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पिछले उपचुनाव से सबक लेते अखिलेश....मैनपुरी में झोंकी ताकत, क्या भाजपा बिगाड़ेगी सपा का सियासी गणित?

उत्तर प्रदेश की सियासत में देश के हर व्यक्ति की खासा दिलचस्पी होती हैं। हो भी क्यों न इस राज्य ने भारत को कई प्रधानमंत्री दिए हैं।

06:06 PM Nov 21, 2022 IST | Desk Team

उत्तर प्रदेश की सियासत में देश के हर व्यक्ति की खासा दिलचस्पी होती हैं। हो भी क्यों न इस राज्य ने भारत को कई प्रधानमंत्री दिए हैं।

उत्तर प्रदेश की सियासत में देश के हर व्यक्ति की खासा दिलचस्पी होती हैं। हो भी क्यों न इस राज्य ने भारत को कई प्रधानमंत्री दिए हैं। प्रदेश में मुख्य रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) सक्रिय है। राज्य में आगामी दिनों में कई सीटों पर उपचुनाव होने है। जिनमें लोकसभा की मैनपुरी सीट , विधानसभा की रामपुर और खतौली सीट शामिल है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण मैनपुरी सीट है। मैनपुरी को सपा का गढ़ माना जाता है। यह सीट सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई थी। 
समाजवादी पार्टी ने मैनपुरी में पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने रघुराज शाक्य को चुनावी रण में उतारा है। इस उपचुनाव के नतीजे सपा के भविष्य को दर्शाने में अहम भूमिका निभाएंगे। अखिलेश जिन्होंने बीते दिनों  लोकसभा की आजमगढ़ और रामपुर सीट पर हुए उपचुनाव में दिलचस्पी नहीं दिखाई थी, वह मैनपुरी में डेरा डाले हुए है। यादव परिवार ने जीत हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। माना जा रहा है कि अगर समाजवादी पार्टी इस चुनाव में पिछड़ती है तो राज्य की सियासत में वह कमजोर पड़ जाएगी। 
सपा को मुसलमानों का समर्थन प्राप्त 
मैनपुरी में यादव, शाक्य कास्ट का दबदबा है। भाजपा ने सपा के सियासी गणित को बिगाड़ने के लिए ही शाक्य कास्ट से आने वाले व्यक्ति को मैदान में उतारा है। भाजपा को उम्मीद है कि इस दांव से सपा को साधना आसान होगा। वहीं दूसरी ओर अखिलेश और शिवपाल यादव के बीच भी सुलह हो गई है। आपको बता दे कि मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से अखिलेश और जसवंतनगर सीट से शिवपाल विधायक है। सपा को राज्य में मुसलमानों का समर्थन प्राप्त है। माना जाता है कि मुस्लिम समुदाय आंख बंद करके सपा के समर्थन में वोट करती है। यह भाजपा के लिए चुनौती है। हालांकि किसके पक्ष में नतीजे आएंगे यह तो आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा।  
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