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Ayudha Puja 2025: विजयदशमी पर क्यों होती है अस्त्र-शस्त्र पूजा? जानें इसका महत्व और पूजा विधि

01:03 PM Oct 01, 2025 IST | Bhawana Rawat

Ayudha Puja 2025: शारदीय नवरात्रि का समापन विजयदशमी के साथ होता है, यह दिन असत्य पर सत्य की जीत का प्रतिक है। इस दिन आयुध पूजा यानि अस्त्र-शस्त्र की पूजा भी की जाती है। हिंदू धर्म में दशमी तिथि का विशेष महत्व होता है, पंचांग के अनुसार इस साल ये पर्व 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस पूजा में रोजाना जिंदगी में काम आने वाले औजारों और उपकरणों की पूजा होती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन शस्त्र पूजा करने से, देवी मां का आशीर्वाद बना रहता है और घर में सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते हैं कि आयुध पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है, पूजा विधि क्या है और इसका क्या महत्व है।

आयुध पूजा शुभ मुहूर्त (Ayudha Puja Muhurat)

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हर वर्ष दशहरे के मौके पर आयुध पूजा की जाती है। ये पूजा हर साल अश्विन महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को ही होती है। इस बार आयुध पूजा 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी। आइए जानते हैं इस पूजा का शुभ मुहूर्त-

आयुध पूजा का महत्व (Ayudha Puja Mahatva)

शस्त्र पूजन की परंपरा आदिकाल से ही चली आ रही है। प्राचीन समय से ही राजा-महाराजा शस्त्र पूजन करते रहे हैं और सेना में भी इस दिन शस्त्रों की पूजा की जाती है। पुराने समय में इस दिन राजा सीमोल्लंघन करते थे। मान्यता है कि शस्त्र पूजा करने से व्यक्ति के साहस और शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है, कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है और कमाई में मुनाफा होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, वाहनों को माता काली का स्वरुप माना जाता है, इस दिन वाहनों की पूजा करने से दुर्घटना का डर नहीं होता।

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आयुध पूजा विधि (Ayudha Puja Vidhi)

  1. आयुध पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  2. पूजा के स्थान को गंगाजल छिड़ककर अच्छे से साफ़ करें।
  3. पूजा घर के पास ही अपने सरे औजारों और उपकरणों को रख दें।
  4. ध्यान रखें की औजारों को जमीन पर न रखें, एक साफ कपड़ा बिछाकर उसपर रखें।
  5. औजारों और उपकरणों पर गंगाजल छिड़ककर पूजा की शुरुआत करें।
  6. उनके आगे धूप-दिया प्रज्ज्वलित करें, हल्दी-चंदन का तिलक लगाएं और फिर फूल चढ़ाएं।
  7. अगर आप चाहें, तो शास्त्रों पर पवित्र धागा कलावा भी बांध सकते हैं।
  8. अस्त्र-शस्त्र पर गणजल छिड़कने से लेकर कलावा बांधने तक मन ही मन ये मंत्र 'शस्त्र देवता पूजनम्, रक्षा कर्ता पूजनम्' दोहराएं।
  9. आरती करने के साथ ही माता रानी से अपने परिवार की सुरक्षा, खुशहाली और सुख-समृद्धि की मनोकामना करें।

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