ब्लूचिस्तानः पाक-चीन को झटका
पाकिस्तान का ब्लूचिस्तान खुली हवा में सांस लेना चाहता है। वो आजादी के लिए छटपटा रहा है। पूरी दुनिया जानती है कि ब्लूचिस्तान में पाकिस्तान के हुकमरानों के अत्याचार की दास्तां बहुत लम्बी है। यह भी वास्तविकता है कि पाकिस्तान की सेना और आईएसआई ने ब्लूचिस्तान पर नियंत्रण खो दिया है। पाकिस्तान सच्चाई को छिपाता है और वहां के लोगों की आवाज दबाने की पूरी कोशिश करता है। पाकिस्तान टूट के कगार पर है। यह इतिहास किसी से छिपा हुआ नहीं है कि भारत विभाजन के बाद स्टेट ऑफ क्लात यानि ब्लूचिस्तान करीब 227 दिनों तक स्वतंत्र रहा। ब्लूचिस्तान पाकिस्तान में शामिल होना ही नहीं चाहता था और पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना भी आजाद ब्लूचिस्तान के समर्थक थे। 1947 में बुगती नवाब और क्लात के खान के साथ जो संबंध थे वो कभी बदल गए थे। तब जिन्ना ने ब्लूचिस्तान को जबरन पाकिस्तान में मिलाया। तब से लेकर आज तक पाकिस्तान ने ब्लूचिस्तान का जमकर शोषण किया। पाकिस्तान को सबसे ज्यादा राजस्व यहीं से आता है लेकिन यह प्रांत अभी भी पिछड़ा हुआ है। आजादी की मांग कर रही ब्लूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने पाकिस्तान सेना और आईएसआई की नाक में दम कर रखा है।
ब्लूचिस्तान लिबरेशन आर्मी यानि बीएलए को लेकर पाकिस्तान को अब एक आैर बड़ा झटका लगा है। अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस की तिकड़ी ने मिलकर पाकिस्तान के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। अमेरिका ने इस मामले में अपना रंग बदल लिया है। पाकिस्तान ने चीन की मदद से संयुक्त राष्ट्र में ब्लूचिस्तान से जुड़े दो संगठनों को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव रखा था लेकिन अमेरिका, इंग्लैंड और फ्रांस ने मिलकर इस प्रस्ताव को वीटो कर दिया। पाकिस्तान में बीएलए आैर उसकी मिलिट्री विंग मजीद ब्रिगेड को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव रखा था। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र के सैक्शन 1267 के तहत आतंकी संगठन घोषित करने का प्रस्ताव रखा था। ऐसे में अमेरिका ने साफ कर दिया कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चलता हो कि ये दोनों ब्लूच संगठन अलकायदा या फिर आईएसआईएस से जुड़े हैं। दरअसल अमेरिका ने पिछले महीने बीएलए और उसकी मजीद ब्रिगेड को विदेशी आतंकवादी संगठन घोषित किया था। अमेरिकी विदेश विभाग ने अपने बयान में कहा था कि मजीद ब्रिगेड, बीएलए के पिछले विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) पदनाम का एक उपनाम था। उस समय अमेरिका के इस कदम को एक संतुलन वाले कदम के रूप में देखा गया था, क्योंकि अमेरिका ने पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले लश्कर के 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) को लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा समूह करार दिया था।
मगर यूएन में तकनीकी आधार पर अमेरिका ने ब्लूच संगठनों पर बैन लगाने से साफ इन्कार कर दिया। पाकिस्तान, वर्तमान में 15 देशों की सुरक्षा परिषद में 2025-26 के कार्यकाल के लिए एक अस्थायी सदस्य के रूप में शामिल है और चीन स्थायी सदस्य है। ऐसे में अमेरिका की उस घोषणा से उत्साहित होकर पाकिस्तान और चीन अपना निजी फायदा देखते हुए बीएलए मजीद ब्रिगेड को वैश्विक आतंकी संगठन घोषित करना चाहते थे लेकिन उनकी साजिश नाकाम रही। मगर संयुक्त राष्ट्र में तकनीकी आधार पर अमेरिका ने ब्लोच संगठनों पर प्रतिबंध लगाने से साफ इंकार कर दिया। दरअसल पाकिस्तान और चीन अपना निजी फायदा देखते हुए इन संगठनों पर प्रतिबंध लगाना चाहते थे। संयुक्त राष्ट्र में भारत जब भी जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव लाता है तो चीन हमेशा उस पर वीटो लगाकर रोक देता रहा है।
ब्लूचिस्तान लिबरेशन आर्मी का कहना है कि वे आतंकवादी नहीं हैं बल्कि मातृभूमि के रक्षक हैं। बीएलए के लड़ाकों ने इस साल मई के महीने में पाकिस्तान की जाफर एक्सप्रैस ट्रेन को हाईजैक कर पूरी दुनिया का ध्यान खींचा था। इसके अलावा वहां आए दिन पाकिस्तानी सेना पर हमले हो रहे हैं। कौन नहीं जानता कि यह हमले पाकिस्तान की सेना के दमन के खिलाफ हैं। न केवल ब्लूच आंदोलन जोर पकड़ रहा है, बल्कि पश्तून भी अपनी आजादी की मांग कर रहे हैं। फ्री ब्लूचिस्तान मूवमेंट (एफबीएम) के नेता हिर्बेयर मरी ने पश्तूनों के साथ मिलकर काम करने और धर्मनिरपेक्ष क्षेत्रीय गठबंधन बनाने पर सहमति जताई है। फ्री ब्लूचिस्तान मूवमेंट ईरान के कब्जे वाले ब्लूचिस्तान में भी एक्टिव है और ब्लूच लोगों को उम्मीद है कि वे जल्द ही अपने विभाजित क्षेत्र को एकीकृत कर लेंगे। फ्री ब्लूचिस्तान मूवमेंट ने कहा है कि ब्लूच सात दशकों से अधिक समय से युद्ध की स्थिति में है। पाकिस्तानी सेना और वायुसेना ब्लूच नागरिकों को अंधाधुंध तरीके से निशाना बना रही है जिससे गंभीर मानवीय संकट पैदा हो रहा है। हजारों ब्लूच लोगों को जबरन गायब कर दिया गया और लाखों लोग अपनी पैतृक भूमि से विस्थापित हो गए हैं।
पाकिस्तान बनने के बाद से ही ब्लूचिस्तान से विद्रोह की आवाज उठती रही है लेकिन ब्लूचिस्तान में चीन की एंट्री के बाद स्थिति भी जटिल हो गई है। पाकिस्तान में ब्लूचिस्तान का ग्वादर कोट चीन को दे िदया है और स्थानीय ब्लूच उसका विरोध कर रहे हैं। ब्लूचिस्तान 68 बिलियन डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह परियोजना चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैल्ट एंड रोड पहल का हिस्सा है। अगर ब्लूचिस्तान पाकिस्तान के हाथ से चला जाता है तो आधा पाकिस्तान खत्म हो जाएगा। ब्लूचिस्तान के लोग अब यह मान बैठे हैं कि उनका भविष्य पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं है। वहां पाकिस्तान की नैतिक, मनोवैज्ञानिक पराजय हो चुकी है। फिलहाल पाकिस्तान आैर चीन को करारा झटका मिल चुका है। संयुक्त राष्ट्र और अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को ब्लूचिस्तान की स्थिति को गम्भीरता से पहचानना होगा और पाकिस्तान के दमन को रोकने के लिए अपनी चुप्पी तोड़नी होगी।