महाराष्ट्र के एक और मंत्री पर रिश्वत लेने का आरोप, भ्रष्टाचार के मामले की जांच करेगी पुलिस
नासिक पुलिस आयुक्त दीपक पांडेय ने नासिक क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) के एक निलंबित मोटर वाहन निरीक्षक की शिकायत पर महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब और छह अधिकारियों के खिलाफ तबादलों और तैनाती में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं।
10:20 PM May 29, 2021 IST | Ujjwal Jain
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नासिक पुलिस आयुक्त दीपक पांडेय ने नासिक क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) के एक निलंबित मोटर वाहन निरीक्षक की शिकायत पर महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब और छह अधिकारियों के खिलाफ तबादलों और तैनाती में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के आदेश दिए हैं।
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अधिकारी ने कहा कि निलंबित अधिकारी गजेंद्र पाटिल ने अपनी शिकायत में आरटीओ विभाग में तबादलों और तैनाती में करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार का उल्लेख किया है। इस बीच शिवसेना के वरिष्ठ नेता परब ने कहा कि उनके, राज्य परिवहन आयुक्त और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ दर्ज शिकायत निराधार, राजनीति से प्रेरित है और इसका उद्देश्य महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार को बदनाम करना है।
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अधिकारी ने बताया कि नासिक आरटीओ में तैनात पाटिल ने 16 मई को नासिक के पंचवटी पुलिस थाने को एक ईमेल भेजकर शिकायत दर्ज कराई थी। वह 17 मई को पुलिस थाने भी गया था। पाटिल ने अपनी शिकायत में सीमा जांच चौकियों पर, कुछ निजी ऑपरेटरों के खिलाफ मामलों के निपटारे और बीएस-4 वाहनों के अवैध पंजीकरण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।
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उन्होंने कहा कि पाटिल ने राज्य के परिवहन मंत्री अनिल परब और आरटीओ के छह वरिष्ठ अधिकारियों के नाम आरटीओ अधिकारियों के तबादलों और तैनाती में कथित भूमिका के लिए लिये हैं। अधिकारी ने कहा कि पंचवटी पुलिस ने शिकायतकर्ता को बयान दर्ज कराने और दस्तावेज जमा करने के लिए बुलाया था, लेकिन वह जांच में सहयोग नहीं कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘शिकायत की गंभीरता को देखते हुए, इसे नजरअंदाज करना उचित नहीं था। तदनुसार, नासिक के पुलिस आयुक्त दीपक पांडेय ने शिकायत पर पुलिस उपायुक्त (अपराध) से जांच कराने के आदेश जारी किए।’’ पांडेय ने डीसीपी को अगले पांच दिनों में जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। अधिकारी ने पुलिस आयुक्त के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि डीसीपी जोन-एक और डीसीपी जोन-दो आवश्यक मानवबल और अन्य आवश्यकताओं के साथ डीसीपी (अपराध) की सहायता करेंगे। उन्होंने कहा, अगर जरूरत पड़ी तो जांच टीम जांच पूरी करने में कुछ और दिन ले सकती है।
पिछले महीने, विवादास्पद मुंबई पुलिस अधिकारी एवं अब सेवा से बर्खास्त सचिन वाजे ने एस पत्र में आरोप लगाया था कि जनवरी 2021 में अनिल परब ने उन्हें मुंबई निकाय में सूचीबद्ध ‘‘धोखाधड़ी’’ वाले ठेकेदारों के खिलाफ जांच करने और ऐसे लगभग 50 ठेकेदारों से कम से कम 2 करोड़ रुपये एकत्रित करने के लिए कहा था। वाजे ने उक्त पत्र अदालत में प्रस्तुत करने का अनुरोध किया था।
शिवसेना नेता परब ने वाजे के दावों को खारिज कर दिया था और कहा था कि वह आरोपों को लेकर किसी भी जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं। परब ने कहा था, ‘‘मैं शिवसेना सुप्रीमो बालासाहेब ठाकरे और अपनी दो बेटियों के नाम से शपथ लेता हूं कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एमवीए सरकार की छवि खराब करने का भाजपा का एक षड्यंत्र है।
शिवसेना राज्य में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार का नेतृत्व कर रही है, जिसमें राकांपा और कांग्रेस दो अन्य घटक दल हैं। राज्य के गृह विभाग का नेतृत्व राकांपा के दिलीप वालसे पाटिल कर रहे हैं। परब ने एक ट्वीट में कहा कि निलंबित अधिकारी गजेंद्र पाटिल ने उनकी (मंत्री) और एमवीए सरकार की छवि खराब करने के लिए काम किया है क्योंकि राज्य परिवहन विभाग से प्राप्त कई शिकायतों के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था।
मंत्री ने शिकायत के पीछे एक ‘‘साजिश’’ का भी आरोप लगाया।
उन्होंने ट्वीट किया कि उनके, परिवहन आयुक्त और पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ पंचवटी थाने में दर्ज शिकायत निराधार, झूठी और राजनीति से प्रेरित है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘शिकायत एक राजनीतिक मकसद से दर्ज की गई है, जिसके तहत (शिकायतकर्ता) यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि राज्य सरकार ऐसे मंत्रियों के खिलाफ कुछ नहीं कर सकती है और फिर उसके बाद उच्च न्यायालय के माध्यम से सीबीआई से जांच का अनुरोध करे।’’ मंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘ पुलिस शिकायत की जांच कर रही है और सच्चाई जनता के सामने आएगी।’’
उल्लेखनीय है कि राकांपा के वरिष्ठ नेता अनिल देशमुख ने तब अप्रैल में इस्तीफा दे दिया था, जब मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखकर दावा किया था कि राज्य के तत्कालीन गृह मंत्री ने कुछ पुलिस अधिकारियों के लिए मुंबई में होटल और बार से 100 करोड़ रुपये इकट्ठा करने का मासिक लक्ष्य रखा था। बाद में उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया था। तब उच्च न्यायालय ने सीबीआई से जांच का आदेश दिया जिसने देशमुख के खिलाफ मामला दर्ज किया था और विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की थी।

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