Top NewsIndiaWorldOther StatesBusiness
Sports | CricketOther Games
Bollywood KesariHoroscopeHealth & LifestyleViral NewsTech & AutoGadgetsvastu-tipsExplainer
Advertisement

एक और बैंक डूब गया!

भारतीय बैंकिंग प्रणाली पहले से ही एनपीए की गम्भीर समस्या से जूझ रही है। पंजाब नेशनल बैंक में हजारों करोड़ के घोटाला बैंकिंग इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला साबित हुआ।

04:54 AM Sep 28, 2019 IST | Ashwini Chopra

भारतीय बैंकिंग प्रणाली पहले से ही एनपीए की गम्भीर समस्या से जूझ रही है। पंजाब नेशनल बैंक में हजारों करोड़ के घोटाला बैंकिंग इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला साबित हुआ।

भारतीय बैंकिंग प्रणाली पहले से ही एनपीए की गम्भीर समस्या से जूझ रही है। पंजाब नेशनल बैंक में हजारों करोड़ के घोटाला बैंकिंग इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला साबित हुआ। केन्द्र सरकार अब तक आभूषण व्यापारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी को विदेशों से भारत प्रत्यर्पित करने के लिए कानूनी दावपेंचों का सामना कर रही है। भगौड़े विजय माल्या पर भी अदालती कार्रवाई चल रही है। माल्या, नीरव, मेहुल तो दिग्गज खिलाड़ी हैं उनके पास कानूनी लड़ाई लड़ने की क्षमता और शातिर दिमाग भी है। 
Advertisement
अगर आपने किसी बैंक में अपनी बचत का धन जमा कराया हो और आपको कह दिया जाए कि आप अपना धन बैंक से नहीं निकाल सकते तो आपकी क्या हालत होगी। अपना ही पैसा बैंक से निकलवाने के ​लिए पाबंदियां कहां तक उचित हैं। भारतीय रिजर्व बैंक की पाबंदियों के बाद पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक चर्चा में हैं। रिजर्व बैंक के आदेश के मुताबिक इस बैंक के खाताधारक अपने खाते में केवल एक हजार रुपए निकाल सकते हैं। इस पर लोगों में हाहाकर मच गया। जब लोगों ने विरोध दर्ज कराया तो रिजर्व बैंक ने उन्हें राहत देते हुए खाते से पैसे निकलवाने की राशि को दस हजार रुपए कर दिया। बैंक के खाताधारकों में अफरातफरी मची हुई है। 
क्योंकि महाराष्ट्र में गणपति उत्सव से ही त्यौहारों का सीजन शुरू हो चुका है। अब दशहरा, दीपावली, दुर्गा पूजा उत्सव आएंगे। अगर लोगों के पास पैसे ही नहीं होंगे तो उनके उत्सव फीके ही रहेंगे। रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि बिना उसकी अनुमति के पीएससी बैंक फिक्स डिपाजिट भी नहीं कर सकता और न ही नया कर्ज दे सकता है। यद्यपि पीएमजी बैंक के एक्जीक्यूटिव​निदेशक ने खाताधारकों को आश्वस्त किया है कि 6 माह के दौरान अनियमितताओं को दूर कर लिया जाएगा और लोगों की पाई-पाई सुरक्षित है लेकिन खाताधारक बैंक को डूबा हुआ ही मान रहे हैं। इस बैंक की स्थापना 1984 में हुई थी। इस बैंक की 6 राज्यों में 137 शाखाएं हैं। 
किसी के घर में बेटी की शादी है, किसी के घर में कोई कार्यक्रम है। अगर लोगों को केवल दस हजार रुपए निकालने की अनुमति दी गई है तो वे शादियां कैसे कर पाएंगे। पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक शीर्ष बैंकों में एक है और यह बैंक 17 हजार करोड़ का कारोबार करता है। मार्च 2019 की बैलेंसशीट के मुताबिक बैंक ने 99 करोड़ का लाभ भी कमाया है। आरबीआई ने स्वयं इस बैंक को ए ग्रेड की रेटिंग दी थी।  अहम सवाल यह है कि ऐसा क्या हुआ कि बैंक की हालत खस्ता हो गई। ऐसा क्या कारण रहा एक हाउसिंग डिवैलपमैंट कम्पनी को नियमों को ताक पर रखकर दिया गया 8 हजार करोड़ का ऋण। 
इस कम्पनी ने ढाई सौ करोड़ का ऋण वापिस नहीं किया। यह कम्पनी अब दीवालिया होने जा रही है, इसका असर पीएमसी बैंक पर पड़ा है। बैंक का सरप्लस और मुनाफा मिलाकर हजार करोड़ भी नहीं है। रिजर्व बैंक को लगा कि यह बैंक अब चल नहीं पाएगा तो उसने इस बैंक को निगरानी में ले लिया। यदि बैंक डूबा तो इसका अर्थ यही होगा कि इस बैंक के खाताधारकों को एक लाख रुपए ही ​मिलेंगे। बैंकों का दीवाला निकल जाने के बाद यही नियम है। जिन लोगों का पैसा ज्यादा जमा है, उन्हें भी केवल एक लाख ही मिलेगा। आखिरकार पैसा तो खाताधारकों का ही डूबेगा। 
रिजर्व बैंक समय-समय पर बैंकों की जांच करता है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आरबीआई को पहले बैंक में अनियमितता का पता क्यों नहीं चला। आरबीआई के बैंक के बड़े अधिकारियों को जनता से सही जानकारियां छुपाने क्यों दीं। आरबीआई की कार्यप्रणाली, विनियमित प्रक्रिया और पारदर्शिता घेरे में है। तंत्र की नाकामी से एक और बैंक डूबा। जिस रियल एस्टेट कम्पनी को ऋण दिया गया था, पीएमसी बैंक की मैनेजिंग टीम के सदस्य इस ​रियल एस्टेट कम्पनी में डायरैक्टर हैं। ​रियल एस्टेट कम्पनी के संचालकों ने कम्पनी को बचाने के लिए पीएमसी का एनपीए बार-बार छुपाने की कोशिश की वजह से अचानक पीएमसी बैंक के  डूबने की नौबत आ गई। दोषी बैंक का मैनेजमैंट है। 
बैंकों के घोटाले कोई नए नहीं हैं। 2011 में सीबीआई ने अपनी जांच में पाया था कि कुछ बैंकों के अफसरों ने दस हजार संदिग्ध बैंक खाते खोले और उनमें ऋण के 1500 करोड़ ट्रांसफर कर लिए। कुछ के खिलाफ कार्रवाई हुई। कुछ बच निकले। कुछ लोग फर्जी दस्तावे॓जों के सहारे ऋण लेकर हड़प गए। देश में आर्थिक आतंकवाद बढ़ता जा रहा है और शिकार हो रहा है आम आदमी। सवाल यह है कि तंत्र की नाकामी का खामियाजा खाताधारक क्यों झेलें। वित्त मंत्रालय को ठोस कदम उठाने होंगे और खाताधारकों का पैसा बचाना होगा।
Advertisement
Next Article