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1 अरब 84 करोड़ का बकाया, मौत का साया बनकर बहने लगा मलकपुर मिल का नाला

10:54 AM Nov 01, 2025 IST | Himanshu Negi
1 अरब 84 करोड़ का बकाया  मौत का साया बनकर बहने लगा मलकपुर मिल का नाला
Baghpat News (source: PK Files)
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Baghpat News: बागपत में किसानों का मलकपुर मिल पर एक अरब 84 करोड़ रुपये का गन्ना का बकाया भुगतान मलकपुर मिल पर लंबे समय से अटका पड़ा है दूसरी ओर मलकपुर चीनी मिल के शुरू होते ही गांव में बीमारी परोसने वाला जहरीला नाला फिर मौत का साया बनकर बहने लगा है। गन्ना किसान पहले ही अपनी मेहनत की कमाई के लिए तरस रहे हैं और अब मिल से निकलने वाला रसायन युक्त दूषित पानी उनके जीवन, पर्यावरण और भविष्य को भी निगलने लगा है। मिल की चालू मशीनें किसानों के लिए उत्सव नहीं बल्कि दर्द की गूंज बन चुकी हैं।

Baghpat News: 35 हजार किसान गन्ना सप्लाई

Baghpat News (source: PK Files)
Baghpat News (source: PK Files)

मलकपुर शुगर चीनी मिल क्षेत्र में लगभग 35 हजार किसान गन्ना सप्लाई करते हैं। इन किसानों में से अधिकांश का लाखों रुपयों का भुगतान कई महीनों से अटका हुआ है। खेतों में खड़ा गन्ना सूखने से बचाने के लिए वे मजबूरी में गन्ना मिल को भेज रहे हैं, पर उनके खाते अब भी खाली हैं। इधर, मिल शुरू होने के साथ ही मलकपुर गांव के बाहरी छोर से बहने वाला नाला फिर ज़हर उगलने लगा है। इस नाले का रसायनयुक्त पानी भूजल में मिलकर हैंडपंपों से होते हुए सीधे ग्रामीणों के शरीर में जा रहा है।

Malkapur Sugar Mill: कैंसर और गंभीर बीमारियां

जल निगम की जांच में ज्यादातर हैंडपंपों का पानी पीने योग्य नहीं पाया गया, जिनमें नाइट्रेट और एल्कलाइन की मात्रा खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है। नाले के किनारे रहने वाले लगभग 300 से अधिक परिवार कैंसर, त्वचा रोग और संक्रमण की चपेट में आते जा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 10-15 वर्षों में गांव में दर्जनों मौतें कैंसर और गंभीर बीमारियों के कारण हुई हैं। कुछ घरों में तो दो-दो सदस्य इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। ग्रामीण महिलाएं कहती हैं कि पानी पीने योग्य नहीं, रोज़ जग खरीदकर पानी पीना पड़ता है।

Malakpur UP News: नाले के पास खड़ा होना मुश्किल

नाले के पास खड़ा होना मुश्किल
नाले के पास खड़ा होना मुश्किल (source: PK Files)

नहाने से शरीर पर लाल चकत्ते पड़ जाते हैं, त्वचा सब खराब होती जा रही है। नाले के पास खड़ा होना तक मुश्किल हो गया है, बदबू लोगों को बीमार कर रही है। बता दे कि करीब नौ वर्ष पहले मिल प्रशासन और ग्रामीणों के बीच नाले की 50-50 प्रतिशत सफाई का निर्णय हुआ था, पर वह आज तक फ़ाइलों में ही दफन है। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारियों और मिल प्रबंधन की सांठगांठ के कारण समस्या जानबूझकर अनदेखी की जा रही है।

किसानों व ग्रामीणों की मांग स्पष्ट है - पहले बकाया भुगतान और जहरीले नाले का स्थायी समाधान, तभी पेराई सत्र को आगे बढ़ाया जाए। यहां के किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे धरना-प्रदर्शन करने पर मजबूर होंगे।

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Himanshu Negi

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