Ahoi Ashtami Fasting Rules: अहोई अष्टमी के व्रत में भूलकर भी न करें ये काम, जानें इस दिन किन नियमों का पालन करने से पूर्ण होगा व्रत
Ahoi Ashtami Fasting Rules: अहोई अष्टमी का व्रत हिन्दू धर्म में माताओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है। यह व्रत हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखमय जीवन की कामना करते हुए पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं।
शाम के समय अहोई माता की पूजा की जाती है और तारे दिखने के बाद जल ग्रहण किया जाता है। लेकिन इस व्रत को सफल और पूर्ण बनाने के लिए कुछ नियमों और परंपराओं का पालन करना बहुत जरूरी माना गया है। आइए जानते हैं अहोई अष्टमी व्रत से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें, नियम और क्या है इस दिन का धार्मिक महत्व।
Ahoi Ashtami Fasting Rules: जानें क्या हैं अहोई व्रत के जरूरी नियम
1. इस दिन किसी से झगड़ा या कटु वचन बोलना अशुभ माना जाता है। अहोई माता करुणा और क्षमा की प्रतीक हैं, इसलिए इस दिन वाणी और व्यवहार में कोमलता रखनी चाहिए।
2. पौराणिक कथा के अनुसार अहोई माता का व्रत उसी स्त्री ने किया था जिसने गलती से स्याह को मार दिया था। इसलिए इस दिन किसी भी जीव को कष्ट पहुंचाना अत्यंत अशुभ होता है।
3. अहोई अष्टमी के दिन सुई या कैंची का प्रयोग करना वर्जित माना गया है। यह मान्यता है कि इससे बच्चों के जीवन में बाधाएं या दुख उत्पन्न हो सकते हैं।
4. व्रत के दौरान भोजन को नहीं छूना चाहिए। महिलाएं पूरे दिन निर्जला उपवास करती हैं और केवल तारा दर्शन के बाद ही भोजन करती हैं।
5. अहोई माता की पूजा में लापरवाही न करें और पूजा के समय पूर्ण श्रद्धा और मनोयोग आवश्यक है। बिना मन से की गई पूजा फलदायी नहीं होती।
6. इस दिन भूलकर भी काले या नीले वस्त्र न पहनें। व्रत के दिन लाल, पीले या गुलाबी रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, जबकि काले या नीले रंग से बचना चाहिए।
7. अहोई माता की कथा सुनना इस व्रत का सबसे प्रमुख भाग है। बिना कथा सुने व्रत अधूरा माना जाता है।
8. व्रत के बाद ब्राह्मण या जरूरतमंद को भोजन, वस्त्र या दक्षिणा देना अत्यंत शुभ माना गया है।
Ahoi Ashtami Vrat Niyam: व्रत के दिन इन बातों का रखें खास ख्याल
1. किसी की बुराई न करें और झूठ न बोलें।
2. संध्या के बाद झाड़ू लगाना या कपड़े धोना अशुभ माना जाता है।
3. घर में कलह या विवाद होने पर व्रत का प्रभाव कम हो जाता है।
4. भोजन पकाते समय नमक का प्रयोग न करें, क्योंकि यह दिन तपस्या का प्रतीक होता है।
5. अहोई माता की मूर्ति को हाथ से न छुएं, केवल नमस्कार करें।
Ahoi Ashtami Do's and Don't: जानें इस दिन क्या करें और क्या नहीं
1. अहोई अष्टमी के दिन सफेद वस्तुओं का दान करना बहुत फलदायी माना जाता है
2. इस पावन दिन पर संतान की शिक्षा और करियर में उन्नति के लिए गुड़ और पीले रंग के फल का दान करना भी शुभ माना जाता है।
3. इस दिन किसी भी जानवर या जीव-जंतु को कष्ट पहुंचाने से अहोई माता क्रोधित हो जाती हैं और व्रत का शुभ फल भी नहीं मिलता है।
4. अहोई अष्टमी किसी ब्राह्मण को धन का दान जरूर करें। इस दान से संतान को बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
5. अहोई अष्टमी के दिन व्रत करने वाली सभी महिलाओं को सूर्योदय होने से पहले ही उठकर स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
6. अहोई अष्टमी के दिन भूलकर भी मन में नकारात्मक विचार न लेकर आएं। खुद को सकारात्मक रखना चाहिए।
7. अहोई अष्टमी के दिन महिलाओं को भूलकर भी मिट्टी से संबंधित कामकाज नहीं करने चाहिए। इस दिन मिट्टी खोदना वर्जित है।
8. अहोई अष्टमी के दिन महिलाओं को कपड़े नहीं सिलने चाहिए न ही कैंची से कोई कपड़ा काटना चाहिए।
9. अहोई अष्टमी के दिन महिलाओं को दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। साथ ही पुरुषों को भी दूध का सेवन नहीं करना चाहिए।
10. इस दिन भूलकर भी लहसुन प्याज का प्रयोग नहीं करना चाहिए और व्रत का पारण करते समय केवल सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
Ahoi Ashtami Vrat 2025: जानें क्या है अहोई अष्टमी का महत्व
अहोई अष्टमी व्रत का संबंध विशेष रूप से मातृत्व से है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन अहोई माता (जो मां पार्वती का ही एक रूप हैं) की पूजा करने से संतान को दीर्घायु, सुख-समृद्धि और जीवन में प्रगति प्राप्त होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक समय एक स्त्री ने संतान प्राप्ति के बाद अपने घर की दीवार में गड्ढा खोदते समय गलती से स्याह (एक छोटा जानवर) को मार दिया।
इस पाप के कारण उसके बच्चों की मृत्यु हो गई। तब उस स्त्री ने मां पार्वती से क्षमा मांगकर व्रत रखने का संकल्प लिया। मां पार्वती ने उससे अहोई माता का व्रत करने का निर्देश दिया और तभी से इस व्रत की परंपरा शुरू हुई। कहा जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से उस स्त्री की संतान को नया जीवन मिला और तब से हर मां यह व्रत अपने बच्चों के सुख और आयु के लिए करती है।
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