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कोटा के बाद अब जोधपुर में कई बच्चों की मौत का मामला आया सामना , दिसंबर में 146 बच्चे की मौत

राजस्थान में बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. अभी कोटा के अस्पताल में बच्चों की मौत का मामला रुका भी नहीं है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह नगर जोधपुर में चौंका देने वाला मामला सामने आया है।

08:16 PM Jan 04, 2020 IST | Shera Rajput

राजस्थान में बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. अभी कोटा के अस्पताल में बच्चों की मौत का मामला रुका भी नहीं है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह नगर जोधपुर में चौंका देने वाला मामला सामने आया है।

कोटा के बाद अब जोधपुर में कई बच्चों की मौत का मामला आया सामना   दिसंबर में 146 बच्चे की मौत
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राजस्थान में बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. अभी कोटा के अस्पताल में बच्चों की मौत का मामला रुका भी नहीं है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह नगर जोधपुर में चौंका देने वाला मामला सामने आया है। यहां दिसंबर के महीने में कई बच्चों की मौत हो चुकी है।
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बता दे कि जहां कोटा के जेके लोन अस्पताल में 107 बच्चों की मौत हो चुकी है। वहीं अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृहनगर जोधपुर में जेके लोन से भी ज्यादा बच्चों की मौत हुई है। यहां एक महीने के अंदर 146 बच्चों की मौत हो चुकी है।
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इस महीने 4689 बच्चे जन्म लिए थे। जिनमें से 146 बच्चों की मौत हो गई। पूरे देश में कोटा के जेके लोन हॉस्पिटल में दिसंबर में हुई 107 बच्चों की मौत चर्चा का विषय बनी हुई है।
वहीं , इस मामले को लेकर मेडिकल कॉलेज जोधपुर के प्रिंसिपल डॉ एसएस राठौड़ ने बताया कि जोधपुर के डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग में प्रतिदिन 5 बच्चों की मौत हो रही है। 2019 के आखरी महीने दिसंबर में यहां 98 नवजात सहित 146 बच्चों की मृत्यु हुई है।
उनका कहना है कि साल 2019 में NICU PICU  में कुल 754 बच्चों की मौत हुई, यानी हर माह 62 की मौत हुई लेकिन दिसंबर में अचानक यह आंकड़ा 146 तक जा पहुंचा । सभी मौतें एसएन मेडिकल कॉलेज से जुड़े बच्चों के अस्पताल उम्मेद अस्पताल में हुई है।
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एसएस राठौड़ का कहना है कि बच्चों की मौत का आंकड़ा 3% से कम है। यह अंतरराष्ट्रीय मापदंड के अनुरूप ही है। इसके बावजूद हम इसे कम करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरे संभाग सहित एम्स तक से बच्चों को इलाज के लिए उनके यहां रेफर किया जाता है। ऐसे में डॉक्टरों पर अधिक दबाव रहता है। हमारे पास पर्याप्त उपकरण व चिकित्सा सुविधा है।
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Shera Rajput

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