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सेना और अग्निपथ योजना

04:58 AM Nov 27, 2025 IST | Aditya Chopra
पंजाब केसरी के डायरेक्टर आदित्य नारायण चोपड़ा

भारतीय सेना केवल एक सैन्य संगठन नहीं बल्कि यह भारत के शौर्य, साहस, बलिदान और अटूट राष्ट्र निष्ठा का जीवंत प्रतीक है। यह वह शक्ति है जो हमारी सीमाओं की रक्षा करती है। युद्ध हो या शांति काल सेना ने हमेशा अभूतपूर्व सेवाएं दी हैं। सेना हमारे राष्ट्र की रीढ़ है जो हर चुनौती के सामने अडिग खड़ी रहती है। सेना के जवान और अधिकारी दिन-रात देश की सीमाओं की रक्षा में तैनात रहते हैं। वे हमारे समाज के सबसे बड़े नायक हैं। यह सिर्फ वर्दी पहने हुए सैनिक नहीं बल्कि भारत के सम्मान, सुरक्षा और भविष्य के संरक्षक हैं। अब यह महसूस किया जा रहा है कि सेना में भर्ती के लिए युवाओं का आकर्षण कम होता जा रहा है। भारतीय सेना में 1.8 सैनिकों की कमी है। इस समय सेना की कुल संख्या 12.48 लाख है। रक्षा मंत्रालय ने सात महीने पहले संसद की स्थायी समिति को यह रिपोर्ट दी थी जो पद खाली पड़े हैं। इनमें से 92,410 पद जूनियर कमीशंड ऑफिसर ( जेसीओ) और नॉन-कमीशंड ऑफिसर (एनसीओ) के हैं। यह करीब 7.72 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है। 1 अक्तूबर, 2024 तक सेना में स्वीकृत पद 11,97,520 के मुकाबले 11,05,110 पद भरे थे। इसके अलावा 16.71 प्रतिशत ऑफिसर्स की भी कमी है। 1 जुलाई, 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार सेना में 42,095 ऑफिसर (मेडिकल कोर, डेंटल कोर और मिलिट्री नर्सिंग सर्विस को छोड़कर) हैं, जबकि स्वीकृत पदों की संख्या 50,538 है। सेना से हर साल करीब 60 हजार सैनिक रिटायर हो जाते हैं। कोविड के दौरान दो साल सैनिक भर्ती बंद रही। इस वजह से सेना में सीधे तौर पर 1.20 लाख सैनिकों की कमी हो गई। 2022 में अग्निपथ स्कीम शुरू होने के बाद हर साल करीब 40 हजार अग्निवीर सैनिक ही भर्ती हो रहे हैं। इस वजह से कोविड के दौरान बंद हुई भर्ती की कमी पूरी नहीं हो पा रही है।
सेना में जवानों की कमी को पूरा करने के लिए सरकार अग्निवीरों की भर्ती के लिए हर वर्ष रिक्तियों को मौजूदा 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख करने पर विचार कर रही है। अग्निवीर स्कीम शुरू होने से पहले सैनिकों की भर्ती आम ढंग से होती थी। जब 14 जून, 2022 को अग्निपथ स्कीम लॉन्च हुई तो रिक्रूटमेंट चार साल के लिए होनी थी। उस साल आर्मी, नेवी और इंडियन एयर फोर्स में रिक्रूटमेंट के लिए कुल लगभग 46,000 वैकेंसी अलॉट की गई थीं। इसमें से 40,000 वैकेंसी आर्मी के लिए और बाकी नेवी और आईएएफ के लिए थीं। उस समय के प्लान के मुताबिक, अगले चार सालों में आर्मी के लिए अग्निवीरों की भर्ती धीरे-धीरे बढ़ाई जानी थी, जिसकी लिमिट 1.75 लाख थी। नेवी और आईएएफ के लिए रिक्रूटमेंट के आंकड़े भी अगले चार सालों में धीरे-धीरे बढ़कर लगभग 28,700 होने वाले थे।
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारतीय सेना के तीनों अंगों में करियर के अच्छे अवसर मौजूद हैं लेकिन अग्निपथ योजना युवाओं को बहुत ज्यादा आकर्षित नहीं कर पाई। इसके कई कारण हैं। मुख्य कारण यह है कि 4 साल की सीमित सेवा अवधि और सेवा समाप्त होने के बाद केवल 25 फीसदी अ​ग्निवीरों को स्थायी नौकरी का अवसर मिलता है। इसके अलावा सेवा के दौरान ग्रेच्युटी और पैंशन जैसी सुविधाओं की कमी और सेवा समाप्ति के बाद नागरिकों के रूप में रोजगार के अवसरों को लेकर भी चिंताएं हैं। यद्यपि राज्य सरकारों आैर कई केन्द्रीय मंत्रालयों ने अग्निवीरों के लिए नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान किया हुआ है लेकिन इससे चिंताएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही। 4 साल की सेवा समाप्त होने के बाद 74 प्रतिशत अग्निवीरों को नए करियर की तलाश करनी पड़ती है। इसे लेकर भी युवाओं में दुविधा की​ स्थिति बनी रहती है। बदलती सुरक्षा आवश्यकताओं के अनुरूप सैनिकों की भर्ती के ​िलए भारत ही नहीं बल्कि हर देश में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं। करगिल समीक्षा समिति और राष्ट्रीय सुरक्षा प्रणाली के लिए गठित मंत्री समूह की रिपोर्टों में सशस्त्र बलों में युवा कर्मियों की जरूरत और पैंशन के बोझ को कम करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला था। समितियों ने यह भी माना था कि सशस्त्र बलों के लिए प्रतिभाओं को आकर्षित करने और उन्हें बनाए रखने में कठिनाइयां आ रही हैं। मंत्रियों के समूह की रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि सशस्त्र बल हर समय अपनी सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू स्थिति में रहे, सेवाओं में युवा प्रोफाइल सुनिश्चित करना आवश्यक है। भारतीय सेना में युवाओं की भर्ती सुनिश्चित करने के लिए ही अग्निपथ योजना की शुरूआत की गई थी। अग्निपथ योजना भारत की सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण और एक युवा तकनीकी रूप से अधिक कुशल सेना तैयार करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण पहल है। हालांकि इस योजना को अपनी पूर्ण क्षमता तक पहुंचने के ​िलए अग्निवीरों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना बहुत जरूरी है। बेहतर यही होगा कि योजना में सेवा अवधि को 4 साल से बढ़ाकर 8 या 10 वर्ष कर दिया जाए। यह अवधि अग्निवीरों को आकर्षित करेगी। अग्निवीरों को सेना में मूल्यवान, अनुभव आैर कौशल प्राप्त होता है लेकिन विशिष्ट नागरिक भूमिकाओं के लिए कुछ आवश्यक कौशलों की उनमें कमी हो सकती है। इसके लिए भी स्किल डिवैलपमैंट के ​िलए प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। अग्निवीरों के सेवाकाल और सेवा के बाद उपायों को अपनाकर इस योजना को आक​र्षक बनाया जा सकता है। इससे सशस्त्र बल तो सशक्त बनेंगे ही साथ ही अग्निवीरों को सैन्य और नागरिक दोनों ही सफलताओं के ​िलए सशक्त बनाएगी। यह इस दृष्टिकोण के अनुरूप होगा जो व्यक्तियों आैर राष्ट्र दोनों के लिए एक उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करता है। राष्ट्र की सुरक्षा पंक्ति न तो जवानों की दृष्टि से और न ही आधुनिकतम हथियारों की दृष्टि से कमजाेर होनी चाहिए। हर भारतीय अपनी सेना पर गर्व करता है क्यों​िक उनके त्याग और बलिदान का कर्ज कभी नहीं चुकाया जा सकता।

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