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उम्र सिर्फ एक संख्या है

06:45 AM Sep 03, 2025 IST | Kiran Chopra
उम्र सिर्फ एक संख्या है

जब से हमने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की शुरूआत की तब मुझे अनुभव भी इतना नहीं था, तब भी मैं यही कहती थी कि उम्र एक संख्या है। अगर आप में मनोशक्ति है, कार्यक्षमता है तो उम्र कोई मायने नहीं रखती। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है कई कठिनाइयां भी आती हैं। कभी इमोशनली, कभी फिजिकली परन्तु हमें अपना मनोबल बढ़ाये रखना है। मैं अपने बारे में तो दावे से कह सकती हूं कि अगर अश्विनी जी 62 की उम्र में मुझे छोड़ कर न जाते तो मैं कभी बूढ़ी न होती या कह लो कि बड़ी न होती। फिर भी मैं हालात से लड़कर आगे बढ़ती हूं। कभी-कभी मन बहुत उदास हो जाता है। काम करने को मन नहीं करता है तो मैं अपने आपको यह कहकर उठाती हूं, उठ किरण उठ काम कर। पिछले दिनों मुझे विज्ञान भवन में मोहन भागवत जी की व्याख्यान माला सुनने और उनसे मिलने का अवसर मिला। उन्होंने भारतीयों को बहुत अच्छे संदेश दिये। उनमें से एक के बारे में अपने रविवार के आर्टिकल में लिखा और दूसरा जो आप सबसे और हर 60 की उम्र से बड़े व्यक्ति से संबंधित है जो मुझे बहुत ही अच्छा लगा कि ''उम्र सिर्फ संख्या है यह वाक्य डा. मोहन भागवत जी का है, उन्होंने बहुत सरल शब्दों में हमें समझाया कि उम्र इंसान की पहचान या उसकी क्षमता को तय नहीं करती। असली ताकत तो उसके विचारों, अनुशासन और कर्मशीलता से होती है।

आज हमारे सामने सबसे बड़ा उदाहरण है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी। उम्र बढऩे के बावजूद उनकी कार्यक्षमता और दिनचर्या युवाओं को भी पीछे छोड़ देती है। सुबह से लेकर देर रात तक उनका परिश्रम राष्ट्रहित के लिए उनका समर्पण और उनकी ऊर्जा इस बात का जीता जागता प्रमाण है कि उम्र केवल संख्या भर है। इतिहास में देखें तो हमें और भी अनेक उदाहरण मिलेंगे परन्तु मोदी जी जैसा कोई बिरला होगा। जैसे महात्मा गांधी जी ने 60 वर्ष की उम्र के बाद स्वतंत्रता आंदोलन को नई गति दी। आचार्य बिनोवा भावे ने जीवन के उत्तरार्द्ध में भूदान आंदोलन चलाया और समाज को नई दिशा दी। रतन टाटा जी 70 से भी अधिक उम्र में नए प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे थे और युवाओं को प्रेरणा दे रहे थे। लता मंगेश्कर जी ने अपनी 80 वर्ष की उम्र तक संगीत की साधना और गाना जारी रखा। नेल्सन मंडेला 70 वर्ष के बाद दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति बने। वाइडेन 80 वर्ष की उम्र में भी अमेरिका के राष्ट्रपति बने। सोनिया गांधी 80+ सक्रिय नेता हैं।

अगर मैं अपने पिता को याद करूं तो वह 85 वर्ष की आयु तक वकालत करते रहे, मीलों-मील पैदल चलते थे। फिटनेस का बहुत ख्याल रखते थे। यही नहीं हमारे आदरणीय चाचा जी 94 की आयु में काम कर रहे हैं। हमारे नरेला ब्रांच के मुखिया (97) दहिया जी जो बहुत शिक्षित हैं अभी तक ब्रांच को सुचारू रूप से चला रहे हैं। और भी कई ब्रांच हैड हैं जो 70+या 80+ हैं। जैसे फरीदाबाद के कैंथ जी, गुडग़ांव के धर्म सागर जी, पंजाबी बाग की किरण मदान, पश्चिम विहार की रमा अग्रवाल, चौखंडी के नरूला जी, हैदराबाद के हर्ष मुणोत जी और सबसे बड़ा उदाहरण अमिताभ बच्चन जी हैं।

इन सबके जीवन से हमें यही शिक्षा मिलती है कि अगर मन में जोश और जीवन का उद्देश्य हो तो हमें उम्र रोक नहीं सकती। अगर जोश और जज्बा अगर जीवित है तो जीवनभर उम्र में नया अध्याय लिखता रहेगा। आज हमारे सामने सबसे प्रेरक उदाहरण हैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी। उम्र के इस दौर में भी उनकी उर्जा युवाओं से कहीं ज्यादा दिखाई देती है। सुबह 4-5 बजे उठाना, योग और प्राणायाम करना, पूरे दिन राष्ट्र के कार्यों में सक्रिय रहना, देर रात तक निर्णय लेना-यह सब किसी साधारण इंसान के बस की बात नहीं। यह साबित कर रहे हैं कि अगर मन में राष्ट्र सेवा का जज्बा हो तो कभी रुकावट नहीं हमेशा सम्राट बनकर तैयार रहना चाहिए।

मैं सभी वरिष्ठ नागरिकों को कहती हूं कि यह उम्र रुकने-थकने की नहीं, तैयार रहो। सम्राट बनकर रहो। आगे बढ़ो। व्यस्त रहो। मस्त रहो। स्वस्थ रहो और एंज्वाय भी करो। पहले के जमाने में यह कहते थे कि अब मैं बड़ी हो गई अब क्या तैयार होना। अब हमारी उम्र नहीं बच्चों की उम्र है परन्तु मैं हमेशा से कहते हूं और कहती रहूंगी सारी उम्र अपने बच्चों और समाज के लिए काम किया अब आपकी बारी है। सुन्दर स्मार्ट कपड़े पहनो, मर्यादा में रहकर हमेशा सक्रिय रहो। हर पल को जीओ। आप किसी से कम नहीं। जिन्दगी एक सफर है सुहाना, यहां कल क्या हो किसने जाना, हंसते-गाते यहां से गुजर...।

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Kiran Chopra

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