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बंगलादेश का चीन को झटका

श्रीलंका और पाकिस्तान की विकट आर्थिक स्थिति को देखने के बाद बंगलादेश काफी सतर्क हो गया है। इसका कारण यह है कि बंगलादेश की आर्थिक स्थिति भी विकट हो रही है।

12:41 AM Aug 16, 2022 IST | Aditya Chopra

श्रीलंका और पाकिस्तान की विकट आर्थिक स्थिति को देखने के बाद बंगलादेश काफी सतर्क हो गया है। इसका कारण यह है कि बंगलादेश की आर्थिक स्थिति भी विकट हो रही है।

श्रीलंका और पाकिस्तान की विकट आर्थिक स्थिति को देखने के बाद बंगलादेश काफी सतर्क हो गया है। इसका कारण यह है कि बंगलादेश की आर्थिक स्थिति भी विकट हो रही है। जिस बंगलादेश की आर्थिक प्रगति दक्षिण एशिया में सबसे तेज मानी जा रही थी, वह अब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के सामने पाकिस्तान की तरह झोली फैलाने को मजबूर है। बंगलादेश पर इस समय 13 हजार करोड़ का कर्ज है और यह कर्ज चुकाने के लिए उसके पास कोई प्रबन्ध भी नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय कर्ज चुकाने और विदेशी माल खरीदने के लिए हसीना सरकार ने तेल पर 50 प्रतिशत टैक्स बढ़ा दिया है। इससे रोजमर्रा की चीजों की कीमतें दस प्रतिशत बढ़ गई हैं। महंगाई को लेकर जनता में आक्रोश बढ़ रहा है दरअसल कोरोना की महामारी से बंगलादेश के विदेशी व्यापार को भी धक्का लगा है। बंगला टका यानि रुपये का दाम 20 फीसदी गिर चुका है। हजारों की जनता सड़कों पर है। बंगलादेश दुनिया के बड़े कपड़ा निर्यातकों में से एक है। उसका कपड़ा उद्योग चीन के बाद दूसरे नम्बर पर आता है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण विश्व व्यापार में बंगलादेश के कपड़ा निर्यात की मांग थम गई। चीन हमेशा छोटे विकासशील देशों को अपनी महत्वाकांक्षाओं की तृप्ति को लेकर फंसाता रहता है। श्रीलंका और पाकिस्तान को तो उसने अपने कर्ज जाल में फंसा रखा है। चीन बंगलादेश में कुछ परियोजनाओं के बहाने अपना हस्तक्षेप बढ़ा रहा है।
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सवाल उठ रहा था कि चीन कहीं बंगलादेश की बर्बादी की पटकथा तो नहीं लिख रहा। हाल ही में कुछ घटनाक्रमों से साफ हुआ है कि बंगलादेश चीन की कर्ज नीति से सावधान हो चुका है। बंगलादेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं लेकिन उसका नेतृत्व किसी भी कीमत पर ऋण लेने को तैयार नहीं। बंगलादेश के  विदेश मंत्री मुस्तफा कमाल ने ऐसा बयान दिया जिसमें ड्रैगन को झटका लगा है। उन्होंने चीन की बैल्ट एंड रोड परियोजना को लेकर विकासशील देशों को चेतावनी देते हुए कहा है कि दुनिया में जो हालात चल रहे हैं, उसे देखकर लगता है कि हर कोई बी आर आई को स्वीकार करने से पहले दो बार सोचेगा। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में बी आर आई की वजह से महंगाई बढ़ रही है और विकास दर धीमी हो रही है। चीन से कर्ज लेने वाले देश कर्ज के संकट में हैं क्योंकि चीनी ऋण से खड़े किए गए आधारभूत ढांचे से जुड़े प्रोजैक्ट राजस्व हासिल करने में विफल रहे हैं। इसके बाद दूसरा घटनाक्रम यह हुआ कि बंगलादेश ने चीन की घटिया सैन्य उपकरणों की सप्लाई ठुकरा दी है। चीन ने बंगलादेश को टैंक के गोले की सप्लाई की थी। रक्षा आपूर्ति की गुणवत्ता को लेकर बंगलादेश असंतुष्ट नजर आ रहा है। बंगलादेशी नौसेना ने कहा कि चाइना शिपन​बिल्डिंग एंड आफशोर इंटरनेशनल द्वारा उपलब्ध कराए गए रडार से भी संतुष्ट नहीं हैं। 
चीन की नजरें बंगलादेश की चटगांव बंदरगाह पर भी हैं। चटगांव ऐसा इलाका है यहां से बंगलादेश पश्चिमी देशों से आयात-निर्यात करता है। चीन के पश्चिमी देशों से संबंध मधुर नहीं हैं। इसलिए वह चटगांव को स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर बंदरगाह से पश्चिमी देशों संग होने वाले आयात-निर्यात को नियंत्रित करना चाहता है। चीन ने वहां मैट्रो नेटवर्क बनाने की भी इच्छा जताई है। चीन के इस प्रस्ताव से बंगलादेश की जनता, सेना के अफसर और विशेषज्ञ नाखुश हैं। उन्होंने चीन की मंशा पर भी सवाल खड़े कर दिये हैं। बंगलादेश में चल रहे चीनी प्रोजैक्टों में भी वहां के मजदूरों के शारीरिक, मानसिक और आर्थिक शोषण की खबरें आती रहती हैं। चीन अपने हथियार कारोबार के जरिये भी बंगलादेश में दखल बढ़ा रहा है, हालांकि उससे लिए गए कई हथियार बंगलादेश के लिए चायना माल और फिजूलखर्ची साबित हुए हैं, रिपोर्ट्स की मानें तो चीन से लिए गए कई हथियारों में खराबी आ गई है, जिनमें वायुसेना के लिए एफएम 90 सिस्टम, दो युद्धपोत और दो पनडुब्बियां भी शामिल हैं, बंगलादेशी नौसेना की चटगांव ड्राई डॉक में जहाज बनाने की योजना है, इसमें भी चीन रुचि ले रहा है, हालांकि, उसका खराब ट्रैक रिकार्ड बंगलादेशी नौसेना को आश​ंकित कर रहा है। चीन की दादागिरी देखिए कि वह बंगलादेश को हथियार तो बेचता है लेकिन उनके स्पेयर पार्ट्स नहीं देता है, मेंटिनेंस की जरूरत पड़ने पर वह अपने तकनीशियनों को बंगलादेश भेजता है और भारी रकम वसूलकर मरम्मत कराता है।
चीन को लेकर बंगलादेश जितनी जल्दी संभल जाये अच्छा है। दुनिया जानती है कि बंगलादेश का उदय 1971 के भारत-पाक युद्ध के साथ हुआ। उसे पाकिस्तान से आजाद कराने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका रही। दोनों देशों के संबंध मैत्रीपूर्ण रहे हैं। खालिदा जिया शासन काल में बंगलादेश और चीन काफी करीब आये लेकिन 2009 में शेख हसीना सरकार आने के बाद दोनों देशों के संबंध काफी गहरे हुए हैं। बंगलादेश बहुत भाग्यशाली है कि उसे भारत जैसा सहायता करने वाला मित्र मिला है। बंगलादेश के प्रति भारत में कोई नकारात्मक भाव नहीं है। भारत हर संकट की घड़ी में उसके साथ खड़ा है और हमेशा रहेगा। भारत आज भी बंगलादेश की सहायता को तैयार है।
आदित्य नारायण चोपड़ा
Adityachopra@punjabkesari.com
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