक्षा प्रणाली शामिल है। यह शत्रु के विमान, मिसाइल और ड्रोन को 400 किलोमीटर की दूरी से ही नष्टï करने में सक्षम है।
पाकिस्तान से लगी सीमा पर रक्षा तैयारियों के लिहाज से अहम वज्र तोप बनाने की परियोजना आगे बढ़ रही है। इस तोप को बनाने के लिए लार्सन एंड टुब्रो और दक्षिण कोरिया की कम्पनी हनवा टेकविन से करार हो चुका है। चीन से सटी सीमा के निकट भारत पर्वतीय हमलावर कोर खड़ी कर  रहा है। होवित्जर तोपों को भी भारत-चीन सीमा पर तैनात किया जाएगा। भारत अभूतपूर्व चुनौतियों से घिरा हुआ है। युद्ध का स्वरूप बदल चुका है। हम छदï्म युद्ध झेल रहे हैं। साजिशें लगातार जारी हैं। भारतीय सेना को हर प्रौद्योगिकी से लैस किया जाना जरूरी है। इससे सेना की ताकत और मनोबल बढ़ेगा। चलिये देर आयद दुरुस्त आयद।

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