पाकिस्तान में आतंक बढ़ने के पीछे अमेरिका जिम्मेदार....', ये क्या बोल गए बिलावल भुट्टो?
पाकिस्तान में आतंक के पीछे अमेरिका का हाथ
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो ने अमेरिकी विदेश नीति पर ही गंभीर सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने आतंकवाद में बढ़ोतरी के लिए अमेरिका की नीतियों को ही कसूरवार ठहरा दिया. उनके अनुसार, अफगानिस्तान से अमेरिका की अचानक वापसी ने इस क्षेत्र में अस्थिरता को जन्म दिया है.
Pakistan on America: जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था. इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान को काफी हद तक चोट पहुंचाने का काम किया. ऐसे में भारत की तरफ से आतंक के खिलाफ चलाए गए इस ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान अपने देश का पक्ष रखने अमेरिका पहुंचा था. इस दौरान वहां कुछ अलग ही देखने को मिला. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो ने अमेरिकी विदेश नीति पर ही गंभीर सवाल खड़े कर दिए. उन्होंने आतंकवाद में बढ़ोतरी के लिए अमेरिका की नीतियों को ही कसूरवार ठहरा दिया. उनके अनुसार, अफगानिस्तान से अमेरिका की अचानक वापसी ने इस क्षेत्र में अस्थिरता को जन्म दिया है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिलावल भुट्टो ने विशेष रूप से 2020 में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा लिए गए उस फैसले की आलोचना की, जिसमें अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की योजना बनाई गई थी. उन्होंने कहा कि अमेरिका की हड़बड़ी में की गई वापसी के दौरान कई संवेदनशील हथियार अफगानिस्तान में ही रह गए, जो अब आतंकवादी संगठनों के पास पहुंच चुके हैं. ये हथियार अब पाकिस्तान के भीतर होने वाले आतंकी हमलों में प्रयोग किए जा रहे हैं.
पाक-अमेरिका संबंधों पर दबाव
बिलावल भुट्टो के इन तीखे बयानों से अमेरिका और पाकिस्तान के बीच पहले से तनावपूर्ण रिश्तों में और खटास आ सकती है. उन्होंने कहा कि अमेरिका और दक्षिण एशिया की भू-राजनीतिक परिस्थितियां अब पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी हैं.
बिलावल ने आतंकवाद के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय सहयोग की वकालत की, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि एक समय पाकिस्तान ने ही अफगान मुजाहिद्दीनों को समर्थन दिया था. उन्होंने यह भी नजरअंदाज किया कि पाकिस्तान की अपनी नीतियां और कार्यवाहियां क्षेत्र में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए जिम्मेदार रही हैं.
हथियारों की ब्लैक मार्केट की चुनौती
भुट्टो का दावा है कि आतंकवादी अफगानिस्तान में छोड़े गए अमेरिकी हथियारों को ब्लैक मार्केट से खरीदकर पाकिस्तान में हमलों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन आधुनिक हथियारों का मुकाबला करने में पाकिस्तानी सुरक्षाबल खुद को कमजोर महसूस करते हैं.
अफगानिस्तान की प्रतिक्रिया
हालांकि अफगान सरकार की ओर से इस पर कोई औपचारिक बयान नहीं आया है, परंतु राजनीतिक विश्लेषकों ने पाकिस्तान के रुख की आलोचना की है. अफगान टिप्पणीकार मोहम्मद जालमई अफगान यार ने कहा कि पाकिस्तान बार-बार अपने पड़ोसियों पर दबाव बनाने की कोशिश करता है और अफगान सरकार के लिए नई चुनौतियां खड़ी करता है.
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अफगान वापसी और उसके दुष्परिणाम
2021 में अमेरिकी सेना की वापसी पूरी हुई, लेकिन यह प्रक्रिया काफी अव्यवस्थित रही. तालिबान ने जल्दी ही अफगानिस्तान पर नियंत्रण पा लिया, और वहाँ छोड़े गए सैन्य संसाधनों का बड़ा हिस्सा आतंकियों के हाथ लग गया. रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 89 अरब डॉलर के सैन्य उपकरण अफगानिस्तान में रह गए, जिनका इस्तेमाल अब पूरे क्षेत्र में हो रहे आतंकी हमलों में हो रहा है.