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भारत का परमाणु ऊर्जा मिशन

भारत का परमाणु ऊर्जा मिशन देश में परमाणु ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ाने…

11:20 AM Feb 06, 2025 IST | Aakash Chopra

भारत का परमाणु ऊर्जा मिशन देश में परमाणु ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ाने…

भारत का परमाणु ऊर्जा मिशन

भारत का परमाणु ऊर्जा मिशन देश में परमाणु ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ाने और परमाणु प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए है। भारत का लक्ष्य है कि वर्ष 2050 तक देश के बिजली उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का योगदान 25 प्रतिशत हो। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024-25 में देश में स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की ओर एक बड़ा कदम बढ़ाते हुए परमाणु ऊर्जा मिशन के लिए 20 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इस मिशन के तहत 2033 तक पांच छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) चालू किए जाएंगे। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए भी भारत को परमाणु ऊर्जा स्रोतों की जरूरत है। देश में जिस तेजी से शहरों आैर गांवों का विकास हो रहा है और जलवायु परिवर्तन के चलते धरती का तापमान बढ़ रहा है, उससे बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। इस समय देश में बिजली की कुल मांग का 89 फीसदी हिस्सा ​जीवाश्म ईंधन से आ रहा है। भारत वर्तमान समय में सौर ऊर्जा पर बहुत बल दे रहा है। सौर ऊर्जा पैनल के लिए लोगों को सरकार स​ब्सिडी भी दे रही है। परमाणु ऊर्जा का शोर हम कई वर्षों से सुनते आ रहे हैं।

2006 में जब बुश भारत की यात्रा पर आए तो सैनिक और असैनिक परमाणु रिएक्टरों को अलग करने पर भी सहमति बनी थी। इसके बाद अमरीकी संसद ने हेनरी हाइड एक्ट पारित किया लेकिन करार को अमली जामा पहनाने से संबंधित 1-2-3 समझौते पर काफी अर्से तक सहमति नहीं बन पाई। 18 जुलाई 2006 को इसे अंतिम रूप दिया गया था। दो बड़े मुद्दे थे जिन पर दोनों देशों में सहमति नहीं बन पाई थी। भारत की मांग थी कि भविष्य में अगर वह परमाणु परीक्षण करता है, तो उसका इस समझौते पर कोई असर न पड़े। इसके लिए अमेरिकी कानून में बदलाव की जरूरत पड़ती और अमेरिका इसके लिए तैयार नहीं था। इसके अलावा भारत परमाणु संयंत्रों में इस्तेमाल हुए ईंधन पर पूरा हक चाहता था। अब पिछले महीने ही अमेरिका ने भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र, इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केन्द्र और इंडियन रेयर अर्थ्स पर लगी पाबंदियां हटा ली हैं। भारत अमेरिका के इस कदम का लाभ उठाना चाहता है। देश में इस समय सात विद्युत परमाणु केन्द्र हैं। अगर 2033 तक पांच छोटे रिएक्टर चालू हो जाते हैं तो बिजली उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट प्रति यूनिट होगी, जो परम्परागत बिजली संयंत्रों की उत्पादन क्षमता का एक तिहाई होगा।

भारत में वर्ष 2024 में 8.18 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा का उत्पादन हुआ था जो वर्ष 2014 में दर्ज 4.78 गीगावॉट उत्पादन के दोगुने से थोड़ा ही अधिक था। अगले 22 वर्षों में 100 गीगावॉट परमाणु ऊर्जा का उत्पादन एक चुनौतीपूर्ण लक्ष्य है। सरकार एसएमआर में निजी क्षेत्र से निवेश पर निर्भर दिखाई दे रही है। निजी क्षेत्र पर निर्भरता इस बात से भी झलकती है कि सरकार नियंत्रित भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के लिए रकम का आवंटन वित्त वर्ष 2025-26 में 472 करोड़ रुपये घटा दिया गया है। सरकार ने परमाणु ऊर्जा विभाग का बजट भी 402 करोड़ रुपये कम कर दिया है। निजी क्षेत्र से निवेश स्वीकार करने की तत्परता दिखाने के लिए वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि सरकार परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक उत्तरदायित्व अधिनियम (सीएलएनडीए) में संशोधन करेगी। पहले कानून में संशोधन के बाद भारत में परमाणु ऊर्जा उत्पादन में एनपीसीआईएल का बोलबाला खत्म हो जाएगा। संभव है कि सरकार उस शर्त का समाधान निकालने की कोशिश करेगी जिससे भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के बाद दुनिया में निजी क्षेत्र की परमाणु ऊर्जा कंपनियां निवेश के लिए आगे नहीं आ रही हैं। इस समझौते के अंतर्गत किसी परमाणु दुर्घटना से हुए नुकसान की सूरत में आपूर्तिकर्ताओं और परिचालनकर्ताओं की जवाबदेही तय की गई थी।

भारत छोटे रिएक्टर तैयार करने और इनका संचालन करने में दक्ष हो चुका है। भारत खुद ऐसे रिएक्टर तैयार कर रहा है। एसएमआर की शुरूआत से ऊर्जा उत्पादन में कई चुनौतियों का समाधान होने की उम्मीद है, खासकर दूरदराज के इलाकों में जहां बड़े पैमाने पर संयंत्र संभव नहीं हो सकते हैं। ये रिएक्टर बेहतर सुरक्षा सुविधाएं प्रदान करते हैं, जिसमें निष्क्रिय सुरक्षा प्रणाली शामिल है जिसके लिए आपात स्थिति के दौरान न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, एसएमआर विभिन्न शीतलन तकनीकों का उपयोग कर सकते हैं और बिजली उत्पादन से परे विविध अनुप्रयोगों जैसे कि विलवणीकरण और हीटिंग के लिए उपयुक्त हैं।

सीतारमण की घोषणा भारत की स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। सरकार का लक्ष्य 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने की अपनी रणनीति के हिस्से के रूप में परमाणु ऊर्जा का लाभ उठाना है। इन पांच एसएमआर के संचालन से भारत के ऊर्जा पोर्टफोलियो में विविधता लाने और सतत विकास सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।

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Aakash Chopra

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