भारतीय छात्राओं का कमाल, यूरोपियन गर्ल्स मैथमैटिकल ओलंपियाड में चार पदक जीते
भारतीय छात्राओं की गणित में धाक, यूरोप में चार पदक
नई दिल्ली की चार छात्राओं ने यूरोपियन गर्ल्स मैथमैटिकल ओलंपियाड में भारत के लिए दो रजत और दो कांस्य पदक जीते। संजना चाको, श्रेया मुंधाडा, सई पाटिल और श्रेया गुप्ता राय ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया और अपनी मेहनत व समर्पण से भारत का नाम रोशन किया। इस उपलब्धि ने भारतीय छात्राओं की गणित में वैश्विक स्तर पर बढ़ती प्रतिभा को सिद्ध कर दिया है।
नई दिल्ली की चार होनहार छात्राओं ने 14वीं यूरोपियन गर्ल्स मैथमैटिकल ओलंपियाड (EGMO) में भारत का नाम रोशन किया। 11 से 17 अप्रैल तक कोसोवो के प्रिस्टिना शहर में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारतीय टीम ने दो रजत और दो कांस्य पदक अपने नाम किए। भारतीय दल का प्रतिनिधित्व संजना चाको (16 वर्ष), श्रेया शंतनु मुंधाडा (15 वर्ष), सई पाटिल (18 वर्ष) और श्रेया गुप्ता राय (18 वर्ष) ने किया। EGMO विशेष रूप से उन स्कूल छात्राओं के लिए आयोजित किया जाता है जिन्हें स्कूल पाठ्यक्रम से आगे जाकर गणित में रुचि होती है। भारतीय टीम का नेतृत्व डॉ. मृदुल ठटटे (TIFR, मुंबई) ने किया, जबकि डिप्टी लीडर के रूप में अदिति मुथखोद (CMI, चेन्नई) और पर्यवेक्षक के रूप में अनन्या राणाडे (CMI, चेन्नई) मौजूद रहीं। इस शानदार प्रदर्शन ने भारत के गणित के क्षेत्र में बढ़ती प्रतिभा को वैश्विक मंच पर एक बार फिर से सिद्ध कर दिया है।
विजेताओं की उपलब्धियां
इस प्रतियोगिता में केरल की संजना चाको और मुंबई की श्रेया शंतनु मुंधाडा ने रजत पदक जीते, जबकि पुणे की सई पाटिल और कोलकाता की श्रेया गुप्ता राय ने कांस्य पदक हासिल किया। चारों छात्राओं ने कठिन मुकाबले में बेहतरीन प्रदर्शन कर भारत के लिए सम्मान अर्जित किया। उनकी मेहनत और समर्पण ने दिखा दिया कि भारतीय छात्राएं गणित जैसे जटिल विषय में भी वैश्विक स्तर पर अग्रणी भूमिका निभा सकती हैं।
ओलंपियाड यात्रा और कोसोवो का अनुभव
सई पाटिल ने बताया कि उन्होंने 10 वर्ष की उम्र में अपना पहला ओलंपियाड दिया था, लेकिन शुरुआत में गंभीरता की कमी थी। 2023 में राष्ट्रीय स्तर पर सफलता मिलने के बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारी शुरू की। संजना चाको ने कोसोवो के अनुभव को याद करते हुए कहा कि वहां की खूबसूरती और बर्फ से ढके पहाड़ अद्भुत थे। उन्होंने स्थानीय गाइड के साथ शहर का भ्रमण किया और कई ऐतिहासिक स्थलों का दौरा किया। वहीं, श्रेया गुप्ता राय ने बताया कि उन्होंने सातवीं कक्षा से Olympiad की तैयारी शुरू कर दी थी और जटिल समस्याओं को सुलझाने में कभी-कभी दो-दो दिन लगा दिए, लेकिन इस कठिन यात्रा का हर क्षण आनंददायक रहा।
तैयारी में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और पुस्तकों का योगदान
संजना चाको ने बताया कि EGMO के लिए चयन होने के बाद उन्होंने ‘सूफी फेलोशिप’ जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की मदद ली। इसके अलावा, उन्होंने और सई पाटिल ने मिलकर एक ऑनलाइन गणित क्लब भी शुरू किया, जिसने अभ्यास में काफी मदद की। Olympiad की तैयारी के लिए उन्होंने इवान चेन की Euclidean Geometry in Mathematical Olympiads, आदित्य रंजन की Modern Olympiad Number Theory जैसी किताबों और गूगल पर उपलब्ध विभिन्न संसाधनों का भी उपयोग किया।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और भविष्य की योजनाएं
AI के योगदान पर बात करते हुए संजना ने कहा कि AI कुछ हद तक अवधारणाओं को समझने में मदद कर सकता है, लेकिन Olympiad स्तर की गणितीय समस्याओं के समाधान में इसकी उपयोगिता सीमित है। सई पाटिल ने भी बताया कि AI कोडिंग में सहायक हो सकता है, लेकिन गणितीय प्रतियोगिताओं में इसकी भूमिका अभी सीमित है। भविष्य को लेकर संजना चाको ने बताया कि वे 2026 में फिर से EGMO में भाग लेने की तैयारी कर रही हैं और इंटरनेशनल मैथमैटिकल ओलंपियाड (IMO) के लिए भी प्रयासरत हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल उनका JEE जैसी परीक्षाओं में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है।