W3Schools
For the best experience, open
https://m.punjabkesari.com
on your mobile browser.
Advertisement

फिल्म नहीं तबाही लेकर आए हैं Allu Arjun, Puspa 2 देख लोग बोले- नेशनल अवॉर्ड पक्का, रिकॉर्ड टूटेंगे

अल्लू अर्जुन और रश्मिका मंदाना की मच अवेटेड फिल्म पुष्पा 2 आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. देखने से पहले यहां रिव्यू में जान लिजिए ये कैसी फिल्म है.

06:17 AM Dec 05, 2024 IST | Anjali Dahiya

अल्लू अर्जुन और रश्मिका मंदाना की मच अवेटेड फिल्म पुष्पा 2 आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. देखने से पहले यहां रिव्यू में जान लिजिए ये कैसी फिल्म है.

फिल्म नहीं तबाही लेकर आए हैं allu arjun  puspa 2 देख लोग बोले  नेशनल अवॉर्ड पक्का  रिकॉर्ड टूटेंगे

कहानी

रक्त चंदन की तस्करी करने वाले पुष्पराज (अल्लू अर्जुन) की कहानी आगे बढ़ती है. अब पुष्पा वो मजदूर नहीं रहा, वो बड़ा आदमी बन गया है. लेकिन आज भी श्रीवल्ली (रश्मिका मंदाना) उसे अपनी उंगलियों पर नचाती हैं. अब पुष्पा के एक इशारे पर राज्य का सीएम भी बदलता है. लेकिन उसके इस ‘बिजनेस’ को लगा एसपी भंवर सिंह शेखावत (फहद फासिल) नाम का ग्रहण अब भी कायम है. पुष्पा आगे-आगे और शेखावत उसके पीछे. क्या इन दोनों के बीच की लड़ाई खत्म होगी? पुष्पा की जिंदगी में और क्या मोड़ आएंगे? पुष्पा के उस परिवार का क्या होगा, जिसने पुष्पराज से उसका नाम छीन लिया था? इन सारे सवालों के जवाब जानने के लिए आपको थिएटर में जाकर ये फिल्म देखनी होगी.

एक्टिंग

आपने कभी सोचा था कि अपना एक कंधा नीचे झुकाकर चलने वाले, दाढ़ी से लेकर सिर तक जिसके बाल बढ़े हो, जो चमकीले से अजीब रंग के कपड़े पहनता हो, ऐसे किरदार को पूरा देश पसंद करने लगेगा? लेकिन अल्लू अर्जुन ने वो कमाल करके दिखाया है. अल्लू अर्जुन एक मास हीरो हैं, असल जिंदगी में हो या फिल्मों में हमेशा उन्हें एक स्टाइलिश लुक में देखा गया है. लेकिन पुष्पा में उन्होंने अपनी इमेज या लुक की परवाह न करते हुए अपने परफॉर्मेंस पर ध्यान दिया है. ‘पुष्पा 2’ अल्लू अर्जुन के करियर की अब तक की बेस्ट फिल्म है. फिल्म के ट्रेलर और पोस्टर में उन्हें साड़ी पहनकर काली मां के अवतार में देखा गया था. ये लुक सिर्फ लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए नहीं है, इसके पीछे एक क्रांतिकारी सोच है और साड़ी पहनकर अल्लू अर्जुन ने जो परफॉर्मेंस दी है, उसे ये फिल्म देखने वाले लंबे समय तक भूल नहीं पाएंगे.

पहली एंट्री पर इतना बवाल नहीं करता जितना दूसरी एंट्री पर करता है, यह पुष्पा 2 का ही डायलॉग है और ऐसी ही ये फिल्म भी है, पुष्पा फ्लावर नहीं फायर था. इस बार वो बोला मैं वाइल्ड फायर हूं, और वो वाकई वाइल्ड फायर निकला. पुष्पा 2 में एक चीज कूट कूट कर भरी हुई है और वो है एंटरटेनमेंट,एंटरटेनमेंट और एंटरटेनमेंट. इस फिल्म को देखते हुए दिमाग को पुष्पा की वाइल्ड फायर में डाल दीजिए और घबराइए मत, पुष्पा भाऊ आपके दिमाग को कुछ नहीं होने देंगे. 3 घंटे 20 मिनट बाद दिमाग एक दम कड़क होके निकलेगा, आपको लॉजिक नहीं लगाना है, बस एंटरटेन होना है और सिनेमा अगर लॉजिक लगाने का मौका दिए बिना आपको लगभग साढ़े 3 घंटे एंटरटेन करे तो वो कमाल का सिनेमा होता है और ऐसा सिनेमा इसलिए भी जरूरी है को सिनेमा जिंदा रहे, चलता रहे, फलता फूलता रहे.

View this post on Instagram

A post shared by Rashmika Mandanna (@rashmika_mandanna)

View this post on Instagram

A post shared by Rashmika Mandanna (@rashmika_mandanna)

डायरेक्शन और राइटिंग

सुकुमार की राइटिंग और डायरेक्शन दोनों शानदार हैं, उन्होंने एक ही चेज पर फोकस किया, स्वैग और एंटरटेनमेंट और वो कामयाब रहे. वो जो बनाना चाहते थे उससे भटके नहीं, यही उनकी कामयाबी है. एक के बाद एक कमाल के सीन डाले ताकि एक सीन देख दर्शक हैरान हो और सांस ले उससे पहले दूसरा कमाल का सीन आ जाए.

जानें कैसी है ये फिल्म

जब रिव्यू करने के लिए मैं फिल्म देखती हूं तब अक्सर मोबाइल पर नोटपैड खुला रहता है. फिल्म में क्या इंटरेस्टिंग है, कौनसा दिलचस्प डायलॉग बोला गया है? ये मैं अक्सर इस नोटपैड में लिख लेती हूं. लेकिन अल्लू अर्जुन की ‘पुष्पा’ एक ऐसी फिल्म है, जिसे देखते हुए मैं पूरी तरह से भूल गई कि मुझे नोटपैड पर इससे जुड़ी बातें लिखनी होगी. 3 घंटे 20 मिनट की ये फिल्म पूरी तरह से शुरुआत से लेकर अंत तक आपको कनेक्ट करके रखती है. एक पल के लिए भी आपको ये महसूस नहीं होता कि आप बोर हो रहे हैं और इस बात का श्रेय फिल्म के निर्देशक सुकुमार को जाता है.

क्यों देखें पुष्पा 2

पुष्पा 1 की कहानी कुछ लोगों को पसंद नहीं आई थी. पुष्पा के मेकर्स ने ये फीडबैक सीरियसली लिया और उन्होंने अपनी कहानी पर काम किया. पुष्पा 2 की कहानी पर खूब मेहनत की गई है. पूरी कहानी में एक सीन भी ऐसा नहीं है, जहां हमें लगता है कि पुष्पा गलत कर रहा है. फिल्म में हिंसा भी है. लेकिन संदीप रेड्डी वांगा और रणबीर कपूर के ‘एनिमल’ की तरह बिना सोचे-समझे की जाने वाली हिंसा इस फिल्म में नहीं है. ‘पुष्पा’ 2 में वायलेंस तो है. लेकिन ये वायलेंस अपने आप को जस्टिफाई करता है. जहां एनिमल का वायलेंस देख आंखें बंद करने का मन करता है वहां पुष्पा की हिंसा देखकर हम तालियां बजाते हुए कहते हैं कि और मारो.

Advertisement W3Schools
Author Image

Anjali Dahiya

View all posts

Advertisement
×