Apple ने भारत में निर्यात किए 2 बिलियन डॉलर के iphone, ट्रंप के टैरिफ ऐलान से पहले बड़ा कदम
एप्पल ने भारत को बनाया मैन्यूफैक्चरिंग हब, 20% उत्पादन यहीं
ट्रंप के टैरिफ से बचने के लिए एप्पल ने भारत में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाई, जिससे 2 बिलियन डॉलर के आईफोन निर्यात किए गए। भारत अब एप्पल के वैश्विक उत्पादन का 20% हिस्सा बन गया है, जिसमें फॉक्सकॉन और टाटा की अहम भूमिका है।
भारत में मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में एप्पल ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। पिछले साल में कंपनी ने यहां करीब 22 बिलियन डॉलर (करीब ₹1.8 लाख करोड़) के आईफोन बनाए हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 60% की जोरदार बढ़ोतरी है। यह बढ़त दर्शाती है कि एप्पल अब चीन से आगे भारत में अपना उत्पादन बढ़ा रहा है। जानकारी के मुताबिक कंपनी अब दुनियाभर में बिकने वाले हर 5 आईफोन में से 1 का निर्माण भारत में कर रही है। यानी करीब 20% उत्पादन भारत में हो रहा है। सरकार भी मेक इन इंडिया के तहत भारत में मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाना चाहती है।
टैरिफ लागू होने से पहले बड़ा कदम
सूत्रों की मानें तो यह कदम पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नए टैरिफ लगाए जाने की आशंका के चलते उठाया गया है। टैक्स बढ़ने पर लागत भी बढ़ जाएगी, इस डर से मार्च में ही बड़ी मात्रा में आईफोन अमेरिका भेजे जा चुके थे।
भारत में कहां बनते हैं आईफोन?
एप्पल और इसके प्रमुख आपूर्तिकर्ता जैसे फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन (अब टाटा के पास) और पेगाट्रॉन अब चीन से दूर हटकर भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब के तौर पर तेजी से अपना रहे हैं। यह बदलाव तब शुरू हुआ जब कोविड-19 लॉकडाउन के चलते एप्पल की सबसे बड़ी फैक्ट्री को बड़ा झटका लगा। भारत में बनने वाले ज़्यादातर iPhone दक्षिण भारत में स्थित फॉक्सकॉन की फैक्ट्री में असेंबल किए जाते हैं। इसके अलावा टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, जिसने विस्ट्रॉन के भारतीय कारोबार को अधिग्रहित कर लिया है और अब विस्ट्रॉन की इकाइयों को भी संभाल रही है। इस तरह भारत में एप्पल के उत्पादन नेटवर्क का दायरा लगातार बढ़ रहा है।
भारत आईफोन निर्यात का नया पावरहाउस बना
भारत में आईफोन का निर्माण अब घरेलू बाज़ार तक सीमित नहीं रह गया है, अब ये डिवाइस तेज़ी से दुनिया भर में पहुंच रहे हैं, ख़ासकर अमेरिका में। 8 अप्रैल को देश के IT मंत्री ने कहा कि मार्च 2025 तक एप्पल भारत से लगभग ₹1.5 ट्रिलियन मूल्य के iPhone निर्यात कर चुका है। एप्पल के CEO टिम कुक भले ही चीन की विनिर्माण क्षमता की तारीफ़ करते रहे हों, लेकिन अब कंपनी का ध्यान धीरे-धीरे भारत की ओर बढ़ रहा है। हालांकि ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस का कहना है कि एप्पल को अपनी उत्पादन क्षमता का 10% चीन से बाहर लाने में लगभग 8 साल लग सकते हैं, लेकिन इसकी शुरुआत भारत से हो चुकी है और वो भी तेज़ गति से।
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