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फरिश्ते जमीं पर...

आज जब सारी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही है तब सभी देश की सरकारें, सामाजिक संस्थाएं और बहुत से अच्छे दानी लोग बढ़-चढ़ कर काम कर रहे हैं, लोगों की सहायता कर रहे हैं, आगे बढ़कर मदद कर रहे हैं।

01:01 AM Apr 12, 2020 IST | Kiran Chopra

आज जब सारी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही है तब सभी देश की सरकारें, सामाजिक संस्थाएं और बहुत से अच्छे दानी लोग बढ़-चढ़ कर काम कर रहे हैं, लोगों की सहायता कर रहे हैं, आगे बढ़कर मदद कर रहे हैं।

फरिश्ते जमीं पर
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आज जब सारी दुनिया कोरोना जैसी महामारी से जूझ रही है तब सभी देश की सरकारें, सामाजिक संस्थाएं और बहुत से अच्छे दानी लोग बढ़-चढ़ कर काम कर रहे हैं, लोगों की सहायता कर रहे हैं, आगे बढ़कर मदद कर रहे हैं।  हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी लगभग हर रविवार को लोगों से रूबरू होकर उनका आह्वान कर रहे हैं, हाथ जोड़ कर प्रार्थना कर रहे हैं कि इस लड़ाई को कैसे लड़ना है। इसमें कोई दो राय नहीं कि एक मजबूत व्यक्ति, एक मजबूत राष्ट्र की असली पहचान तभी होती है जब वह मुसीबत  या आफत पड़ने पर न सिर्फ एकजुट रहता है बल्कि पूरी मजबूती के साथ उससे लड़ता है, इसीलिए मोदी जी सबसे राय मशविरा लेकर चल रहे  हैं, चाहे राज्यों के मुख्यमंत्री  हों या विपक्ष के नेता हों या अखबार वाले हों या सामाजिक संगठन हों, सब उनका साथ दे रहे हैं क्योंकि देश सबसे पहले है। कोई सरकार, पार्टी, जाति या वर्ग सभी पीछे हैं।
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हमारा पंजाब केसरी परिवार देश में कोई भी आपदा हो उसमें बढ़-चढ़ कर सहयोग देता है। यह हमने पुज्य लालाजी आैर आदरणीय शहीद रोमेश चन्द्र जी के पदचिन्हों पर चलते ही सीखा। चाहे देश में एमरजेंसी लगी हो तो अखबार को ट्रैक्टर से छापा और पंजाब में आतंकवाद का डट कर मुकाबला किया। लाला जी और रोमेश जी ने अपनी जान दी और रोमेश जी जाते-जाते शहीद परिवार फंड शुरू कर शहीदों की  विधवाओं के लिए मिसाल कायम कर गए, जिसमें पाठकों और दानी लोगों ने खूब चलाया और उसे आज भी उनके छोटे भाई चला रहे हैं जो एक मिसाल है। अब इस समय सभी अखबारें भी संकट में हैं, परन्तु तब भी हम किसी न किसी तरह से सहयोगी बने हुए हैं।
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इस समय सबसे बड़ा सहयोग है जो लोग अच्छा काम कर रहे हैं, उन्हें और प्रोत्साहित करना लोगों के सामने लाना है ताकि उन्हें देखकर और लोग  भी आगे आएं क्योंकि मेरा मानना है कि हर इंसान इस समय दूसरों की मदद करना चाहता है, परन्तु सबके पास या तो जरिया नहीं होता या धन नहीं होता तो मदद भी कई तरीकों से की जा सकती है। गत सप्ताह मैंने एक पुलिस वाले की वीडियो के बारे में लिखा था और कहा था कि अगर मुझे मिल जाएं तो हम उन्हें अच्छे हालात होने के बाद सम्मानित करेंगे तो मुझे आप सबसे शेयर करके खुशी होगी कि उस पुलिस वाले का मुझे मैसेज आ गया, वो छत्तीसगढ़ में डीएसपी अभिनव उपाध्याय हैं, जिनकी पत्नी ने ये शब्द लिखे और उन्होंने उसे गा कर नई मिसाल पैदा की। मुझे उनसे बात कर बहुत खुशी और गर्व महसूस हो रहा था और ऐसे लग रहा था कि उनसे बात कर जैसे मुझे कोई कोहिनूर का हीरा मिल गया है, आगे चलकर उनकी पूरी जानकारी दूंगी। यही नहीं, हमने यह देखते हुए जमीं पर फरिश्ते कालम में उन लोगों के बारे में छापना शुरू किया जो इस समय लोगों की मदद कर रहे हैं ताकि लोगों को समझ लगे कि इस कलियुग में फरिश्ते भी हैं। मैं यही कहूंगी।
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 दिल्ली पुलिस की पीसीआर वैन ने गुरुवार को जब 24 घंटों में पच्चीस गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाया तो यह एक पुण्य का काम था। उनकी कर्त्तव्य परायणता थी लेकिन ऐसे दिल्ली पुलिस के जवानों को दिल से सैल्यूट कहना चाहिए। मैं तो यही अपील करूंगी कि जब आप सड़कों पर दिन, दोपहर, शाम, रात ड्यूटी कर रहे दिल्ली पुलिस, सीआरपीएफ और बीएसएफ के जवानों को देखें तो उन्हें सैल्यूट करें। ये लोग अपने घर-परिवार छोड़कर कानून एवं व्यवस्था संभाल रहे हैं। सबका मार्गदर्शन कर रहे हैं और गरीब तथा जरूरतमंद लोगों को रोटियां पहुंचाने वाले संगठनों की मदद कर रहे हैं।
बेंगलुरु में देश की बेटी, जो एक नर्स है, वह बेलागवी में काम करती है। वह पिछले 18 दिन से हर रोज ड्यूटी जा रही है और उसकी तीन साल की बेटी को उसने अभी तक पिछले 18 दिन से देखा नहीं और बात नहीं की। सुगंधा नाम की इस नर्स बेटी को आखिरकार वहां के मुख्यमंत्री येिदयुरप्पा ने फोन करके कहा कि आप अपनी बच्ची को देखे बिना ड्यूटी कर रही हैं और कोरोना से संक्रमित लोगों की सेवा कर रही हैं, ईश्वर आपका भला करे। सचमुच देश की बेटी को सलाम है।
पश्चिम बंगाल के मालदा में एक 90 वर्षीय वृद्ध की मौत हो गई। कोरोना की वजह से घरों से निकलना मुश्किल था। विनय शाह की मौत अचानक हुई, उनके पड़ोसी चार लोग थे और वे मुसलमान थे। मुसलमान भाई बाहर निकले, उनकी अर्थी तैयार करवाई और फिर राम नाम सत्य है कहकर उन्हें शमशान तक कंधा दिया। ऐसी मानवता को कोटि-कोटि नमन है।
मुश्किलें और चुनौती बहुत बड़ी है लेकिन इस कोरोना को हराना है और हम लोगों की एक ही भावना है कि हम सब स्वस्थ रहें और दुनिया को स्वस्थ रखें। वासुदेव कुटुम्बकम की भावना अर्थात सबका भला करो की भावना के साथ हम डटे रहें। यह मानना पड़ेगा कि आगे भी मुश्किलों भरा समय है। कहने का मतलब मानवता की खातिर फरिश्तों की कोई कमी नहीं है। इटली जहां 18000 मौतें हो चुकी हैं, वहां 103 साल की एक महिला बराबर लोगों को प्रेरित कर रही है कि आप घबराएं नहीं और क्वारंटीन में रहें। मुझे कोरोना हो गया था और मैं आइसोलेशन में रहकर जीतकर आई हूं तो आप भी मत घबराइये और क्वारंटीन में रहना सीखिए। काश! देश और हमारी दिल्ली वाले उनकी इस अपील को समझ सकें। कुल मिलाकर मानवता की खातिर काम करने वाले फरिश्तों की कमी नहीं है। पंजाब पुलिस  और हरियाणा पुलिस के दर्जनों बड़े अधिकारी रोज कोरोना के प्रति जागरूकता को लेकर सोशल मीडिया पर सुंदर-सुंदर गीत गा रहे हैं और ड्यूटी भी कर रहे हैं। उनके इस जज्बे को सलाम है। हमारे लिए ये जमीन के फरिश्ते हैं।
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