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एक और मां जैसी मां चली गई

हां , एक और मां जैसी मां ईश्वर को प्यारी हो गई।

01:08 AM Dec 07, 2022 IST | Kiran Chopra

हां , एक और मां जैसी मां ईश्वर को प्यारी हो गई।

एक और मां जैसी मां चली गई
हां , एक और मां जैसी मां ईश्वर को प्यारी हो गई। यह एक ऐसी मां थी जो जीते जी तो लोगों के लिए एक मिसाल थी, मृत्यु उपरंत भी लोगों के लिए एक मिसाल पैदा कर गई, जो जीवनभर तो लोगों के उपकार के लिए जीवित रही मृत्यु के बाद भी लोगों के कल्याण के लिए अपना देह दान कर गई। यही नहीं मैं यह भी मानती हूं कि अगर स्वर्गीय केदारनाथ साहनी ने अपने जीवन में कई आयाम स्थापित किए या आगे बढ़े तो इन सबके पीछे श्रीमती विमला साहनी जी का हाथ था। वह आम खास लोगों से अपनी कड़ी प्यार और स्नेह के साथ जोड़कर रखती थी। यहां तक कि जब 2004 में अपनी प्यारी सहेली ज्योति सूरी की बेटी श्रद्धा (जिसका रघु के साथ) की शादी पर गोवा गए तो उस समय वह वहां के गवर्नर थे। मुझे और अश्विनी जी को कहा तुम दोनों होटल में क्या कर रहे हो, तुम्हारा घर यहां है। इसी तरह जाते-जाते मुझे अपने बच्चों के साथ जोड़ गई।
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जब वो गईं तो दधिचि देह दान के अध्यक्ष माननीय आलोक जी बड़े अच्छे से सबको समझा कर उनकी विदाई की। उनके दोनों बेटे और संघ के सभी बड़े माननीय लोग उपस्थित थे। जीवन का यह संदेश सचमुच बहुत ही सार्थक और अत्यंत उपयोगी है जिसमें यह कहा गया है कि जीओ तो दूसरों के भले के लिए और मरो तो भी दूसरों के भले के लिए। यह शब्द बहुत साधारण हो सकते हैं परंतु इनका अर्थ उस समय बहुत गहरा हो जाता है जब इन शब्दों को लागू किया जाता है। मृत्यु के बाद अगर किसी का देह दान कर दिया जाये तो मैं समझती हूं इससे बड़ा परोपकार इस दुनिया में हो ही नहीं सकता। रुपये-पैसे के दान के अलावा परोपकार के तहत मृत्यु के बाद अपने शरीर का दान एक सच्ची इंसानियत और महान इंसान की बड़ी सोच ही कहा जायेगा। आरएसएस के वरिष्ठ कार्यकर्ता स्व. श्री केदारनाथ साहनी जी की धर्मपत्नी श्रीमती विमला साहनी जी की मृत्यु सचमुच बहुत दु:खद है लेकिन उनके परिवार ने उनका देह दान का पवित्र संकल्प लिया है। ऐसी मानवता की देवी को शत् शत् नमन है। उनके पति श्री केदारनाथ साहनी जी दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह सिक्किम और गोवा के राज्यपाल भी रह चुके हैं। उन्होंने भी जीवन से लेकर मृत्यु तक राजनीति में रहते हुए भी केवल अच्छे संस्कारों का निर्वाह किया और हमेशा परोपकार की बातें करने के साथ-साथ लोगों का भला भी किया। हमारे पंजाब केसरी के संस्थापक शहीद शिरोमणि लाला जगत नारायण जी, अमर शहीद रमेश चंद्र जी तथा संपादक श्री अश्विनी कुमार जी से श्री केदारनाथ साहनी जी के साथ बहुत घनिष्ठ संबंध रहे हैं। हमेशा संस्कारों का स्वरूप उनमें दिखाई देता रहा। चाहे फोन पर बातचीत हो या वैसे मिलना-जुलना हो, उनका व्यक्तित्व अलग ही नजर आता था। ठीक ऐसी ही श्रीमती विमला साहनी जी थी उनकी मृत्यु पर ऐसा लगता है मानो कोई प्रेरणा देने वाला दूर कहीं खो गया हो। हमारे वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब और चौपाल परिवार से श्रीमती विमला साहनी जी जुड़ी रही। हमेशा लोगों के कल्याण की ही बातें करती थी। बुजुर्गों के सम्मान की खातिर जब हमने वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब शुरू किया तो मेरा हौंसला बढ़ाने के लिए वह सदा अग्रसर रहती थी। हमेशा उम्मीदवान थी। मुझे कई बार कहती कि किरण तुमने बुजुर्गों के सम्मान का जो संकल्प किया है इसे निभाती रहना। तुम्हारा कामकाज में दिल लगा रहेगा। यह बात सच है। हमारे दैनिक पंजाब केसरी ने बहुत कुछ देखा है, अनुभव किया है और निष्कर्ष यही है कि श्रीमती विमला साहनी जी सही कहती थी और परोपकार के लिए बुजुर्गों के सम्मान के लिए मैं आज भी डटी हुई हूं और काम करती रहूंगी। मेरा श्रीमती विमला साहनी जी से यह एक हर समय होने वाला वादा रहता था और मैं इसे हमेशा निभाती रहूंगी।
जीवन में कई अनुभव हैं जो कुछ खास लोगों के साथ निभाये जाते हैं। लेकिन साहनी परिवार सचमुच ऐसा है कि दु:ख में सुख में, अनुकूल या प्रतिकूल परिस्थिति में, वह सदा एक सा भाव रखने वाला परिवार है और हर किसी को सच की तरफ प्रेरित करता रहता है। जीवन में जब हम किसी अपने को खोते हैं तो बहुत दु:ख होता है लेकिन फिर ऐसा ही अपना जब यह कहे हर दु:ख-सुख में एक जैसा रहो तो याद आता है कि श्रीमती विमला साहनी कितनी सही बात कहती थी। कितने ही मौकों पर ऋण वितरण कार्यक्रम के दौरान उनसे लंबी बातें होती थी और वह हमेशा जिन गरीब लोगों को ऋण मिलता तो उन्हें आशीर्वाद भी देती कि आप इस राशि से अपने कामकाज को संभालो, भगवान आशीर्वाद देगा। उनके आशीर्वाद आज भी काम आ रहे हैं।
उन्हें देखकर ही एक नई ऊर्जा का संचार हो जाता था। मानवता की इस सच्ची देवी को मैं पंजाब केसरी परिवार की ओर से, वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की ओर से, चौपाल परिवार की ओर से और अपनी लेखनी की तरफ से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। इंसान चला जाता है लेकिन अपने नेक संस्कार छोड़ जाता है और उनके परिवार में यही सबकुछ है। राजनीति में ऐसी सच्ची पुण्य आत्माओं का अगर उल्लेख किया जाता है तो साहनी परिवार सर्वप्रथम है। अपने लिए कभी कुछ नहीं मांगा। सदा दूसरों के भले की प्रभु से कामना की। हे प्रभु श्रीमती विमला साहनी जी की बिछोह आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान देना और परिवार के लोगों को दु:ख की इस घड़ी में भगवान मजबूती प्रदान करेंगे, ऐसा प्रभु की प्रार्थना करते
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हुए विश्वास है।
ओम शांति… ओम शांति… ओम शांति…। द्य
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