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सरकार ने अर्थव्यवस्था की सेहत सुधारने के लिये कर प्रोत्साहनों के बाद अब FDI सुधारों पर दिया जोर

आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के लिये सरकार ने बुधवार को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के क्षेत्र में नये सुधारों की पहल की।

05:37 PM Aug 28, 2019 IST | Shera Rajput

आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के लिये सरकार ने बुधवार को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के क्षेत्र में नये सुधारों की पहल की।

आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के लिये सरकार ने बुधवार को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के क्षेत्र में नये सुधारों की पहल की। सरकार ने कोयला खनन और ठेका विनिर्माण में शत प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति और एकल ब्रांड खुदरा कारोबारियों के लिये स्थानीय खरीद नियमों में ढील देने के साथ ही डिजिटल मीडिया में 26 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति देने का फैसला किया है। 
सरकार ने एक सप्ताह के भीतर आर्थिक क्षेत्र में सुस्ती को दूर करने के लिये नये उपायों की घोषणा की। पिछले सप्ताहांत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों और घरेलू निवेशकों पर बढ़ा अधिभार वापस ले लिया। एमएसएमई और वाहन क्षेत्र के लिये भी अनेक प्रोत्साहनों की घोषणा की गई। 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में नई राहत देने का फैसला किया। इस दौरान कोयला खनन और ठेके पर विनिर्माण क्षेत्र में शत प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति देने का फैसला किया गया। एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में स्थानीय खरीद के नियमों में और ढील दी गई जबकि डिजिटल मीडिया क्षेत्र में 26 प्रतिशत विदेशी निवेश की मंजूरी दी गई। 
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में बताया, ‘‘एफडीआई नीति में किये गये बदलावों के परिणामस्वरूप भारत एक आकर्षक एफडीआई स्थल बनकर उभरेगा। इसका लाभ निवेश, राजगार और आर्थिक वृद्धि बढ़ने के रूप में सामने आयेगा।’’ 
कोयला क्षेत्र में अब विदेशी निवेशक स्वत: मंजूरी मार्ग के जरिये कोयला खनन और बिक्री में 100 प्रतिशत निवेश कर सकेंगे। इस क्षेत्र में वह कोयला वाशरी, कोयले का चूरा बनाने, कोयले के रखरखाव और उसमें मैग्नेटिक और गैर- मैग्नेटिक कोयले को अलग करने जैसी दूसरी सहायक गतिविधियों में भी भाग ले सकेंगे। 
एफडीआई नीति के तहत अब तक बिजली पिरयोजनाओं, लोहा और इस्पात तथा सीमेंट इकाईयों के अपने इस्तेमाल के लिये ही कोयला और लिग्नाइट खनन क्षेत्र में स्वत: मंजूरी मार्ग के जरिये शत प्रतिशत एफडीआई की अनुमति मिली हुई थी। 
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि ‘अनुबंध के तहत विनिर्माण’ के क्षेत्र में भी 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। मौजूदा एफडीआई नीति में इस संबंध में स्पष्ट कुछ नहीं कहा गया था। मौजूदा नीति में विनिर्माण क्षेत्र में स्वत: मंजूरी मार्ग के जरिये शत प्रतिशत एफडीआई की मंजूरी दी गई है लेकिन अनुबंध के तहत विनिर्माण के बारे में कुछ नहीं कहा गया है। 
मंत्रिमंडल ने एक अन्य फैसले के तहत डिजिटल मीडिया के जरिये समाचार और सम सामयिक सामग्री अपलोड करने के क्षेत्र में सरकारी मंजूरी के जरिये 26 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति दे दी है। यह प्रिंट मीडिया के अनुरूप ही है। मौजूदा एफडीआई नीति में तेजी से बढ़ते डिजिटल मीडिया क्षेत्र के बारे में कुछ नहीं कहा गया था। प्रिंट मीडिया क्षेत्र में सरकारी मंजूरी लेकर 26 प्रतिशत एफडीआई लाने की अनुमति है। इसी प्रकार से प्रसारण सामग्री सेवाओं में भी सरकारी मंजूरी के जरिये 49 प्रतिशत तक विदेशी निवेश की अनुमति है। 
गोयल ने कहा कि कोयला खनन क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति से अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र की बड़ी कंपनियों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी और इससे देश में एक बेहतर और प्रतिस्पर्धी कोयला बाजार विकसित किया जा सकेगा। 
एकल ब्रांड खुदरा कारोबार के मामले में विदेशी निवेशकों के लिये 30 प्रतिशत माल स्थानीय स्तर पर खरीदने संबंधी नियमों में और राहत दी गई है। ऐसी कंपनियों को अपना खुद का बिक्री स्टोर खोलने से पहले ही आनलाइन बिक्री की अनुमति दे दी गई है। 
एकल ब्रांड खुदरा कारोबार कंपनियों को 30 प्रतिशत स्थानीय खरीद नियम को पूरा करने के मामले में राहत देते हुये उन्हें शुरुआती पांच साल की अवधि में की गई स्थानीय खरीद की नियम के मुताबिक समायोजन की अनुमति दे दी गई है। ऐसी कंपनियां पहले ई-वाणिज्य शुरू कर सकती हैं और उसके बाद अपने सामान की बिक्री की दुकानें खोल सकती हैं। 
गोयल ने कहा कि आनलाइन बिक्री कारोबार से लाजिस्टिक, डिजिटल भुगतान, ग्राहक देखभाल, प्रशिक्षण और उत्पाद कौशल के क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा होंगे। 
वित्त मंत्री सीतारमण ने इससे पहले गत सप्ताहांत शेयर बाजार में विदेशी निवेश करने वालों के लिये कर राहत की घोषणा की थी। इसके अलावा उन्होंने वाहन, एमएसएमई जैसे कुछ अन्य क्षेत्रों के लिये प्रोत्साहन उपायों की घोषणा भी की। 
सरकार के इन प्रयासों को सुस्त पड़ती आर्थिक वृद्धि की गति को तेज करने के लिये किये जा रहे प्रयासों के तौर पर देखा जा रहा है। पिछले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि की दर पांच साल में सबसे कम 6.8 प्रतिशत तक गिर गई थी। पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में यह 5.8 प्रतिशत तक नीचे आ गई थी। 
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