Aja Ekadashi 2025: आज अजा एकादशी पर जरूर सुने ये कथा, पापों का होगा नाश और जीवन में आएगी सुख-समद्धि
Aja Ekadashi 2025: अजा एकादशी को हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के समर्पित हैं। इस दिन लोग पूरे विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इस दिन व्रत करने को जीवन के सभी दु:खों को दूर करके भगवान श्री विष्णु की कृपा प्राप्त करने का दिन माना जाता है। हिंदू धर्म में हर एकादशी को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।
ऐसा इसलिए क्योंकि एकादशी का व्रत भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ होता है। ऐसा माना जाता है कि एकादशी का व्रत रखने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन को सबसे पवित्र और मोक्ष प्राप्ति का दिन भी माना जाता है। हर माह में 2 बार एकादशी पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। इस समय भाद्रपद मास चल रहा है। आज मंगलवार 19 अगस्त 2025 को अजा एकादशी मनाई जा रही है।
इस एकादशी को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस एकादशी के दिन व्रत रखने से घर में सुख-शांति बनी रहती है। इतना ही नहीं जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है। अजा एकादशी का व्रत और पूजान करने से धन-धान्य और पुत्रादि की वृद्धि होती है।
Aja Ekadashi Vrat Katha: अजा एकादशी के दिन इस कथा का करें पाठ
एक बार युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से एकादशी के बारे में पूछा। तब भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें यह कथा सुनाई। पूर्व काल में हरिश्चन्द्र नामक एक विख्यात चक्रवर्ती राजा हुए, जो समस्त भूमण्डल के स्वामी और सत्यप्रतिज्ञ थे। एक वक्त किसी कर्म का फल भोग प्राप्त होने के बाद उन्हें राज्य से भ्रष्ट होना पड़ा था। राजा ने अपनी पत्नी व पुत्र को बेचा और फिर, अपने आप को भी बेच दिया। इसके बाद वह एक चांडाल बनाकर अपना जीवन यापन करने लगे।
उस समय पुण्यात्मा होते हुए भी उन्हें चाण्डाल की दासता करनी पड़ गई थी। ऐसी कठिन स्थिति में भी नृपश्रेष्ठ हरिश्चन्द्र सत्य से कभी भी विचलित नहीं हुए। चाण्डाल की दासता करते हुए उनके कई वर्ष व्यतीत हुए। एक बार इस विषय में चिंतन करते हुए राजा को बड़ी चिंता हुई और वो अत्यंत दुखी होकर इस बात को सोचने लगे की- 'क्या करूं? कहां जाऊं?' कैसे मेरा उद्धार हो सकेगा?। राजा को इस तरह चिंतित देखकर एक मुनि उनके पास आए।
वह मुनि महर्षि गौतम थे। राजा ने मुनि महर्षि गौतम को देखकर तुरंत प्रणाम किया और दोनों हाथ जोड़कर गौतम के सामने खड़े हो गए। तब उन्होंने अपना सारा दुख समाचार बताया। राजा की सारी बात महर्षि गौतम बड़े ही ध्यान से सुनी और इस समस्या का उपाय भी बताया। मुनि महर्षि गौतम ने कहा कि- राजन! भादो के कृष्ण पक्ष में अत्यंत कल्याणमयी 'अजा' नामक एकादशी आएगी, जो पुण्य प्रदान करने वाली होती है।
इसी का व्रत करो, इससे पापों का अंत हो जाएगा। तुम्हारे भाग्य से आज के सातवें दिन एकादशी आएगी। उस दिन व्रत करके रात में जागरण करना। इसके बाद राजा हरिश्चंद्र ने विधिपूर्वक, सच्चे मन और श्रद्धा से अजा एकादशी व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से राजा हरिश्चंद्र को सभी पापों से छुटकारा मिला और फिर से परिवार राज पाट सभी प्राप्त हो गए। मृत्यु के बाद उनको बैकुण्ठ की प्राप्ति हुई।
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Aja Ekadashi Ka Mahatva: जानें क्या है इस दिन का महत्व
अजा एकादशी को सबसे पावन और सबसे महत्वपूर्ण एकादशी में से एक माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा बरसती है। इस दिन व्रत रखने से श्री हरि की अनंत कृपा के साथ-साथ दु:ख-दारिद्रय को दूर करने में भी मदद मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु की कृपा से सुख-संपत्ति और सौभाग्य प्राप्त होता है।
इस दिन व्रत करने से इस जन्म के साथ-साथ पिछले सभी जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं मृत्यु के बाद भी श्री हरि की कृपा से व्यक्ति सभी सुखों को भोगता हुआ अंत में उसे वैकुंठ लोक में जाने का मौका मिलता है। यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है।
इतना ही नहीं जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है। अजा एकादशी का व्रत और पूजान करने से धन-धान्य और पुत्रादि की वृद्धि होती है।
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